चरु

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:43, 31 December 2015 by गोविन्द राम (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

चरु धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार माता दुर्गा के चरणों में बंधे एक बहुत बड़े घड़े को कहा गया है। इस घड़े का उद्गम पब्‍बर नदी से हुआ है। लोगों का यह मानना है कि जब पब्‍बर नदी में बाढ़ आती है तो यह घड़ा नदी की ओर हिलने लगता है। कहा जाता है कि हिमाचल प्रदेश में स्थित हाटकोटी मंदिर की परीधि के ग्रामों में जब कोई विशाल उत्सव, यज्ञ, विवाह आदि का आयोजन किया जाता था तो हाटकोटी से चरु लाकर उसमें भोजन रखा जाता था। चरु में रखा भोजन बार-बार बांटने पर भी समाप्त नहीं होता था। यह सब दैविक कृपा का प्रसाद माना जाता था। चरु को अत्यंत पवित्रता के साथ रखा जाना आवश्यक होता था अन्यथा परिणाम उलटा हो जाता था। लोक मानस में चरु को भी देवी का बिंब माना जाता रहा है। शास्त्रीय दृष्टि से चरु को हवन या यज्ञ का अन्न भी कहा जाता है।


बाहरी कड़ियाँ

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः