Difference between revisions of "साष्टी"
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− | '''साष्टी''', [[ | + | '''साष्टी''' अथवा 'शाष्ठी' अथवा 'सालसट' [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]] के उत्तर में स्थित एक [[द्वीप]], जिसका क्षेत्रफल 241 वर्गमील है। |
− | *अब यह द्वीप | + | |
− | *साष्टी के प्राचीन गुहा मन्दिर और [[भग्नावशेष]] दर्शनीय हैं। | + | *अब यह द्वीप मुम्बई नगर से पुल तथा सड़कों के द्वारा पूर्ण रूप से जुड़ गया है। |
− | *[[मराठा युद्ध |प्रथम मराठा युद्ध]] प्रारम्भ होने पर [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने 1775 ई. में साष्टी पर अधिकार कर लिया और 1783 ई. की [[सालबाई की सन्धि]] के अनुसार यह द्वीप [[अंग्रेज़ी शासन| | + | *साष्टी के प्राचीन गुहा मन्दिर और [[भग्नावशेष]] दर्शनीय हैं। |
− | + | *[[मराठा युद्ध|प्रथम मराठा युद्ध]] प्रारम्भ होने पर [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने 1775 ई. में साष्टी पर अधिकार कर लिया और 1783 ई. की [[सालबाई की सन्धि]] के अनुसार यह द्वीप अंग्रेज़ों को दे दिया गया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=470|url=}}</ref> | |
− | {{लेख प्रगति | + | *बेसीन के टापू के साथ ही साष्टी का नाम [[भारत]] में [[अंग्रेज़ी शासन|अंग्रेज़ी राज्य]] के इतिहास में कई बार आता है। [[बाजीराव द्वितीय|बाजीराव पेशवा]] ने [[लॉर्ड वेलेज़ली|वेलेज़ली]] से 'सहायक संधि' करते समय बेसीन और सालसट अंग्रेज़ों को दे दिए थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=897|url=}}</ref> |
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Latest revision as of 09:47, 19 August 2014
sashti athava 'shashthi' athava 'salasat' mumbee, maharashtr ke uttar mean sthit ek dvip, jisaka kshetraphal 241 vargamil hai.
- ab yah dvip mumbee nagar se pul tatha s dakoan ke dvara poorn roop se ju d gaya hai.
- sashti ke prachin guha mandir aur bhagnavashesh darshaniy haian.
- pratham maratha yuddh prarambh hone par aangrezoan ne 1775 ee. mean sashti par adhikar kar liya aur 1783 ee. ki salabaee ki sandhi ke anusar yah dvip aangrezoan ko de diya gaya.[1]
- besin ke tapoo ke sath hi sashti ka nam bharat mean aangrezi rajy ke itihas mean kee bar ata hai. bajirav peshava ne velezali se 'sahayak sandhi' karate samay besin aur salasat aangrezoan ko de die the.[2]
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