Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 53"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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-[[विनायक दामोदर सावरकर]]
 
-[[विनायक दामोदर सावरकर]]
 
||[[चित्र:Gopal-Krishna-Gokhle.jpg|right|80px|गोपाल कृष्ण गोखले]]गोपाल कृष्ण गोखले अपने समय के अद्वितीय संसदविद और राष्ट्रसेवी थे। यह एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक भी थे। न्यायमूर्ति [[महादेव गोविन्द रानाडे]] के संपर्क में आने से [[गोपाल कृष्ण गोखले]] सार्वजनिक कार्यों में बढ़-चढ़कर रुचि लेने लगे थे। उन दिनों [[पूना]] की 'सार्वजनिक सभा' एक प्रमुख राजनीतिक संस्था थी। गोखले ने उसके मंत्री के रूप में कार्य किया। इससे उनके सार्वजनिक कार्यों का भी विस्तार हुआ। [[कांग्रेस]] की स्थापना के बाद वे उस संस्था से जुड़ गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोपाल कृष्ण गोखले]]
 
||[[चित्र:Gopal-Krishna-Gokhle.jpg|right|80px|गोपाल कृष्ण गोखले]]गोपाल कृष्ण गोखले अपने समय के अद्वितीय संसदविद और राष्ट्रसेवी थे। यह एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक भी थे। न्यायमूर्ति [[महादेव गोविन्द रानाडे]] के संपर्क में आने से [[गोपाल कृष्ण गोखले]] सार्वजनिक कार्यों में बढ़-चढ़कर रुचि लेने लगे थे। उन दिनों [[पूना]] की 'सार्वजनिक सभा' एक प्रमुख राजनीतिक संस्था थी। गोखले ने उसके मंत्री के रूप में कार्य किया। इससे उनके सार्वजनिक कार्यों का भी विस्तार हुआ। [[कांग्रेस]] की स्थापना के बाद वे उस संस्था से जुड़ गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोपाल कृष्ण गोखले]]
 
{निम्न में से 'स्ट्रेची आयोग' किससे संबंधित था?
 
|type="()"}
 
-[[वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट]]
 
+[[अकाल]]
 
-शिक्षा
 
-स्थानीय स्वायत शासन
 
||[[चित्र:Dry-Field.jpg|right|120px|अकाल में सूखा खेत]]'अकाल' से अभिप्राय है कि ऐसा समय जिसमें अनाज आदि खाने की वस्तुओं की बहुत अधिक कमी हो जाये और वे बड़ी कठिनाई से प्राप्त हों। अकाल का सबसे बड़ा कारण होता है- [[वर्षा]] का न होना, जिस कारण अन्न आदि खाद्य वस्तुओं की पैदावार नहीं हो पाती और सूखे की समस्या उत्पन्न हो जाती है। [[अकाल]] [[भारत]] के आर्थिक जीवन की एक दुखद विशेषता रहा। [[मेगस्थनीज़]] ने लिखा है कि भारत में अकाल नहीं पड़ता, लेकिन यह कथन बाद के [[इतिहास]] में सही नहीं सिद्ध होता। सच तो यह है कि भारत जैसे देश में मुख्यत: [[कृषि|खेती]] ही जीवन-यापन का साधन है और वह मुख्यत: अनिश्चित मानसूनी वर्षा पर निर्भर रहती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अकाल]]
 
 
{निम्नलिखित में से कौन-सा एक जोड़ा सही सुमेलित है?
 
|type="()"}
 
+[[सुल्तान महमूद]] – [[सोमनाथ मंदिर|सोमनाथ]] पर आक्रमण
 
-[[मोहम्मद गौरी]] – [[सिन्ध]] की विजय
 
-[[अलाउद्दीन ख़िलजी]] – [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] में विद्रोह
 
-[[मोहम्मद बिन तुग़लक़]] – [[चंगेज़ ख़ाँ]] का आक्रमण
 
||[[चित्र:Sultan-Mahmud-Ghaznawi.jpg|right|90px|महमूद ग़ज़नवी]]'सुल्तान महमूद' या '[[महमूद ग़ज़नवी]]' यमीनी वंश का तुर्क सरदार और [[ग़ज़नी]] के शासक [[सुबुक्तगीन]] का पुत्र था। महमूद बचपन से [[भारत]] की अपार समृद्धि और धन-दौलत के विषय में सुनता रहा था। उसके [[पिता]] ने एक बार [[हिन्दुशाही वंश|हिन्दुशाही]] राजा [[जयपाल]] के राज्य को लूट कर प्रचुर सम्पत्ति प्राप्त की थी। [[सुल्तान महमूद]] भारत की दौलत को लूटकर मालामाल होने के स्वप्न देखा करता था। उसने 17 बार भारत पर आक्रमण किया और यहाँ की अपार सम्पत्ति को वह लूटकर ग़ज़नी ले गया। उसका सबसे बड़ा आक्रमण 1026 ई. में [[काठियावाड़]] के [[सोमनाथ मंदिर]] पर था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महमूद ग़ज़नवी]]
 
 
{[[भारत]] में '[[दास प्रथा]]' का उन्मूलन किसके द्वारा हुआ?
 
|type="()"}
 
-1829 के अधिनियम द्वारा
 
-1833 के अधिनियम द्वारा
 
+1843 के अधिनियम द्वारा
 
-1858 के अधिनियम द्वारा
 
||[[चित्र:Slavery-Aboliti.jpg|right|100px|दास प्रथा]]'दास प्रथा' [[भारत]] में प्राय: सभी युगों में विद्यमान रही है। यद्यपि चौथी शताब्दी ई. पू. में [[मैगस्थनीज़]] ने लिखा था कि "भारतवर्ष में [[दास प्रथा]] नहीं है, तथापि [[कौटिल्य]] के '[[अर्थशास्त्र]]' तथा [[मौर्य]] सम्राट [[अशोक]] के [[अभिलेख|अभिलेखों]] में [[प्राचीन भारत]] में दास प्रथा प्रचलित होने के संकेत उपलब्ध होते हैं। यह प्रथा [[भारत]] में ब्रिटिश शासन स्थापित हो जाने के उपरान्त भी यथेष्ट दिनों तक चलती रही। वर्ष 1843 ई. में इसे बन्द करने के लिए एक अधिनियम पारित कर दिया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दास प्रथा]]
 
 
{[[विजयनगर साम्राज्य]] में सामाजिक एवं धार्मिक विषयों पर निर्णय कौन देते थे?
 
|type="()"}
 
-समयाचार्य अथवा देशरि
 
+कबलकार अथवा अरसुकवलकार
 
-धर्मोपंच अथवा धर्मदेश
 
-पर्षोकाण अथवा ध्रुवराज
 
||[[चित्र:Hampi-5.jpg|right|120px|हम्पी के अवशेष]]विजयनगर के शासकों ने स्वायत्त ग्राम-प्रशासन की [[चोल साम्राज्य|चोल]] परम्परा को बनाये रखा था, लेकिन वंशागत नायक होने की परम्परा ने उस स्वतंत्रता को सीमित अवश्य कर दिया। प्रान्तों के गवर्नर पहले राजकुमार हुआ करते थे। बाद में [[विजयनगर साम्राज्य]] के शासक वंशों और सामंतों में से भी इस पद पर नियुक्तियाँ होने लगीं। प्रान्तीय प्रशासक काफ़ी सीमा तक स्वतंत्र होते थे। वे अपना दरबार लगाते थे। अपने अधिकारी नियुक्त करते थे और अपनी सेना भी रखते थे। साम्राज्य में 'कबलकार' नाम का एक अधिकारी भी हुआ करता था, जो प्राय: सामाजिक एवं धार्मिक विषयों पर निर्णय देता था। इसे 'अरसुकवलकार' के नाम से भी जाना जाता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विजयनगर साम्राज्य]]
 
 
{'[[भक्ति आंदोलन]]' से संबंधित [[मराठा]] [[संत|संतों]] का सही कालानुक्रम कौन-सा है?
 
|type="()"}
 
-[[नामदेव]], [[तुकाराम]], [[एकनाथ]], [[समर्थ रामदास|रामदास]]
 
-रामदेव, एकनाथ, तुकाराम, नामदेव
 
+[[नामदेव]], [[एकनाथ]], [[तुकाराम]], [[समर्थ रामदास|रामदास]]
 
-रामदास, तुकाराम, एकनाथ, नामदेव
 
||[[चित्र:Sant-Namdev.jpg|right|80px|संत नामदेव]]नामदेव [[मध्यकालीन भारत]] के प्रमुख संत कवि थे, जिन्होंने [[मराठी भाषा]] में अपनी रचनाएँ लिखीं। यह कहा जाता है कि [[नामदेव]] अपनी युवावस्था में ख़ूनी लुटेरों के गिरोह के सदस्य थे, लेकिन एक दिन जब उन्होंने एक महिला का करुण विलाप सुना, जिसके पति की उन्होंने हत्या कर दी थी, तो उन्हें गहरा पश्चाताप हुआ। कहते है कि अपने इस घृणित कार्य के पश्चातापस्वरूप वह आत्महत्या करने ही वाले थे कि उन्हें भगवान [[विष्णु]] ने प्रकट होकर बचा लिया। इसके बाद नामदेव [[भक्ति]] की ओर मुड़ गए और वाराकरी के प्रमुख प्रतिपादक बने।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नामदेव]], [[एकनाथ]], [[तुकाराम]], [[समर्थ रामदास|रामदास]]
 
 
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Revision as of 12:38, 21 August 2016

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


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  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh

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1 mangol akramanakari kutalug khvaja ne bharat par kisake shasan kal mean akraman kiya?

balaban
gayasuddin tugalaq
alauddin khilaji
iltutamish

2 bauddh dharm ki kis shakha ne mantr, hathayog, taantrik acharoan ko pradhanata di?

mahayan
vajrayan
hinayan
uparokt mean se koee nahian

3 nimnalikhit mean se kaun 'krips mishan' ke sath kaangres ke adhikarik vartakar the?

mahatma gaandhi evan saradar patel
achary je. bi. kripalani evan si. rajagopalachari
pandit javaharalal neharoo evan maulana azad
d aau. rajendr prasad evan rafi ahamad qidavee

4 'ary mahila sabha' ki sthapana kisake dvara ki gee thi?

rajakumari amrit kaur
neli senagupta
durgabaee deshamukh
pandita ramabaee

5 nimnalikhit mean se kisane 'vidhava vivah mandal' ki sthapana ki thi?

bal gangadhar tilak
gopal krishna gokhale
mahadev goviand ranade
vinayak damodar savarakar

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan