Difference between revisions of "महाभारत सामान्य ज्ञान 2"

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||'रेवती' महाराज रेवत की कन्या और [[बलराम]] की पत्नी थीं। रेवत अपने सौ भाइयों में सबसे बड़ा था। उसकी पुत्री का नाम रेवती था। महाराज रेवत अपनी पुत्री रेवती को लेकर [[ब्रह्मा]] के पास गये। वह उसके लिए योग्य वर की खोज में थे। उस समय हाहा, हूहू नामक दो [[गंधर्व]] गान प्रस्तुत कर रहे थे। गान समाप्त होने के उपरांत उन्होंने ब्रह्मा से इच्छित प्रश्न पूछा। ब्रह्मा ने कहा- "यह गान, जो तुम्हें अल्पकालिक लगा, वह चतुर्युग तक चला। जिन वरों की तुम चर्चा कर रहे हो, उनके पुत्र-पौत्र भी अब जीवित नहीं हैं। तुम [[विष्णु]] के साथ इसका पाणिग्रहण कर दो। वह बलराम के रूप में अवतरित हैं।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रेवती (बलराम की पत्नी)|रेवती]]
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||[[चित्र:Krishna-parents.jpg|right|100px|माता-पिता से मिलते कृष्ण तथा बलराम]]'रेवती' महाराज रेवत की कन्या और [[बलराम]] की पत्नी थीं। रेवत अपने सौ भाइयों में सबसे बड़ा था। उसकी पुत्री का नाम रेवती था। महाराज रेवत अपनी पुत्री रेवती को लेकर [[ब्रह्मा]] के पास गये। वह उसके लिए योग्य वर की खोज में थे। उस समय हाहा, हूहू नामक दो [[गंधर्व]] गान प्रस्तुत कर रहे थे। गान समाप्त होने के उपरांत उन्होंने ब्रह्मा से इच्छित प्रश्न पूछा। ब्रह्मा ने कहा- "यह गान, जो तुम्हें अल्पकालिक लगा, वह चतुर्युग तक चला। जिन वरों की तुम चर्चा कर रहे हो, उनके पुत्र-पौत्र भी अब जीवित नहीं हैं। तुम [[विष्णु]] के साथ इसका पाणिग्रहण कर दो। वह बलराम के रूप में अवतरित हैं।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रेवती (बलराम की पत्नी)|रेवती]]
  
 
{[[कृष्ण]] के वंश का क्या नाम था?
 
{[[कृष्ण]] के वंश का क्या नाम था?
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+पाँच ग्राम
 
+पाँच ग्राम
 
-[[कुरुक्षेत्र]]
 
-[[कुरुक्षेत्र]]
||धर्मराज [[युधिष्ठिर]] 'सात अक्षौहिणी' सेना के स्वामी होकर [[कौरव|कौरवों]] के साथ युद्ध करने को तैयार हुए। पहले भगवान [[श्रीकृष्ण]] परम क्रोधी [[दुर्योधन]] के पास दूत बनकर गये। उन्होंने 'ग्यारह अक्षौहिणी' सेना के स्वामी राजा दुर्योधन से कहा- "तुम युधिष्ठिर को आधा राज्य दे दो या उन्हें 'पाँच गाँव' ही अर्पित कर दो; नहीं तो उनके साथ युद्ध करो।" श्रीकृष्ण की बात सुनकर दुर्योधन ने कहा- "मैं उन्हें सुई की नोक के बराबर भी भूमि नहीं दूँगा; हाँ, [[पाण्डव|पाण्डवों]] से युद्ध अवश्य ही करूँगा।" ऐसा कहकर वह भगवान श्रीकृष्ण को बंदी बनाने के लिये उद्यत हो गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रेवती (बलराम की पत्नी)|रेवती]]  
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||[[चित्र:Radha-Krishna-1.jpg|right|100px|राधा-कृष्ण]]धर्मराज [[युधिष्ठिर]] 'सात अक्षौहिणी' सेना के स्वामी होकर [[कौरव|कौरवों]] के साथ युद्ध करने को तैयार हुए। पहले भगवान [[श्रीकृष्ण]] परम क्रोधी [[दुर्योधन]] के पास दूत बनकर गये। उन्होंने 'ग्यारह अक्षौहिणी' सेना के स्वामी राजा दुर्योधन से कहा- "तुम युधिष्ठिर को आधा राज्य दे दो या उन्हें 'पाँच गाँव' ही अर्पित कर दो; नहीं तो उनके साथ युद्ध करो।" श्रीकृष्ण की बात सुनकर दुर्योधन ने कहा- "मैं उन्हें सुई की नोक के बराबर भी भूमि नहीं दूँगा; हाँ, [[पाण्डव|पाण्डवों]] से युद्ध अवश्य ही करूँगा।" ऐसा कहकर वह भगवान श्रीकृष्ण को बंदी बनाने के लिये उद्यत हो गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्रीकृष्ण]]  
 
   
 
   
 
{[[महाभारत]] में [[बलराम]] की भूमिका क्या थी?
 
{[[महाभारत]] में [[बलराम]] की भूमिका क्या थी?
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-[[पाण्डव|पाण्डवों]] की ओर से
 
-[[पाण्डव|पाण्डवों]] की ओर से
 
-उदासीन रही
 
-उदासीन रही
||[[दुर्धोधन]] [[पांडव|पांडवों]] को पाँच गाँव तक देने को राजी नहीं हुआ। अब युद्ध अनिवार्य जानकर [[दुर्योधन]] और [[अर्जुन]] दोनों [[श्रीकृष्ण]] से सहायता प्राप्त करने के लिए [[द्वारका]] पहुँचे। नीतिज्ञ कृष्ण ने पहले दुर्योधन से पूछा- 'तुम मुझे लोगे या मेरी सेना को?' दुर्योधन ने तत्त्काल सेना मांगी। कृष्ण ने अर्जुन को वचन दिया कि वह उसके सारथी बनेगें और स्वयं [[अस्त्र शस्त्र|शस्त्र]] नहीं ग्रहण करेगें। कृष्ण अर्जुन के साथ [[इन्द्रप्रस्थ]] आ गये। कृष्ण के आने पर पांडवों ने एक बार फिर एक सभा का आयोजन किया और निश्चय किया कि एक बार संधि का और प्रयत्न किया जाय, जिससे युद्ध को टाला जा सके।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृष्ण]]
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||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|100px|श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हुए]][[दुर्योधन]] [[पांडव|पांडवों]] को पाँच गाँव तक देने को राजी नहीं हुआ। अब युद्ध अनिवार्य जानकर दुर्योधन और [[अर्जुन]] दोनों [[श्रीकृष्ण]] से सहायता प्राप्त करने के लिए [[द्वारका]] पहुँचे। नीतिज्ञ कृष्ण ने पहले दुर्योधन से पूछा- 'तुम मुझे लोगे या मेरी सेना को?' दुर्योधन ने तत्त्काल सेना मांगी। कृष्ण ने अर्जुन को वचन दिया कि वह उसके सारथी बनेगें और स्वयं [[अस्त्र शस्त्र|शस्त्र]] नहीं ग्रहण करेगें। कृष्ण अर्जुन के साथ [[इन्द्रप्रस्थ]] आ गये। कृष्ण के आने पर पांडवों ने एक बार फिर एक सभा का आयोजन किया और निश्चय किया कि एक बार संधि का और प्रयत्न किया जाय, जिससे युद्ध को टाला जा सके।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृष्ण]]
  
 
{[[महाभारत]] युद्ध में [[कर्ण]] के सारथी का नाम क्या था?
 
{[[महाभारत]] युद्ध में [[कर्ण]] के सारथी का नाम क्या था?
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{[[कर्ण]] ने अपने कवच-कुण्डल किसे दान दिये?
 
{[[कर्ण]] ने अपने कवच-कुण्डल किसे दान दिये?
 
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-[[दुर्वासा]] ऋषि को
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-[[दुर्वासा]] को
-[[वसिष्ठ]] ऋषि को
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-[[वसिष्ठ]] को
-[[परशुराम]] ऋषि को
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-[[परशुराम]] को
+[[इन्द्र]] देव को
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+[[इन्द्र]] को
||[[कर्ण]] और [[अर्जुन]] [[महाभारत]] युद्ध से पूर्व ही परस्पर प्रतिद्वन्द्वी थे। सूतपुत्र होने के कारण अर्जुन कर्ण को हेय समझते थे। उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि कर्ण उनके बड़े भाई हैं। [[भीष्म]] भी कर्ण को इसी कारण अधिरथ कहते थे। कर्ण ने पाँचों [[पाण्डव|पाण्डवों]] का वध करने का संकल्प किया था, किन्तु माता [[कुन्ती]] के कहने पर उन्होंने अपने वध की प्रतिज्ञा अर्जुन तक ही सीमित कर दी थी। कर्ण की दानवीरता के भी अनेक सन्दर्भ मिलते हैं। उनकी दानशीलता की ख्याति सुनकर [[इन्द्र]] उनके पास 'कवच-कुण्डल' माँगने गये थे। कर्ण ने अपने [[पिता]] [[सूर्य देव]] के द्वारा इन्द्र की मंशा जानते हुए भी उनको 'कवच-कुण्डल' दे दिये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कर्ण]]
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||[[चित्र:Karn1.jpg|right|100px|अर्जुन द्वारा कर्ण का वध]][[कर्ण]] और [[अर्जुन]] [[महाभारत]] युद्ध से पूर्व ही परस्पर प्रतिद्वन्द्वी थे। सूतपुत्र होने के कारण अर्जुन कर्ण को हेय समझते थे। उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि कर्ण उनके बड़े भाई हैं। [[भीष्म]] भी कर्ण को इसी कारण अधिरथ कहते थे। कर्ण ने पाँचों [[पाण्डव|पाण्डवों]] का वध करने का संकल्प किया था, किन्तु माता [[कुन्ती]] के कहने पर उन्होंने अपने वध की प्रतिज्ञा अर्जुन तक ही सीमित कर दी थी। कर्ण की दानवीरता के भी अनेक सन्दर्भ मिलते हैं। उनकी दानशीलता की ख्याति सुनकर [[इन्द्र]] उनके पास 'कवच-कुण्डल' माँगने गये थे। कर्ण ने अपने [[पिता]] [[सूर्य देव]] के द्वारा इन्द्र की मंशा जानते हुए भी उनको 'कवच-कुण्डल' दे दिये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कर्ण]]
  
 
{निम्न में से कौन अतिरथी नहीं था?
 
{निम्न में से कौन अतिरथी नहीं था?
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-[[पानीपत युद्ध|पानीपत]]  
 
-[[पानीपत युद्ध|पानीपत]]  
 
+[[कुरुक्षेत्र]]
 
+[[कुरुक्षेत्र]]
||'कुरुक्षेत्र' [[हरियाणा]] राज्य का एक प्रमुख ज़िला है। यह हरियाणा के उत्तर में स्थित है तथा [[अम्बाला]], यमुना नगर, [[करनाल]] और [[कैथल]] से घिरा हुआ है। माना जाता है कि यहीं पर [[महाभारत]] की लड़ाई हुई थी और भगवान [[कृष्ण]] ने [[अर्जुन]] को [[गीता]] का उपदेश यहीं पर 'ज्योतीसर' नामक स्थान पर दिया था। यह ज़िला बासमती [[चावल]] के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। कुरुक्षेत्र का पौराणिक महत्त्व अधिक माना जाता है। इसका [[ऋग्वेद]] और [[यजुर्वेद]] में अनेक स्थानो पर वर्णन किया गया है। यहाँ की पौराणिक नदी [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] का भी अत्यन्त महत्त्व रहा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुरुक्षेत्र]]
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||[[चित्र:Bhim-Dushasan.jpg|right|100px|कुरुक्षेत्र में भीम द्वारा दुशासन का वध]]'कुरुक्षेत्र' [[हरियाणा]] राज्य का एक प्रमुख ज़िला है। यह हरियाणा के उत्तर में स्थित है तथा [[अम्बाला]], यमुना नगर, [[करनाल]] और [[कैथल]] से घिरा हुआ है। माना जाता है कि यहीं पर [[महाभारत]] की लड़ाई हुई थी और भगवान [[कृष्ण]] ने [[अर्जुन]] को [[गीता]] का उपदेश यहीं पर 'ज्योतीसर' नामक स्थान पर दिया था। यह ज़िला बासमती [[चावल]] के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। कुरुक्षेत्र का पौराणिक महत्त्व अधिक माना जाता है। इसका [[ऋग्वेद]] और [[यजुर्वेद]] में अनेक स्थानो पर वर्णन किया गया है। यहाँ की पौराणिक नदी [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] का भी अत्यन्त महत्त्व रहा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुरुक्षेत्र]]
 
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Revision as of 13:04, 10 February 2012

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

panne par jaean

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59

1 pandav nakul ki mata ka nam kya tha?

kuanti
madri
janaki
subhadra

2 arjun ne jayadrath ko kab tak mar dene ki pratijna ki thi?

sooryast se pahale
sooryoday se pahale
saanyakal se pahale
pratakal se pahale

3 karn ko amogh shakti kisane pradan ki thi?

soory
krishna
indr
varun

4 nimnalikhit mean se kaun balaram ki patni thian?

rukmani
revati
rambha
subhadra

5 krishna ke vansh ka kya nam tha?

ikshvaku
bharat
soory
bhimasatvat

6 mahabharat yuddh mean pandavoan ki or se l dane vala kaurav kaun tha?

yuyutsu
du:shasan
lakshman
shishupal

7 shrikrishna ne pandavoan ke lie duryodhan se kya maanga tha?

indraprasth
hastinapur
paanch gram
kurukshetr

8 mahabharat mean balaram ki bhoomika kya thi?

pandavoan ki or se l de
kauravoan ki or se l de
tirthatan ke lie chale gaye
yuddh dekhate rahe

9 mahabharat mean krishna ki sena kisaki or se l di?

adhi kaurav aur adhi pandavoan ki or se
kauravoan ki or se
pandavoan ki or se
udasin rahi

10 mahabharat yuddh mean karn ke sarathi ka nam kya tha?

shaly
adhirath
shrutakirti
bhadrasen

11 karn ne apane kavach-kundal kise dan diye?

durvasa ko
vasishth ko
parashuram ko
indr ko

12 nimn mean se kaun atirathi nahian tha?

dronachary
bhishm
krishna
arjun

13 bhishm kitani sena samapt karake jal grihan karate the?

ek hazar
paanch hazar
das hazar
attharah hazar

14 mahabharat mean 'chakravyooh' ki rachana kisake dvara ki gee thi?

shakuni
dronachary
jayadrath
vidur

15 nimnalikhit mean se kis sthan par mahabharat ka vishv prasiddh yuddh hua?

thaneshvar
haldighati
panipat
kurukshetr

panne par jaean

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59
samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan