महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 47 श्लोक 1-24

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 05:16, 26 August 2015 by दिनेश (talk | contribs) ('==सप्‍तचत्‍वारिंश (47) अध्याय: द्रोण पर्व ( द्रोणाभिषेक...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

सप्‍तचत्‍वारिंश (47) अध्याय: द्रोण पर्व ( द्रोणाभिषेक पर्व)

महाभारत: द्रोण पर्व: सप्‍तचत्‍वारिंश अध्याय: श्लोक 1-24 का हिन्दी अनुवाद

अभिमन्‍यु का पराक्रम छ: महारथियों के साथ घोर युद्ध और उसके द्वारा वृन्‍दारक तथा दश हजार अन्‍य राजाओं के सहित कोसल नरेश बृहद्रल का वध

धृतराष्‍ट्र बोले- संजय ! कभी पराजित न होने वाला तथा युद्ध में पीठ न दिखाने वाला तरूण, सुभद्राकुमार अभिमन्‍यु जब इस प्रकार जयद्रथ की सेना में प्रवेश करके अपने कुल के अनुरूप पराक्रम प्रकट कर रहा था और तीन वर्ष की अवस्‍था वाले अच्‍छी जाति के बलवान घोड़ों द्वारा मानों आकाश में तैरता हुआ आक्रमण करता था, उस समय किन शूरवीरों ने उसे रोका था ?

संजय ने कहा– राजन् ! पाण्‍डुकुलनन्‍दन अभिमन्‍यु ने उन सेना में प्रविष्‍ट होकर आपके सभी राजाओं को अपने तीखे बाणों द्वारा युद्ध से विमुख कर दिया। तब द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, कर्ण, अश्‍वत्‍थामा, बृहदल और ह्रदिक पुत्र कृतवर्मा इन छ: महारथियों ने उसे चारो ओर से घेर लिया । महाराज ! सिंधुराज जयद्रथ पर बहुत बड़ा भार आया देख आपकी सेना ने राजा युधिष्ठिर पर धावा किया । तथा कुछ अन्‍य महाबली योद्धाओं ने अपने चार हाथ के धनुष खीचते हुए वहां सुभद्राकुमार वीर अभिमन्‍यु पर बाणरूपी जल की वर्षा प्रारम्‍भ कर दी । परंतु शत्रुवीरों का संहार करने वाले अभिमन्‍यु ने सम्‍पूर्ण विद्या ओं में प्रवीण उन समस्‍त महाधनुर्धरों को रणक्षेत्र में अपने बाणों द्वारा स्‍तब्‍ध कर दिया । अर्जुनकुमार अभिमन्‍यु ने द्रोण को पचास, बृहदल को बीस, कृतवर्मा को अस्‍सी, कृपाचार्य को साठ और अश्‍वत्‍थामा को कान तक खीचकर छोड़े हुए स्‍वर्णमय पंखयुक्‍त, महावेगशाली दस बाणों द्वारा घायल कर दिया । अर्जुनकुमार ने शत्रुओं के मध्‍य में खड़े हुए कर्ण के कान में पानीदार पैने और उत्‍तम बाण द्वारा गहरी चोट पहॅुचायी । कृपाचाय के चारो घोड़ों तथा उनके दो पार्श्‍वरक्षकोंको धराशायी करके उनकी छाती में दस बाणों द्वारा प्रहार किया । तदनन्‍तर बलवान् अभिमन्‍यु ने कुरूकुल के कीर्ति बढ़ानेवाले वीर वृन्‍दारक को आपके वीर पुत्रों के देखते –देखते मार डाला । तब शत्रुदल के प्रधान-प्रधान वीरोंका बेखट के वध करते हुए अभिमन्‍यु को अश्‍वत्‍थामा ने पचीस बाण मारे । आर्य ! अर्जुनकुमार भी आपके पुत्रों के देखते–देखते तुरंत ही अश्‍वत्‍थामा को पैने बाणों द्वारा बींध डाला । तब द्रोण पुत्र ने तीखी धार वाले तेज और भयंकर साठ बाणों द्वारा अभिमन्‍यु को बींध डाला; परंतु बींधकर भी वह मैनाक पर्वत के समान स्‍थित अभिमन्‍यु को क‍म्पित न कर सका । महातेजस्‍वी बलवान् अभिमन्‍यु ने सुवर्णमय पंख से युक्‍त तिहत्‍तर बाणों द्वारा अपने अपकारी अश्‍वत्‍थामा को पुन: घायल कर दिया । तब अपने पुत्र के प्रति स्‍नेह रखने वाले द्रोणाचार्य ने अभिमन्‍यु को सौ बाण मारे । साथ ही अश्‍वत्‍थामा ने भी पिता की रक्षा करते हुए रणक्षेत्र में उस पर आठ बाण चलाये । तत्‍पश्‍चात् कर्ण ने बाईस, कृतवर्मा ने बीस, बृहदल ने पचास तथा शरदान् के पुत्र कृपाचार्य ने अभिमन्‍यु को दस भल्‍ल मारे । उन सबके चलाये हुए तीखे बाणों द्वारा सब ओर से पीडित हुए सुभद्राकुमार ने उन सभी को दस-दस बाणों से घायल कर दिया । तत्‍पश्‍चात् कोसलनरेश बृहदल ने एक बाण द्वारा अभिमन्‍यु की छाती में चोट पहॅुचायी । यह देख अभिमन्‍यु ने उनके चारों घोड़ो तथा ध्‍वज, धनुष एवं सारथि को भी पृथ्‍वी पर मार गिराया । रथहीन होने पर कोसलनरेश ने हाथ में ढाल और तलवार ले ली तथा अभिमन्‍यु के शरीर से उसके कुण्‍डलयुक्‍त मस्‍तक को काट लेने का विचार किया । इतने ही में अभिमन्‍यु ने एक बाण द्वारा कोसलनरेश राजपुत्र बृहदल के हृदय में गहरी चोट पहंचायी ।इससे उनका वक्ष:स्‍थल विदीर्ण हो गया और वे गिर पड़े । इसके बाद अशुभ वचन बोलनेवाले तथा खग एवं धनुष धारण करने वाले दस हजार महामनस्‍वी राजाओं का भी उसने संहार कर डाला इस प्रकार महाधनुर्धर अभिमन्‍यु बृहदल का वध करके आपके योद्धाओं को अपने बाणरूपी जल की वर्षा से स्‍तब्‍ध करता हुआ रणक्षेत्र में विचरने लगा ।

इस प्रकार श्रीमहाभारतद्रोणपर्व के अन्‍तर्गत अभिमन्‍युवध पर्व में बृहदल वध विषयक सैतालीसवॉ अध्‍याय पूरा हुआ ।


'

« पीछे आगे »


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः