Difference between revisions of "महाभारत सामान्य ज्ञान 6"

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{[[विराट|राजा विराट]] की कन्या का क्या नाम था, जिससे [[अभिमन्यु]] का विवाह हुआ?
 
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+[[उत्तरा]]
 
-[[सुभद्रा]]
 
-[[उर्वशी]]
 
-[[शकुंतला]]
 
||[[चित्र:Uttara-abhimanu.jpg|right|100px|अभिमन्यु तथा उत्तरा]][[उत्तरा]] [[विराट|राजा विराट]] और मत्स्य-महीप विराट की रानी 'सुदेष्णा' की पुत्री थी। जब [[पाण्डव]] [[अज्ञातवास]] कर रहे थे, उस समय [[अर्जुन]] [[बृहन्नला]] नाम ग्रहण करके रह रहे थे। बृहन्नला ने उत्तरा को [[नृत्य]], [[संगीत]] आदि की शिक्षा दी थी। जिस समय [[कौरव]] विराट की [[गाय|गौओं]] को हरकर ले जाने लगे, तब उन्हें अर्जुन ने परास्त किया। उस समय कौरवों ने पाण्डवों को पहचान लिया। [[श्रीकृष्ण]] की बहिन सुभद्रा ने अर्जुन से [[अभिमन्यु]] नामक पुत्र को उत्पन्न किया था, उससे राजा विराट ने अपनी कन्या उत्तरा ब्याह दी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उत्तरा]]
 
 
{[[कौरव]] सेना के प्रथम सेनापति कौन नियुक्त हुए थे?
 
|type="()"}
 
-[[कर्ण]]
 
+[[भीष्म]]
 
-[[द्रोणाचार्य]]
 
-[[शल्य]]
 
||[[चित्र:Bhishma1.jpg|right|100px|भीष्म द्वारा कृष्ण की प्रतिज्ञा भंग]][[श्रीकृष्ण]] द्वारा समझाये जाने पर [[अर्जुन]] रथारूढ़ होकर युद्ध में प्रवृत्त हुए। उन्होंने शंखध्वनि की। [[दुर्योधन]] की सेना में सबसे पहले पितामह [[भीष्म]] सेनापति हुए। पाण्डवों के सेनापति [[शिखण्डी]] थे। इन दोनों में भारी युद्ध छिड़ गया। भीष्म सहित [[कौरव]] पक्ष के योद्धा उस युद्ध में पाण्डव-पक्ष के सैनिकों पर प्रहार करने लगे और शिखण्डी आदि पाण्डव-पक्ष के वीर कौरव-सैनिकों को अपने [[बाण अस्त्र|बाणों]] का निशाना बनाने लगे। कौरव और [[पाण्डव]] सेना का वह युद्ध [[देवासुर संग्राम]] के समान जान पड़ता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीष्म]]
 
 
{[[महाभारत]] युद्ध के उपरान्त [[कौरव]] सेना के कितने महारथी शेष बचे?
 
|type="()"}
 
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||[[चित्र:Sanjaya-Dhritarashtra.jpg|right|100px|धृतराष्ट्र तथा संजय]]दुष्ट [[अश्वत्थामा]] ने [[उत्तरा]] के गर्भ को नष्ट करने के लिये उस पर अस्त्र का प्रयोग किया। वह गर्भ उसके अस्त्र से प्राय: दग्ध हो गया था; किंतु भगवान [[श्रीकृष्ण]] ने उसको पुन: जीवन-दान दिया। उत्तरा का वही गर्भस्थ शिशु आगे चलकर राजा [[परीक्षित]] के नाम से विख्यात हुआ। [[कृतवर्मा]], [[कृपाचार्य]] तथा [[अश्वत्थामा]]-ये तीन कौरवपक्षीय वीर उस संग्राम से जीवित बचे। दूसरी ओर पाँच [[पाण्डव]], [[सात्यकि]] तथा भगवान श्रीकृष्ण-ये सात ही जीवित रह सके; दूसरे कोई नहीं बचे। उस समय सब ओर अनाथ स्त्रियों का आर्तनाद व्याप्त हो रहा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]]
 
 
{[[अम्बा]] किस राज्य की राजकुमारी थी?
 
|type="()"}
 
+[[काशी]]
 
-[[मगध]]
 
-[[शाल्व राज्य|शाल्व]]
 
-[[विराट नगर|विराट]]
 
||[[चित्र:Vishwanath-Temple-Varanasi.jpg|right|100px|विश्वनाथ मन्दिर, काशी]]काशीराज '[[इंद्रद्युम्न]]' की तीन कन्याओं में ज्येष्ठ कन्या [[अम्बा]] थी। [[भीष्म]] ने अपने दो छोटे भाईयों- 'विचित्रवीर्य' और 'चित्रांगद' के [[विवाह]] के लिए काशीराज की पुत्रियों का अपहरण किया था। भीष्म के पराक्रम के कारण अम्बा उन पर मुग्ध थी और उनसे विवाह करना चाहती थीं। किन्तु भीष्म आजीवन ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा कर चुके थे, अत: यह विवाह सम्पन्न न हो सका। इस अपहरण की घटना के पूर्व अम्बा का विवाह [[शाल्व]] के साथ होना निश्चित हो चुका था, परन्तु इस घटना के कारण उन्होंने भी अम्बा से विवाह करना अस्वीकार कर दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अम्बा]]
 
 
{वीर [[बर्बरीक]] किसके पुत्र थे?
 
|type="()"}
 
-[[भीम]]
 
+[[घटोत्कच]]
 
-[[बकासुर]]
 
-[[बाणासुर]]
 
||बर्बरीक [[पाण्डव]] [[भीम]] के पुत्र [[घटोत्कच]] और [[नाग]] कन्या अहिलवती के पुत्र थे। बाल्यकाल से ही वे बहुत वीर और महान योद्धा थे। उन्होंने युद्ध कला अपनी माँ से सीखी थी। भगवान [[शिव]] की घोर तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया और तीन अभेद्य [[बाण अस्त्र|बाण]] प्राप्त किये और 'तीन बाणधारी' का प्रसिद्ध नाम प्राप्त किया। [[अग्नि देव]] ने प्रसन्न होकर उन्हें [[धनुष अस्त्र|धनुष]] प्रदान किया, जो कि उन्हें तीनो लोकों में विजयी बनाने में समर्थ था। [[महाभारत]] का युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य अपरिहार्य हो गया था, यह समाचार [[बर्बरीक]] को प्राप्त हुआ तो उनकी भी युद्ध में सम्मिलित होने की इच्छा जाग्रत हो उठी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बर्बरीक]]
 
 
 
{[[महाभारत]] में राज्य के कितने महत्त्वपूर्ण अंग बताये गए हैं?
 
{[[महाभारत]] में राज्य के कितने महत्त्वपूर्ण अंग बताये गए हैं?
 
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||[[चित्र:Puran-1.png|right|120px|पुराण]]लक्षश्लोकात्मक [[महाभारत]] की सम्पूर्ति के लिए अठारह पर्वों के पश्चात 'खिलपर्व' के रूप में '[[हरिवंश पुराण]]' की योजना की गयी है। हरिवंश पुराण में तीन पर्व हैं- 'हरिवंश पर्व', 'विष्णु पर्व' और 'भविष्य पर्व'। इन तीनों पर्वों में कुल मिलाकर 318 अध्याय और 12,000 [[श्लोक]] हैं। महाभारत का पूरक तो यह है ही, स्वतन्त्र रूप से भी इसका विशिष्ट महत्त्व है। सन्तान-प्राप्ति के लिए हरिवंश पुराण का श्रवण लाभदायक माना गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]]
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||[[चित्र:Puran-1.png|right|120px|पुराण]]लक्षश्लोकात्मक [[महाभारत]] की सम्पूर्ति के लिए अठारह पर्वों के पश्चात् 'खिलपर्व' के रूप में '[[हरिवंश पुराण]]' की योजना की गयी है। हरिवंश पुराण में तीन पर्व हैं- 'हरिवंश पर्व', 'विष्णु पर्व' और 'भविष्य पर्व'। इन तीनों पर्वों में कुल मिलाकर 318 अध्याय और 12,000 [[श्लोक]] हैं। महाभारत का पूरक तो यह है ही, स्वतन्त्र रूप से भी इसका विशिष्ट महत्त्व है। सन्तान-प्राप्ति के लिए हरिवंश पुराण का श्रवण लाभदायक माना गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]]
  
 
{[[धृतराष्ट्र]] के दामाद का क्या नाम था?
 
{[[धृतराष्ट्र]] के दामाद का क्या नाम था?

Latest revision as of 07:30, 7 November 2017

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

panne par jaean

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1 mahabharat mean rajy ke kitane mahattvapoorn aang bataye ge haian?

6
7
8
9

2 draupadi ke bhaee dhrishtadyumn ka vadh kisane kiya?

kripachary ne
ashvatthama ne
guru dron ne
kritavarma ne

3 aanjanaparva ka vadh kisake hathoan hua?

ashvatthama
kritavarma
karn
adhirath

4 harivansh puran mean kitane parv haian?

4
5
3
6

panne par jaean

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