महाभारत कर्ण पर्व अध्याय 33 श्लोक 58-63

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:13, 29 July 2015 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "भगवान् " to "भगवान ")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

त्रयस्त्रिंश (33 ) अध्याय: कर्ण पर्व

महाभारत: कर्ण पर्व: त्रयस्त्रिंश अध्याय: श्लोक 58-63 का हिन्दी अनुवाद

पूजनीय,शुद्ध,प्रलयकाल में सबका संहार करने वाले हैं। आपको रोकना या पराजित करना सर्वथा कठिन है। आप शुक्लवर्ण, ब्रह्म, ब्रह्मचारी, ईशान,अप्रमेय,नियन्ता तथा व्याघ्रचर्ममय वस्त्र धारण करने वाले हैं। आप सदा तपस्या में तत्पर रहने वाले,पिंगलवर्ण,व्रतधारी और कृतिवासा हैं। आपको नमस्कार है। ‘आप कुमार कार्तिकेय के पिता,त्रिनेत्रधारी,उत्तम आयुध धारण करने वाले,शरणागतदःखभंजन तथा ब्रह्मद्रोहियों के समुदाय का विनाश करने वाले हैं। आपका नमस्कार है। ‘आप वनस्पतियों के पालक और मनुष्यों के अधिपति हैं। आप ही गौओं के स्वामी और सदा यज्ञों के अधीश्वर हैं। आपको बारंबार नमस्कार है। ‘सेनापति आप अमिततेजस्वी भगवान त्रयम्बक को नमसकार है। देव ! हम मन,वाणी और क्रिया द्वारा आपकी शरण में आये हैं। आप हमें अपनाइये ‘। तब भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर स्वागत-सत्कार के द्वारा देवताओं को आनन्दित करके कहा- ‘देवगण ! तुम्हारा भय दूर हो जाना चाहिये;बोलो,मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ ?

इस प्रकार श्रीमहाभारत में कर्णपर्व में त्रिपुराख्यान विषयक तैंतीसवाँ अध्याय पूरा हुआ।



« पीछे आगे »

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः