महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 77 श्लोक 1-12

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 06:21, 22 August 2015 by कविता भाटिया (talk | contribs) ('==सप्‍तसप्‍ततितम (77) अध्याय: द्रोण पर्व ( प्रतिज्ञा पर...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

सप्‍तसप्‍ततितम (77) अध्याय: द्रोण पर्व ( प्रतिज्ञा पर्व )

महाभारत: द्रोण पर्व:सप्‍तसप्‍ततितम अध्याय: श्लोक 1-12 का हिन्दी अनुवाद


नाना प्रकार के अशुभसूचक उत्‍पात, कौरव सेना में भय और श्रीकृष्‍ण का अपनी बहिन सुभद्रा को आश्‍वासन देना संजय कहते हैं – राजन! दु:ख और शोक से पीडित हुए श्रीकृष्‍ण और अर्जुन सर्पों के समान लंबी सांस खींच रहे थे । उन दोनों को उस रात में नींद नहीं आयी ।नर और नारायण को कुपित जान इन्‍द्रसहित सम्‍पूर्ण देवा व्‍यथित हो चिन्‍ता करने लगे, यह क्‍या देने वाला है । रुक्ष, भयसूचक एवं दारुण वायु बहने लगी (दूसरे दिन सूर्योदय होने पर) सूर्यमण्‍डल में कबन्‍धयुक्‍त घेरा देखा गया । बिना वर्षा ही वज्र गिरने लगे । आकाश में बिजनी की चमक के सा‍थ भयंकर गर्जना होने लगी । पर्वत, वन और काननों सहित पृथ्‍वी कांपने लगी ।महाराज ! ग्राहों के निवास स्‍थान समुद्रों में ज्‍वार आ गया । समुद्र गामिनी नदियां उल्‍टी धारा में बहकर अपने उद्गम की ओर जाने लगी । मांस भक्षी प्राणियों के आनन्‍द और यमराज के राज्‍य की वृद्धि के लिये रथ, घोडे, मनुष्‍य और हाथियों के नीचे ऊपर के ओष्‍ठ फडकने लगे । भरतश्रेष्‍ठ ! हाथी, घोडे आदि वाहन मल-मूल करने और रोने लगे । उन सब भयंकर एवं रोमांचकारी उत्‍पातों को देखकर और महाबली सव्‍यसाची अर्जुन की उस भयंकर प्रतिज्ञा को सुनकर आपके सभी सैनिक व्‍यथित हो उठे ।इधर इन्‍द्रकुमार महाबाहु अर्जुन ने भगवान्‍ श्रीकृष्‍ण से कहा – ‘माधव ! आप पुत्रवधू उत्‍तरासहित अपनी बहिन सुभद्रा को धीरज बँधाइये । उत्‍तरा और उसकी सखियों का शोक दूर कीजिये । प्रभो ! शान्तिपूर्ण, सत्‍य और युक्तियुक्‍त वचनों द्वारा इन सब को आश्‍वासन दीजिये’ । तब भगवान श्रीकृष्‍ण अत्‍यन्‍त उदास मन से अर्जुन के शिविर में गये और पुत्र शोक से पीडित हुई अपनी दुखिया बहिन को आश्‍वासन देने लगे ।भगवान श्रीकृष्‍ण बोले – ‘वृष्णिनन्दिनी ! तुम और पुत्रवधू उत्‍तरा कुमार अभिमन्‍यु के लिये शोक न करो । भीरु ! काल एक दिन सभी प्राणियों की ऐसी ही अवस्‍था कर देता है ।



« पीछे आगे »


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः