Difference between revisions of "लोक सभा"

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==अधिवेशन==
 
==अधिवेशन==
 
लोकसभा का अधिवेशन 1 वर्ष में कम से कम दो बार होना चाहिए लेकिन लोकसभा के पिछले अधिवेशन की अन्तिम बैठक की तिथि तथा आगामी अधिवेशन के प्रथम बैठक की तिथि के बीच 6 मास से अधिक का अन्तराल नहीं होना चाहिए, लेकिन यह अन्तराल 6 माह से अधिक का तब हो सकता है, जब आगामी अधिवेशन के पहले ही लोकसभा का विघटन कर दिया जाए। अनुच्छेद 85 के तहत राष्ट्रपति को समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन, राज्यसभा एवं लोकसभा को आहुत करने, उनका सत्रावसान करने तथा लोकसभा का विघटन करने का अधिकार प्राप्त है।
 
लोकसभा का अधिवेशन 1 वर्ष में कम से कम दो बार होना चाहिए लेकिन लोकसभा के पिछले अधिवेशन की अन्तिम बैठक की तिथि तथा आगामी अधिवेशन के प्रथम बैठक की तिथि के बीच 6 मास से अधिक का अन्तराल नहीं होना चाहिए, लेकिन यह अन्तराल 6 माह से अधिक का तब हो सकता है, जब आगामी अधिवेशन के पहले ही लोकसभा का विघटन कर दिया जाए। अनुच्छेद 85 के तहत राष्ट्रपति को समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन, राज्यसभा एवं लोकसभा को आहुत करने, उनका सत्रावसान करने तथा लोकसभा का विघटन करने का अधिकार प्राप्त है।
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==विशेष अधिवेशन==
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राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा को नामंज़ूर करने के लिए लोकसभा का विशेष अधिवेशन तब बुलाया जा सकता है, जब लोकसभा के अधिवेशन में न रहने की स्थिति में कम से कम 110 सदस्य राष्ट्रपति को अधिवेशन बुलाने के लिए लिखित सूचना दें या जब अधिवेशन चल रहा हो, तब लोकसभा को इस आशय की लिखित सूचना दें। ऐसी लिखित सूचना अधिवेशन बुलाने की तिथि के 14 दिन पूर्व देनी पड़ती है। ऐसी सूचना पर राष्ट्रपति या लोकसभाध्यक्ष अधिवेशन बुलाने के लिए बाध्य हैं।
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==पदाधिकारी==
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लोकसभा के निम्नलिखित दो पदाधिकारी होते हैं-
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#अध्यक्ष और
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#उपाध्यक्ष।
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==लोकसभाध्यक्ष==
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लोकसभा अध्यक्ष लोकसभा का प्रमुख पदाधिकारी होता है और लोकसभा की सभी कार्यवाहियों का संचालन करता है- 
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====निर्वाचन====
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लोकसभा अध्यक्ष का निर्वाचन लोकसभा के सदस्यों के द्वारा किया जाता है। निर्वाचन किस तिथि को होगा, इसे राष्ट्रपति निश्चित करता है और राष्ट्रपति के द्वारा निश्चित की गयी तिथि की सूचना लोकसभा का महासचित सदस्यों को देता है। राष्ट्रपति के द्वारा निश्चित की गयी तिथि के पूर्व दिन के मध्याह्न से पहले कोई भी सदस्य किसी अन्य सदस्य को अध्यक्ष चुने जाने का प्रस्ताव महासचिव को लिखित रूप में देता है तथा इस प्रस्ताव का अनुमोदन तीसरे सदस्य द्वारा दिया जाता है। इस प्रस्ताव के साथ उस सदस्य, जिसे अध्यक्ष चुने जाने का प्रस्ताव किया जाता है, का यह कथन संलग्न होता है कि वह अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए तैयार है। इस तरह से एक या कई प्रस्ताव किये जाते हैं। यदि एक ही प्रस्ताव पेश किया जाता है, तो चुनाव सर्वसम्मत होता है और यदि एक से अधिक प्रस्ताव पेश किये जाते हैं, तो चुनाव मतदान के द्वारा होता है।
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====शपथ ग्रहण====
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लोकसभाध्यक्ष लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में शपथ नहीं लेता है बल्कि वह सामान्य सदस्य के रूप में शपथ लेता है। उसे लोकसभा का कार्यकारी अध्यक्ष लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण कराता है। कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में उस व्यक्ति को नामजद किया जाता है, जो लोकसभा में सबसे अधिक उम्र हो होता है।
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====वेतन एवं भत्ते====
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लोकसभा के अध्यक्ष को राज्यसभा के सभापति ([[उपराष्ट्रपति]]) के समान 1.25 रुपये मासिक वेतन एवं अन्य भत्ते मिलते हैं। [[14 मई]], [[2002]] को [[संसद]] द्वारा पारित एक संशोधन विधेयक के अनुसार यदि लोकसभा के अध्यक्ष की मृत्यु उसके पद पर रहने की अवधि में ही हो जाती है तो उसके परिवार यानी पति या पत्नी को पेंशन, आवास और स्वास्थ्य सुविधाएँ मिला करेंगी। ध्यातव्य है कि यह सुविधा अब तक राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति पदों के लिए ही थीं। साथ ही लोकसभाध्यक्ष को केन्द्रीय मंत्री के समान भत्ता देने का भी प्रावधान किया गया है।
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====पदावधि====
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लोकसभाध्यक्ष एक बार अध्यक्ष चुने जाने के बाद आगामी लोकसभा चुनाव के गठन के बाद उसके प्रथम अधिवेशन की प्रथम बैठक तक अपने पद पर बना रहता है। लेकिन वह निम्नलिखित स्थितियों में अध्यक्ष पद से मुक्त हो सकता है-
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#यदि वह किसी कारण लोकसभा का सदस्य नहीं रह जाता,
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#यदि वह उपाध्यक्ष को अपना त्यागपत्र दे देता है,
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#यदि वह लोकसभा के सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा अपने पद से हटा दिया जाता है। ऐसा कोई संकल्प लोकसभा में पेश करने के आशय की सूचना 14 दिन पूर्व ही दी जानी चाहिए।
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जब लोकसभा में ऐसे किसी संकल्प पर बहस होती है, तो लोकसभा की अध्यक्षता उपाध्यक्ष या उसकी अनुपस्थिति में अन्य व्यक्ति, जिसे लोकसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियम द्वारा निर्धारित किया जाता है, द्वारा की जाती है। [[18 दिसम्बर]], [[1954]] को पहली बार लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर के विरुद्ध उन्हें पद से हटाने के लिए एक प्रस्ताव लाया गया था। हालाँकि यह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका था।
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====कार्य एवं शक्तियाँ====
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लोकसभाध्यक्ष का कार्य एवं शक्तियाँ लोकसभा के सम्बन्ध में काफ़ी अधिक है, जिनका वर्णन निम्न प्रकार किया जा सकता है-
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<u>'''व्यवस्था सम्बन्धी शक्तियाँ'''</u>
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लोकसभाध्यक्ष को लोकसभा में व्यवस्था बनाये रखने के सम्बन्ध में निम्नलिखित शक्तियाँ प्रदान की गयी हैं-
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#कार्यवाही संचालित करने के लिए सदन में व्यवस्था व मर्यादा बनाए रखना।
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#सदन की कार्यवाही के लिए समय का निर्धारण करना।
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#संविधान और सदन के प्रक्रिया सम्बन्धी नियमों की व्याख्या करना।
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#विवादास्पद विषयों पर मतदान कराना और निर्णय की घोषणा करना।
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#मतदान में पक्ष तथा विपक्ष में बराबर मत पड़ने की स्थिति में निर्णायक मत देना देना।
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#प्रस्ताव, प्रतिवेदन और व्यवस्था के प्रश्नों को स्वीकार करना।
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#[[मंत्रिपरिषद]] के किसी सदस्य को पदत्याग करने की स्थिति में उसे सदन के समक्ष अपना वक्तव्य देने की अनुमति देना।
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#सदस्यों को जानकारी प्राप्त करने के लिए विचाराधीन महत्वपूर्ण विषयों की घोषणा करना।
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#संविधान सम्बन्धी मामलों पर अपनी सम्मति देना।
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#गणपूर्ति के अभाव में सदन की बैठक को स्थगित करना।
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#किसी सदस्य को अपनी मातृभाषा में बोलने की अनुमति देना तथा उसके भाषण के हिन्दी और अंग्रेज़ी अनुवाद की व्यवस्था करना।
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#सदन के नेता के अनुरोध पर सदन की गुप्त बैठक को आयोजित करने की स्वीकृति प्रदान करना।
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<u>'''निरीक्षण तथा भर्त्सना सम्बन्धी शक्तियाँ'''</u>
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अध्यक्ष की निरीक्षण तथा भर्त्सना सम्बन्धी शक्तियाँ निम्नलिखित हैं-
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#संसदीय समितियों की अध्यक्षता करना।
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#संसदीय समितियों के अध्यक्षों को निर्देश देना।
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#सार्वजनिक हित में सदन या समिति को आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए सरकार को निर्देश देना।
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#सदन में असंसदीय तथा अनावश्यक विचार-विमर्श को रोकना।
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#सदन में बोले गये असंसदीय तथा अश्लील सन्दर्भों को सदन की कार्यवाही से निकालना।
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#सदन मे बोलने के लिए सदस्यों को अनुमति देना।
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#सदन के किसी सदस्य को असंसदीय व्यवहार के कारण निष्कासित करना अथवा उसे मार्शल द्वारा बाहर निकलवाना।
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#सदन में अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होने पर सदन की कार्यवही को स्थगित कना।
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#सदन के सीमाक्षेत्र के अंतर्गत सदन के किसी सदस्य की गिरफ्तारी या उसके विरुद्ध कार्यवाही करने की अनुमति देना।
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#सदन में पेश किये गये विशेषाधिकार प्रस्ताव को स्वीकार करना तथा जिसके ऊपर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया गया है, उसके विरुद्ध गिरफ्तारी का आदेश जारी करना।
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#किसी व्यक्ति को सदन की अवमानना करने या उसके विशेषाधिकार के उल्लघंन करने पर सदन द्वारा किये गये निर्णय को लागू करना॥
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<u>'''प्रशासन सम्बन्धी शक्तियाँ'''</u>
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अध्यक्ष को सदन के प्रशासन के सम्बन्ध में निम्नलिखत शक्तियाँ प्रदान की गयी हैं-
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#लोकसभा के सचिवालय पर नियत्रंण रखना।
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#लोकसभा की दर्शक दीर्घा और प्रेस दीर्घा पर नियंत्रण रखना।
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#लोकसभा सदस्यों के लिए आवास तथा अन्य सुविधाओं की व्यवस्था करना।
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#लोकसभा तथा उसकी समितियों की बैठकों की व्यवस्था करना।
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#संसदीय कार्यवाही के अभिलेखों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था करना।
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#लोकसभा के सदस्यों तथा कर्मचारियों के जीवन और सदन की सम्पत्ति की सुरक्षा की उपयुक्त व्यवस्था करना।
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#लोकसभा के सदस्यों का त्यागपत्र स्वीकार करना अथवा उसे इस आधार पर अस्वीकार करना कि त्यागपत्र विवशता के कारण दिया गया है।
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<u>'''विधायी तथा अन्य कार्य'''</u>
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विधायी तथा अन्य कार्यों के सम्बन्ध में अध्यक्ष को निम्नलिखत शक्तियाँ प्राप्त हैं-
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#लोकसभा द्वारा पारित विधेयक को प्रमाणित करना।
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#कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं, इसका निर्णय करना।
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#लोकसभा तथा राज्यसभा की संयुक्त बैठकों की अध्यक्षता करना।
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#राष्ट्रपति तथा लोकसभा के बीच सम्पर्क सूत्र के रूप में कार्य करना।
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#अर्न्तसंसदीय संघ में भारतीय संसदीय दल के नेता के रूप में कार्य करना।
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#[[भारत]] में विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन की अध्यक्षता करना।
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#विदेश जाने वाले संसदीय शिष्टमण्डल के लिए सदस्यों को मनोनीत करना।
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#लोकसभा के द्वारा पारित विधेयक की स्पष्ट त्रुटियों का दूर करना।
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#दल बदल क़ानून का उल्लघंन करने वाले लोकसभा के सदस्यों को सदन की सदस्यता के अयोग्य घोषित करना।
  
  
 
[[Category:नया पन्ना]]
 
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Revision as of 07:55, 17 September 2010

pratham lokasabha ka gathan 17 aprail, 1952 ko hua tha. isaki pahali baithak 13 mee, 1952 ko huee thi. lokasabha ke gathan ke sambandh mean sanvidhan ke do anuchchhed, yatha 81 tatha 331 mean pravadhan kiya gaya hai. mool sanvidhan mean lokasabha ki sadasy sankhya 500 nirdharit ki gayi thi, kintu bad mean isamean vriddhi ki gayi. 31vean sanvidhan sanshodhan, 1974 ke dvara lokasabha ki adhikatam sadasy sankhya 547 nishchit ki gayi. vartaman mean gova, daman aur div punargathan adhiniyam, 1987 dvara yah abhinirdharit kiya gaya hai ki lokasabha adhikatam sadasy sankhya 552 ho sakati hai. anuchchhed 81(1) (k) tatha (kh) ke anusar lokasabha ka gathan rajyoan mean pradeshik nirvachan kshetroan se pratyaksh nirvachan dvara chune hue 530 se adhik n hone vale sadasyoan tatha sangh rajy kshetroan ka pratinidhitv karane vale 20 se adhik n hone vale sadasyoan ke dvara kiya jaega. is prakar lokasabha mean bharat ki janasankhya dvara nirvachit 550 sadasy ho sakate haian. anuchchhed 331 ke anusar yadi rashtrapati ki ray mean lokasabha mean aangl bharatiy samuday ko paryapt pratinidhitv n mila ho to vah aangl bharatiy samuday ke do vyaktiyoan ko lokasabha ke lie namanirdeshit kar sakata hai. at: lokasabha ki adhikatam sadasy sankhya 552 ho sakati hai. yah sankhya lokasabha ke sadasyoan ki saiddhantik ganana hai aur vyahavaharat: vartaman samay mean lokasabha ki prabhavi sankhya 530 (rajyoan ke pratinidhi) + (sangh kshetroan ke pratinidhi) + 2 rashtrapati dvara nam nirdeshit = 545 hai.

sthanoan ka abantan

lokasabha mean sthanoan ko abantit karane ke lie do prakriya apanayi jati haian-

  1. pahala pratyek rajy ko lokasabha mean sthanoan ka abantan aisi riti se kiya jata hai ki sthanoan ki sankhya se us rajy ki janasankhya ka anupat sabhi rajyoan ke lie yathasadhy ek hi ho, tatha
  2. doosara pratyek rajy ko pradeshik nirvachan kshetroan mean aisi riti se vibhajit kiya jata hai ki pratyek nirvachan kshetr ki janasankhya ka usako abantit sthanoan ki sankhya se anupat samast rajy mean yathasadhy ek hi ho.

aank doan ka adhar

ukt donoan kary aise pradhikari dvara aisi riti se, jise sansad vidhi dvara sunishchit kare, pratyek janaganana ki samapti par prakashit susangat aank doan ke adhar par kiye jate haian. lekin 42vean sanvidhan sanshodhan, 1976 ke dvara yah pravadhan kar diya gaya hai ki jab tak 2001 ki janaganana ke aank de prakashit nahian ho jate, tab tak lokasabha ki sadasy sankhya 545 hi rahegi. 91vaan sanvidhan sanshodhan adhiniyam 2001 ke dvara ab yah vyavastha 2026 tak yathavat bani rahegi.

parisiman adhiniyam

lokasabha mean rajyoan ke sthanoan ke abantan tatha rajyoan ko pradeshik kshetroan mean vibhajit karane ke lie sansad dvara parisiman adhiniyam, 1952 parit kiya gaya hai. parisiman adhiniyam, 1952 mean pravadhan kiya gaya hai ki sansad pratyek janaganana ke susangat aank doan ke prakashan ke bad parisiman ayog ka gathan karegi. is parisiman adhiniyam ke adhin trisadasyiy parisiman ayog ka gathan kiya jata hai, jise navinatam janaganana ke aank doan ke adhar par lokasabha mean vibhinn rajyoan ko sthanoan ke abantan ko, pratyek rajy ki vidhanasabhaoan ke kul sthanoan ka tatha lokasabha aur rajy ki vidhan sabha ke nirvachanoan ke prayojan ke lie pratyek rajy ko pradeshik nirvachan kshetroan mean vibhajan ka pun: samayojan karane ka kartavy sauanpa jata haian is prakar gathit ayog ne 1974 mean lokasabha mean rajyoan tatha sangh rajy kshetroan ke sthanoan ka abantan kiya tha, jisake anusar 530 sthan rajyoan ke lie tatha 13 sthan sangh rajyakshetroan ke lie abantit kiye gaye the.

chautha parisiman ayog

lokasabha v vidhanasabhaoan ke nirvachan kshetroan ka parisiman karane ke liy nyayamoorti kuladip sianh ki adhyakshata mean chautha parisiman ayog ka gathan varsh 2001 mean kiya gaya. ayog ne apana kary 2004 mean prarambh kiya. prarambh mean parisiman ka kary 1991 ki janaganana ke adhar par kiya jana tha, parantu 23 aprail, 2002 ko kendriy mantrimandal ne isase sambandhit ek sanshodhan vidheyak ko anumodit karate hue yah nirdharit kiya ki nirvachan kshetroan ka parisiman ab 2001 ki janaganana ke adhar par kiya jaega. isake lie parisiman (87vaan sanshodhan) adhiniyam, 2003 ko adhiniyantrit kiya gaya. nirvachan kshetroan ka yah parisiman 30 varshoan ke pashchath nyayamoorti kuladip sianh ki adhyakshata vale chauthe parisiman ayog ne apana karyakal 31 mee, 2008 ko samapt ghoshit kiya. halaanki ayog ka karyakal 31 julaee, 2008 tak nirdharit tha. ayog ne apane karyakal mean lokasabha ke 543 evan 24 vidhanasabhaoan ke 4120 nirvachan kshetroan ka parisiman kiya hai. paanch rajyoan asam, arunachal pradesh, manipur, nagalaind aur jharakhand mean parisiman nahian kiya ja saka hai, jabaki jammoo-kashmir ke lie ise lagoo nahian kiya gaya tha. in chh: rajyoan ko chho dakar shesh sabhi rajyoan mean naye parisiman ke adhar par matadata soochiyaan taiyar ki gee haian.

parisiman ayog ne sarakar se yah sanstuti ki hai ki anusoochit jati ke lie arakshit sitoan ke lie roteshan lagoo karana chahie. isake lie 2002 ke parisiman adhiniyam ke sath-sath sanvidhan mean bhi sanshodhan karana hoga. isake sath hi ayog ne ab prati 10 varsh bad nee janaganana ke adhar par parisiman karane ki sifarish ki hai. ayog ne lokatantr ke tinoan charanoan panchayat, vidhan sabha aur lokasabha ke nirvachan kshetroan ka parisiman sugam banaye rakhane ke lie agami janaganana panchayat ke adhar par karane ki sanstuti ki hai. ayog ki yah sifarish usaki riport ka bhag nahian hai, at: yah sarakar ke lie badhyakari nahian hai. desh mean pahala parisiman ayog 1952 mean, doosara 1962 mean aur tisara aisa ayog 1973 mean gathit kiya gaya tha.

sitoan ki sankhya aur prakar

  • samany/am nirvachan kshetr - 423
  • anusoochit jati hetu arakshit nirvachan kshetr - 79
  • anusoochit janajati hetu arakshit nirvachan kshetr - 41
  • aangl bharatiy samuday ke manonayan ke lie nirdharit sit - 2

kul sitean = 545 (543+2)

sthanoan ka arakshan

anuchchhed 330 ke tahat lokasabha mean anusoochit jatiyoan, anusoochit janajatiyoan aur anuchchhed 331 ke tahat aangl bharatiy samuday ke logoan ke lie sthanoan ke arakshan ka pravadhan hai. kisi rajy athava sangh shasit kshetr mean anusoochit jatiyoan ya janajatiyoan ke lie arakshit sthanoan ki sankhya up rajy ke lie lokasabha mean abantit sthanoan ki kul sankhya aur sambandhit rajy mean anusoochit jatiyoan ya janajatiyoan ki kul sankhya ke anupat ke barabar hogi.

anusuchit jatiyoan, janajatiyoan v aangl bharatiyoan ke lie lokasabha mean sitoan ke arakshan sambandhi pravadhan sanvidhan ke anuchchhed 334 ke aantargat moolat: 10 varshoan ke lie kiya gaya tha, jise 1960 ke athavean sanvidhan sanshodhan, 1969 ke 23vean sanvidhan sanshodhan, 1980 ke 45vean sanvidhan sanshodhan, 1989 ke 62vean sanshodhan tatha 1999 ke 79vean sanvidhan sanshodhan adhinayam ke dvara kramash: 10-10 varsh ke lie badhaye gaye. 1999 ke 79vean sanvidhan sanshodhan adhiniyam ke dvara badhaee gee 10 varsh ki avadhi 25 janavari, 2010 ko samapt hone se poorv sansad dvara agast, 2009 mean 190vaan sanvidhan sanshodhan vidheyak parit karate hue lokasabha mean anusoochit jatiyoan, janajatiyoan v aangl bharatiyoan ki sitoan ka yah arakshan agami 10 varshoan arthath janavari 2020 tak upalabdh rahega. is sanshodhan ke tahat anuchchhed 334 mean 60 varshoan ke sthan par 70 varsh shamil kiya gaya hai.

nirvachan

lokasabha ke sadasy bharat ke un nagarikoan dvara chune jate haian, jo ki vayask ho gaye haian. 61vean sanvidhan sanshodhan adhiniyam, 1989 ke poorv un nagarikoan ko vayask mana jata tha, jo ki 21 varsh ki ayu poori kar lete the, lekin is sanshodhan ke dvara yah vyavastha kar di gee ki 18 varsh ki ayu poori karane vala nagarik lokasabha ya rajy vidhanasabha ke sadasyoan ko chunane ke lie vayask mana jaega. lokasabha ke sadasyoan ka chunav vayask matadan ke adhar par hota hai. bharat mean 1952 se lekar ab tak ki avadhi mean 15 lokasabha chunav hue haian. 15 lokasabha chunav hue haian.

avadhi

lokasabha ka gathan apane pratham adhiveshan ki tithi se paanch varsh ke lie hota hai, lekin pradhanamantri ki salah par lokasabha ka vighatan rashtrapati dvara 5 varsh ke pahale bhi kiya ja sakata hai. pradhanamantri ki salah par lokasabha ka vighatan jab kar diya jata hai, tab lokasabha ka madhyavadhi chunav hota hai, kyoanki sanvidhan ke anusar lokasabha vighatan ki sthiti mean 6 mas se adhik nahian rah sakati. aisa isilie bhi avashyak hai, kyoanki lokasabha ke do baithakoan ke bich ka samayantaral 6 mas se adhik nahian hona chahie. ab tak lokasabha ka usake gathan ke bad 5 varsh ke bhitar char bar arthath 1970 mean tatkalin pradhanamantri iandira gaandhi ki salah par, 1979 mean tatkalin pradhanamantri charan sianh ki salah par, 1991 mean tatkalin pradhanamantri chandrashekhar ki salah par, 1998 mean tatkalin pradhanamantri indrakumar gujaral ki salah par aur 1999 mean pradhanamantri atal bihari vajapeyi ki salah par vighatan hua aur is prakar madhyavadhi chunav karaye gaye.

vishesh paristhiti mean lokasabha ki avadhi 1 varsh ke lie badhayi ja sakati hai. parantu lokasabha ki avadhi ek bar mean 1 varsh se adhik nahian badhayi ja sakati aur kisi bhi sthiti mean apatakal ki udaghoshana ki samapti ke bad lokasabha ki avadhi 6 mah se adhik nahian badhayi ja sakati hai, arthath apat udaghoshana ki samapti ke bad 6 mah ke andar lokasabha ka samany chunav karakar usaka gathan avashyak hai. bharat mean paanchavian lokasabha ki avadhi 6 pharavari, 1976 ko 1 varsh ke lie arthath 18 march, 1976 se 18 march, 1977 tak tatha bad mean navambar, 1976 mean 18 march, 1977 se 18 march, 1978 tak ke lie badha di gayi thi, lekin janavari, 1977 ko hi pradhanamantri ki salah par lokasabha ka vighatan kar diya gaya aur march, 1977 mean chhathavian lokasabha ka chunav karaya gaya.

adhiveshan

lokasabha ka adhiveshan 1 varsh mean kam se kam do bar hona chahie lekin lokasabha ke pichhale adhiveshan ki antim baithak ki tithi tatha agami adhiveshan ke pratham baithak ki tithi ke bich 6 mas se adhik ka antaral nahian hona chahie, lekin yah antaral 6 mah se adhik ka tab ho sakata hai, jab agami adhiveshan ke pahale hi lokasabha ka vighatan kar diya jae. anuchchhed 85 ke tahat rashtrapati ko samay-samay par sansad ke pratyek sadan, rajyasabha evan lokasabha ko ahut karane, unaka satravasan karane tatha lokasabha ka vighatan karane ka adhikar prapt hai.

vishesh adhiveshan

rashtriy apatakal ki ghoshana ko namanzoor karane ke lie lokasabha ka vishesh adhiveshan tab bulaya ja sakata hai, jab lokasabha ke adhiveshan mean n rahane ki sthiti mean kam se kam 110 sadasy rashtrapati ko adhiveshan bulane ke lie likhit soochana dean ya jab adhiveshan chal raha ho, tab lokasabha ko is ashay ki likhit soochana dean. aisi likhit soochana adhiveshan bulane ki tithi ke 14 din poorv deni p dati hai. aisi soochana par rashtrapati ya lokasabhadhyaksh adhiveshan bulane ke lie badhy haian.

padadhikari

lokasabha ke nimnalikhit do padadhikari hote haian-

  1. adhyaksh aur
  2. upadhyaksh.

lokasabhadhyaksh

lokasabha adhyaksh lokasabha ka pramukh padadhikari hota hai aur lokasabha ki sabhi karyavahiyoan ka sanchalan karata hai- 

nirvachan

lokasabha adhyaksh ka nirvachan lokasabha ke sadasyoan ke dvara kiya jata hai. nirvachan kis tithi ko hoga, ise rashtrapati nishchit karata hai aur rashtrapati ke dvara nishchit ki gayi tithi ki soochana lokasabha ka mahasachit sadasyoan ko deta hai. rashtrapati ke dvara nishchit ki gayi tithi ke poorv din ke madhyahn se pahale koee bhi sadasy kisi any sadasy ko adhyaksh chune jane ka prastav mahasachiv ko likhit roop mean deta hai tatha is prastav ka anumodan tisare sadasy dvara diya jata hai. is prastav ke sath us sadasy, jise adhyaksh chune jane ka prastav kiya jata hai, ka yah kathan sanlagn hota hai ki vah adhyaksh ke roop mean kary karane ke lie taiyar hai. is tarah se ek ya kee prastav kiye jate haian. yadi ek hi prastav pesh kiya jata hai, to chunav sarvasammat hota hai aur yadi ek se adhik prastav pesh kiye jate haian, to chunav matadan ke dvara hota hai.

shapath grahan

lokasabhadhyaksh lokasabha ke adhyaksh ke roop mean shapath nahian leta hai balki vah samany sadasy ke roop mean shapath leta hai. use lokasabha ka karyakari adhyaksh lokasabha ke sadasy ke roop mean shapath grahan karata hai. karyakari adhyaksh ke roop mean us vyakti ko namajad kiya jata hai, jo lokasabha mean sabase adhik umr ho hota hai.

vetan evan bhatte

lokasabha ke adhyaksh ko rajyasabha ke sabhapati (uparashtrapati) ke saman 1.25 rupaye masik vetan evan any bhatte milate haian. 14 mee, 2002 ko sansad dvara parit ek sanshodhan vidheyak ke anusar yadi lokasabha ke adhyaksh ki mrityu usake pad par rahane ki avadhi mean hi ho jati hai to usake parivar yani pati ya patni ko peanshan, avas aur svasthy suvidhaean mila kareangi. dhyatavy hai ki yah suvidha ab tak rashtrapati evan uparashtrapati padoan ke lie hi thian. sath hi lokasabhadhyaksh ko kendriy mantri ke saman bhatta dene ka bhi pravadhan kiya gaya hai.

padavadhi

lokasabhadhyaksh ek bar adhyaksh chune jane ke bad agami lokasabha chunav ke gathan ke bad usake pratham adhiveshan ki pratham baithak tak apane pad par bana rahata hai. lekin vah nimnalikhit sthitiyoan mean adhyaksh pad se mukt ho sakata hai-

  1. yadi vah kisi karan lokasabha ka sadasy nahian rah jata,
  2. yadi vah upadhyaksh ko apana tyagapatr de deta hai,
  3. yadi vah lokasabha ke sadasyoan ke bahumat se parit sankalp dvara apane pad se hata diya jata hai. aisa koee sankalp lokasabha mean pesh karane ke ashay ki soochana 14 din poorv hi di jani chahie.

jab lokasabha mean aise kisi sankalp par bahas hoti hai, to lokasabha ki adhyakshata upadhyaksh ya usaki anupasthiti mean any vyakti, jise lokasabha ki prakriya tatha kary sanchalan niyam dvara nirdharit kiya jata hai, dvara ki jati hai. 18 disambar, 1954 ko pahali bar lokasabha ke pratham adhyaksh ganesh vasudev mavalankar ke viruddh unhean pad se hatane ke lie ek prastav laya gaya tha. halaanki yah prastav parit nahian ho saka tha.

kary evan shaktiyaan

lokasabhadhyaksh ka kary evan shaktiyaan lokasabha ke sambandh mean kafi adhik hai, jinaka varnan nimn prakar kiya ja sakata hai-   vyavastha sambandhi shaktiyaan

lokasabhadhyaksh ko lokasabha mean vyavastha banaye rakhane ke sambandh mean nimnalikhit shaktiyaan pradan ki gayi haian-

  1. karyavahi sanchalit karane ke lie sadan mean vyavastha v maryada banae rakhana.
  2. sadan ki karyavahi ke lie samay ka nirdharan karana.
  3. sanvidhan aur sadan ke prakriya sambandhi niyamoan ki vyakhya karana.
  4. vivadaspad vishayoan par matadan karana aur nirnay ki ghoshana karana.
  5. matadan mean paksh tatha vipaksh mean barabar mat p dane ki sthiti mean nirnayak mat dena dena.
  6. prastav, prativedan aur vyavastha ke prashnoan ko svikar karana.
  7. mantriparishad ke kisi sadasy ko padatyag karane ki sthiti mean use sadan ke samaksh apana vaktavy dene ki anumati dena.
  8. sadasyoan ko janakari prapt karane ke lie vicharadhin mahatvapoorn vishayoan ki ghoshana karana.
  9. sanvidhan sambandhi mamaloan par apani sammati dena.
  10. ganapoorti ke abhav mean sadan ki baithak ko sthagit karana.
  11. kisi sadasy ko apani matribhasha mean bolane ki anumati dena tatha usake bhashan ke hindi aur aangrezi anuvad ki vyavastha karana.
  12. sadan ke neta ke anurodh par sadan ki gupt baithak ko ayojit karane ki svikriti pradan karana.

  nirikshan tatha bhartsana sambandhi shaktiyaan

adhyaksh ki nirikshan tatha bhartsana sambandhi shaktiyaan nimnalikhit haian-

  1. sansadiy samitiyoan ki adhyakshata karana.
  2. sansadiy samitiyoan ke adhyakshoan ko nirdesh dena.
  3. sarvajanik hit mean sadan ya samiti ko avashyak janakari pradan karane ke lie sarakar ko nirdesh dena.
  4. sadan mean asansadiy tatha anavashyak vichar-vimarsh ko rokana.
  5. sadan mean bole gaye asansadiy tatha ashlil sandarbhoan ko sadan ki karyavahi se nikalana.
  6. sadan me bolane ke lie sadasyoan ko anumati dena.
  7. sadan ke kisi sadasy ko asansadiy vyavahar ke karan nishkasit karana athava use marshal dvara bahar nikalavana.
  8. sadan mean avyavastha ki sthiti utpann hone par sadan ki karyavahi ko sthagit kana.
  9. sadan ke simakshetr ke aantargat sadan ke kisi sadasy ki giraphtari ya usake viruddh karyavahi karane ki anumati dena.
  10. sadan mean pesh kiye gaye visheshadhikar prastav ko svikar karana tatha jisake oopar visheshadhikar hanan ka arop lagaya gaya hai, usake viruddh giraphtari ka adesh jari karana.
  11. kisi vyakti ko sadan ki avamanana karane ya usake visheshadhikar ke ullaghann karane par sadan dvara kiye gaye nirnay ko lagoo karana॥

  prashasan sambandhi shaktiyaan

adhyaksh ko sadan ke prashasan ke sambandh mean nimnalikhat shaktiyaan pradan ki gayi haian-

  1. lokasabha ke sachivalay par niyatrann rakhana.
  2. lokasabha ki darshak dirgha aur pres dirgha par niyantran rakhana.
  3. lokasabha sadasyoan ke lie avas tatha any suvidhaoan ki vyavastha karana.
  4. lokasabha tatha usaki samitiyoan ki baithakoan ki vyavastha karana.
  5. sansadiy karyavahi ke abhilekhoan ko surakshit rakhane ki vyavastha karana.
  6. lokasabha ke sadasyoan tatha karmachariyoan ke jivan aur sadan ki sampatti ki suraksha ki upayukt vyavastha karana.
  7. lokasabha ke sadasyoan ka tyagapatr svikar karana athava use is adhar par asvikar karana ki tyagapatr vivashata ke karan diya gaya hai.

  vidhayi tatha any kary

vidhayi tatha any karyoan ke sambandh mean adhyaksh ko nimnalikhat shaktiyaan prapt haian-

  1. lokasabha dvara parit vidheyak ko pramanit karana.
  2. koee vidheyak dhan vidheyak hai ya nahian, isaka nirnay karana.
  3. lokasabha tatha rajyasabha ki sanyukt baithakoan ki adhyakshata karana.
  4. rashtrapati tatha lokasabha ke bich sampark sootr ke roop mean kary karana.
  5. arntasansadiy sangh mean bharatiy sansadiy dal ke neta ke roop mean kary karana.
  6. bharat mean vidhayikaoan ke pithasin adhikariyoan ke sammelan ki adhyakshata karana.
  7. videsh jane vale sansadiy shishtamandal ke lie sadasyoan ko manonit karana.
  8. lokasabha ke dvara parit vidheyak ki spasht trutiyoan ka door karana.
  9. dal badal qanoon ka ullaghann karane vale lokasabha ke sadasyoan ko sadan ki sadasyata ke ayogy ghoshit karana.