Difference between revisions of "गीता 7:1"
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अब भगवान् अपने गुण, प्रभाव के सहित समग्र स्वरूप का तथा विविध प्रकारों से युक्त भक्तियोग का वर्णन करने के लिये सातवें अध्याय का आरम्भ करते हैं और सबसे पहले दो श्लोकों में <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। | अब भगवान् अपने गुण, प्रभाव के सहित समग्र स्वरूप का तथा विविध प्रकारों से युक्त भक्तियोग का वर्णन करने के लिये सातवें अध्याय का आरम्भ करते हैं और सबसे पहले दो श्लोकों में <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। | ||
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> को उसे सावधानी के साथ सुनने के लिये प्रेरणा करके ज्ञान-विज्ञान के कहने की प्रतिज्ञा करते हैं- | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> को उसे सावधानी के साथ सुनने के लिये प्रेरणा करके ज्ञान-विज्ञान के कहने की प्रतिज्ञा करते हैं- | ||
− | 'परमात्मा के निर्गुण निराकार तत्त्व के प्रभाव, माहात्म्य आदि के रहस्यसहित पूर्णरूप से जान लेने का नाम 'ज्ञान' और सगुण निराकार एवं साकार तत्त्व के लीला, रहस्य | + | 'परमात्मा के निर्गुण निराकार तत्त्व के प्रभाव, माहात्म्य आदि के रहस्यसहित पूर्णरूप से जान लेने का नाम 'ज्ञान' और सगुण निराकार एवं साकार तत्त्व के लीला, रहस्य महत्त्व, गुण और प्रभाव आदि के पूर्ण ज्ञान का नाम 'विज्ञान' है । इस ज्ञान और विज्ञान के सहित भगवान् के स्वरूप को जानना ही समग्र भगवान् को जानना हैं । इस अध्याय में इसी समग्र भगवान् के स्वरूप का, उसके जानने वाले अधिकारियों का और साधनों का वर्णन है- इसीलिये इस अध्याय का नाम 'ज्ञान विज्ञान' रखा गया है । |
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Revision as of 10:19, 13 March 2011
gita adhyay-7 shlok-1 / Gita Chapter-7 Verse-1
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