महाभारत स्‍त्री पर्व अध्याय 23 श्लोक 38-42

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:33, 3 August 2015 by प्रियंका वार्ष्णेय (talk | contribs) ('==त्रयोविंष (23) अध्याय: स्‍त्रीपर्व (जलप्रदानिक पर्व )=...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

त्रयोविंष (23) अध्याय: स्‍त्रीपर्व (जलप्रदानिक पर्व )

महाभारत: स्‍त्रीपर्व: त्रयोविंष अध्याय: श्लोक 38-42 का हिन्दी अनुवाद

विधि पूर्वक अग्नि की स्थापना करके चिता को सब ओर से प्रज्वलित कर दिया गया है और उस पर द्रोणाचार्य के शरीर को रखकर साम-गान करने वाले ब्राम्हण त्रिवेद साम का गान करते हैं। माधव। इन जटाधारी ब्रम्हचारियों ने धनुष, शक्ति, रथ की बैठक और नाना प्रकार बाण तथा अन्य आवष्यक वस्तुओं से उस चिता का निमार्ण किया। वे उसी महान तेजस्वी द्रोर्ण को जलाना चाहते थे; इसलिये द्रोर्ण को चिता पर रखकर वे वेदमंत्र पढते और रोते हैं, कुछ लोग अन्त समय में उपयोगी त्रिवेद सामों का गान करते हैं। चिता की अग्नि में अग्नि होत्र सहित द्रोणाचार्य को रखकर उनकी आहुति दे उन्हीं के षिष्य द्विजातिगण कृपी को आगे और चिता को दायें करके गंगाजी के तट की ओर जा रहे हैं।





« पीछे आगे »

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः