Difference between revisions of "महन्त अवैद्यनाथ"

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'''महन्त अवैद्यनाथ''' (मूल नाम- 'कृपाल सिंह बिष्ट', [[अंग्रेज़ी]]: ''Mahant Avaidyanath'', जन्म- [[28 मई]], [[1921]]; मृत्यु- [[12 सितम्बर]], [[2014]]) भारतीय राजनीतिज्ञ तथा [[गोरखनाथ मंदिर|गोरखनाथ मठ]] के भूतपूर्व पीठाधीश्वर थे। वे गोरखपुर लोकसभा से चौथी लोकसभा के लिये निर्वाचित हुए थे। इसके बाद नौवीं, दसवीं तथा ग्यारहवीं लोकसभा के लिये भी निर्वाचित हुए।
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}}'''महन्त अवैद्यनाथ''' (मूल नाम- 'कृपाल सिंह बिष्ट', [[अंग्रेज़ी]]: ''Mahant Avaidyanath'', जन्म- [[28 मई]], [[1921]]; मृत्यु- [[12 सितम्बर]], [[2014]]) भारतीय राजनीतिज्ञ तथा [[गोरखनाथ मंदिर|गोरखनाथ मठ]] के भूतपूर्व पीठाधीश्वर थे। वे गोरखपुर लोकसभा से चौथी लोकसभा के लिये निर्वाचित हुए थे। इसके बाद नौवीं, दसवीं तथा ग्यारहवीं लोकसभा के लिये भी निर्वाचित हुए।
 
==परिचय==
 
==परिचय==
 
महन्त अवेद्यनाथ का जन्म 28 मई, 1921 को ग्राम काण्डी, जिला पौड़ी गढ़वाल, [[उत्तराखण्ड]] में राय सिंह बिष्ट के घर हुआ था। उनके बचपन का नाम कृपाल सिंह बिष्ट था। कालांतर में वह भारत के राजनेता तथा गुरु गोरखनाथ मन्दिर के पीठाधीश्वर के रूप में प्रसिद्ध हुए। महन्त अवैद्यनाथ ने [[हिन्दू धर्म]] की आध्यात्मिक साधना के साथ सामाजिक हिन्दू साधना को भी आगे बढ़ाया और सामाजिक जनजागरण को अधिक महत्वपूर्ण मानकर हिन्दू धर्म के सोशल इंजीनियरिग पर बल दिया। [[योगी आदित्यनाथ]] के 'हिन्दू युवा वाहिनी' जैसे युवा संगठन की प्रेरणा भी कहीं न कहीं इसी सोशल इंजीनियरिग की प्रेरणा थी।
 
महन्त अवेद्यनाथ का जन्म 28 मई, 1921 को ग्राम काण्डी, जिला पौड़ी गढ़वाल, [[उत्तराखण्ड]] में राय सिंह बिष्ट के घर हुआ था। उनके बचपन का नाम कृपाल सिंह बिष्ट था। कालांतर में वह भारत के राजनेता तथा गुरु गोरखनाथ मन्दिर के पीठाधीश्वर के रूप में प्रसिद्ध हुए। महन्त अवैद्यनाथ ने [[हिन्दू धर्म]] की आध्यात्मिक साधना के साथ सामाजिक हिन्दू साधना को भी आगे बढ़ाया और सामाजिक जनजागरण को अधिक महत्वपूर्ण मानकर हिन्दू धर्म के सोशल इंजीनियरिग पर बल दिया। [[योगी आदित्यनाथ]] के 'हिन्दू युवा वाहिनी' जैसे युवा संगठन की प्रेरणा भी कहीं न कहीं इसी सोशल इंजीनियरिग की प्रेरणा थी।
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[[हिमालय]] और [[कैलाश मानसरोवर]] की यात्रा और साधना से [[शैव धर्म]] से गहरे प्रभावित महन्त अवैद्यनाथ पहली बार [[1940]] में अपनी [[बंगाल]] यात्रा के दौरान मेंमन सिंह के माध्यम से दिग्विजय नाथ से मिले। [[8 फ़रवरी]], [[1942]] को वह गोरक्षनाथ पीठ के उत्तराधिकारी बन गए और इस तरह मात्र 23 साल की अवस्था में कृपाल सिंह बिष्ट से महन्त अवैद्यनाथ बनकर सदैव के लिए अमर हो गये। आजन्म विवादों से दूर रहने वाले, विरक्त सन्यासी, सज्जन, सरल और सुमधुर और मितभाषी व्यक्तित्व के धनी महन्त अवैद्यनाथ ने रामजन्म भूमि आन्दोलन को मात्र गति ही नहीं दी अपितु एक संरक्षक की भाँती हर तरह से रक्षित और पोषित किया।
 
[[हिमालय]] और [[कैलाश मानसरोवर]] की यात्रा और साधना से [[शैव धर्म]] से गहरे प्रभावित महन्त अवैद्यनाथ पहली बार [[1940]] में अपनी [[बंगाल]] यात्रा के दौरान मेंमन सिंह के माध्यम से दिग्विजय नाथ से मिले। [[8 फ़रवरी]], [[1942]] को वह गोरक्षनाथ पीठ के उत्तराधिकारी बन गए और इस तरह मात्र 23 साल की अवस्था में कृपाल सिंह बिष्ट से महन्त अवैद्यनाथ बनकर सदैव के लिए अमर हो गये। आजन्म विवादों से दूर रहने वाले, विरक्त सन्यासी, सज्जन, सरल और सुमधुर और मितभाषी व्यक्तित्व के धनी महन्त अवैद्यनाथ ने रामजन्म भूमि आन्दोलन को मात्र गति ही नहीं दी अपितु एक संरक्षक की भाँती हर तरह से रक्षित और पोषित किया।
 
==राजनीतिक जीवन==
 
==राजनीतिक जीवन==
[[दक्षिण भारत]] के रामनाथपुरम और मीनाक्षीपुरम में अनुसूचित जाति के लोगों के सामूहिक धर्मान्तरण की घटना से खासे आहत होते हुए महन्त अवैद्यनाथ ने राजनीति में पदार्पण किया। इस घटना का विस्तार [[उत्तर भारत]] में न हो, इसके लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये गए और राजनीति में रहकर मतान्तरण का ध्रुवीकरण करने के कुटिल प्रयासों को असफल किया।
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[[चित्र:Mahant-Avaidyanath-Stamp.jpg|thumb|250px|महन्त अवैद्यनाथ पर जारी [[डाक टिकट]]]]
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[[दक्षिण भारत]] के [[रामनाथपुरम]] और मीनाक्षीपुरम में अनुसूचित जाति के लोगों के सामूहिक धर्मान्तरण की घटना से खासे आहत होते हुए महन्त अवैद्यनाथ ने राजनीति में पदार्पण किया। इस घटना का विस्तार [[उत्तर भारत]] में न हो, इसके लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये गए और राजनीति में रहकर मतान्तरण का ध्रुवीकरण करने के कुटिल प्रयासों को असफल किया।
  
 
महन्त अवेद्यनाथ ने [[1962]], [[1967]], [[1974]] व [[1977]] में [[उत्तर प्रदेश]] विधानसभा में मानीराम सीट का प्रतिनिधित्व किया और [[1970]], [[1989]], [[1991]] और [[1996]] में [[गोरखपुर]] से [[लोकसभा]] सदस्य रहे। 34 वर्षों तक 'हिन्दू महासभा' और 'भारतीय जनता पार्टी' से जुड़े रहकर हिंदुत्व को भारतीय राजनीति में गति देने वाले और सामाजिक हितों की रक्षा करने वाले महन्त अवेद्यनाथ ने स्वयं को अवसरवाद और पदभार से स्वयं को दूर रखा और इस तरह उन्होंने राजयोग में भी हठयोग का प्रयोग बखूबी किया। कितने पद स्वयं महाराज जी के चरणों में आकर स्वयं सुशोभित होते थे और आशीष लेते थे।
 
महन्त अवेद्यनाथ ने [[1962]], [[1967]], [[1974]] व [[1977]] में [[उत्तर प्रदेश]] विधानसभा में मानीराम सीट का प्रतिनिधित्व किया और [[1970]], [[1989]], [[1991]] और [[1996]] में [[गोरखपुर]] से [[लोकसभा]] सदस्य रहे। 34 वर्षों तक 'हिन्दू महासभा' और 'भारतीय जनता पार्टी' से जुड़े रहकर हिंदुत्व को भारतीय राजनीति में गति देने वाले और सामाजिक हितों की रक्षा करने वाले महन्त अवेद्यनाथ ने स्वयं को अवसरवाद और पदभार से स्वयं को दूर रखा और इस तरह उन्होंने राजयोग में भी हठयोग का प्रयोग बखूबी किया। कितने पद स्वयं महाराज जी के चरणों में आकर स्वयं सुशोभित होते थे और आशीष लेते थे।

Revision as of 06:34, 4 March 2021

mahant avaidyanath
poora nam mahant avaidyanath
any nam kripal sianh bisht (mool nam)
janm 28 mee, 1921
janm bhoomi gram kandi, pau di gadhaval, uttarakhand
mrityu 12 sitambar, 2014
mrityu sthan gorakhapur, uttar pradesh
abhibhavak pita- ray sianh bisht
nagarikata bharatiy
prasiddhi rajanitijn tatha gorakhanath math ke bhootapoorv pithadhishvar
parti bharatiy janata parti
chunav kshetr gorakhapur, uttar pradesh
any janakari mahant avedyanath ne 1962, 1967, 1974 v 1977 mean uttar pradesh vidhanasabha mean maniram sit ka pratinidhitv kiya aur 1970, 1989, 1991 aur 1996 mean gorakhapur se lokasabha sadasy rahe.

mahant avaidyanath (mool nam- 'kripal sianh bisht', aangrezi: Mahant Avaidyanath, janm- 28 mee, 1921; mrityu- 12 sitambar, 2014) bharatiy rajanitijn tatha gorakhanath math ke bhootapoorv pithadhishvar the. ve gorakhapur lokasabha se chauthi lokasabha ke liye nirvachit hue the. isake bad nauvian, dasavian tatha gyarahavian lokasabha ke liye bhi nirvachit hue.

parichay

mahant avedyanath ka janm 28 mee, 1921 ko gram kandi, jila pau di gadhaval, uttarakhand mean ray sianh bisht ke ghar hua tha. unake bachapan ka nam kripal sianh bisht tha. kalaantar mean vah bharat ke rajaneta tatha guru gorakhanath mandir ke pithadhishvar ke roop mean prasiddh hue. mahant avaidyanath ne hindoo dharm ki adhyatmik sadhana ke sath samajik hindoo sadhana ko bhi age badhaya aur samajik janajagaran ko adhik mahatvapoorn manakar hindoo dharm ke soshal ianjiniyarig par bal diya. yogi adityanath ke 'hindoo yuva vahini' jaise yuva sangathan ki prerana bhi kahian n kahian isi soshal ianjiniyarig ki prerana thi.

mahant

himalay aur kailash manasarovar ki yatra aur sadhana se shaiv dharm se gahare prabhavit mahant avaidyanath pahali bar 1940 mean apani bangal yatra ke dauran meanman sianh ke madhyam se digvijay nath se mile. 8 faravari, 1942 ko vah gorakshanath pith ke uttaradhikari ban ge aur is tarah matr 23 sal ki avastha mean kripal sianh bisht se mahant avaidyanath banakar sadaiv ke lie amar ho gaye. ajanm vivadoan se door rahane vale, virakt sanyasi, sajjan, saral aur sumadhur aur mitabhashi vyaktitv ke dhani mahant avaidyanath ne ramajanm bhoomi andolan ko matr gati hi nahian di apitu ek sanrakshak ki bhaanti har tarah se rakshit aur poshit kiya.

rajanitik jivan

[[chitr:Mahant-Avaidyanath-Stamp.jpg|thumb|250px|mahant avaidyanath par jari dak tikat]] dakshin bharat ke ramanathapuram aur minakshipuram mean anusoochit jati ke logoan ke samoohik dharmantaran ki ghatana se khase ahat hote hue mahant avaidyanath ne rajaniti mean padarpan kiya. is ghatana ka vistar uttar bharat mean n ho, isake lie mahatvapoorn kadam uthaye ge aur rajaniti mean rahakar matantaran ka dhruvikaran karane ke kutil prayasoan ko asaphal kiya.

mahant avedyanath ne 1962, 1967, 1974 v 1977 mean uttar pradesh vidhanasabha mean maniram sit ka pratinidhitv kiya aur 1970, 1989, 1991 aur 1996 mean gorakhapur se lokasabha sadasy rahe. 34 varshoan tak 'hindoo mahasabha' aur 'bharatiy janata parti' se ju de rahakar hiandutv ko bharatiy rajaniti mean gati dene vale aur samajik hitoan ki raksha karane vale mahant avedyanath ne svayan ko avasaravad aur padabhar se svayan ko door rakha aur is tarah unhoanne rajayog mean bhi hathayog ka prayog bakhoobi kiya. kitane pad svayan maharaj ji ke charanoan mean akar svayan sushobhit hote the aur ashish lete the.

mrityu

mahant avedyanath ka nidhan 12 sitambar, 2014 ko hua. unhean nath paranpara ke anusar samadhi di gayi. ve kaphi samay se bimar the. ek mah se gu dagaanv ke medaanta aspatal mean vah bharti the. halat adhik big dane par unhean vishesh viman se gorakhapur laya gaya tha, jahaan unhoanne sharir chho da.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

sanbandhit lekh