अहल्य

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अहल्य (विशेषण) [नञ्‌ तत्पुरुष समास]

बिना जोता हुआ,-ल्या (स्त्रीलिंग) गौतम की पत्नी (रामायण के अनुसार अहल्या सबसे पहली स्त्री थी जिसे ब्रह्मा ने पैदा किया-और गौतम को दे दिया, इन्द्र ने उसके पति का रूप धारण करके उसे सत्पथ से फुसलाया, इस प्रकार उसे धोखा दिया।

दूसरे कथानक के अनुसार वह इन्द्र को जानती थी और उसके अनुराग तथा नम्रता के वशीभूत हो वह उसकी चापलूसी का शिकार बन गई थी।

इसके अतिरिक्त एक और कहानी है जिसके अनुसार इन्द्र ने चन्द्रमा की सहायता प्राप्त की। चन्द्रमा ने मुर्ग बनकर आधी रात को ही बांग दे दी। इस बांग ने गौतम को अपने प्रातःकालीन नित्य कृत्य करने के लिए जगा दिया। इन्द्र ने अन्दर प्रविष्ट होकर गौतम का स्थान ग्रहण किया। जब गौतम को अहल्या के पथ भ्रष्ट होने का ज्ञान हुआ तो उसने उसे आश्रम से निर्वासित कर दिया और शाप दिया कि वह पत्थर बन जाय तथा तब तक अदृश्य अवस्था में पड़ी रहे, जब तक कि दशरथ के पुत्र राम का चरण-स्पर्श न हो, जो कि अहल्या को फिर पूर्वरूप प्रदान करेगा।

उसके पश्चात् राम ने उस दीन-दशा से उसका उद्धार किया और तब उसका अपने पति से पुनर्मिलन हुआ। अहल्या प्रातःस्मरणीय उन पाँच सती तथा विशुद्ध चरित्र वाली महिलाओं में एक है, जिनका प्रातःकाल नाम लेना श्रेयस्कर है- अहल्या, द्रौपदी, सीता, तारा, मंदोदरी तथा पंचकन्याः स्मरेन्नित्यं महापातक नाशिनीः।


समस्त पद-जारः (पुल्लिंग) इन्द्र,-नन्दनः (पुल्लिंग) शतानन्द मुनि, अहल्या का पुत्र।[1]


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 144 |

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