Difference between revisions of "सीता हरण"

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[[चित्र:Sita-Haran-Ramlila-Mathura-5.jpg|सीता हरण, [[रामलीला]], [[मथुरा]]<br /> Kidnapping of Sita, Ramlila, Mathura|thumb|250px]]
 
[[चित्र:Sita-Haran-Ramlila-Mathura-5.jpg|सीता हरण, [[रामलीला]], [[मथुरा]]<br /> Kidnapping of Sita, Ramlila, Mathura|thumb|250px]]
वनवास के समय, एक राक्षस ने [[सीता]] का हरण किया था। यह राक्षस, जिसका नाम [[रावण]] था, [[लंका]] का राजा था। रामायण के अनुसार, सीता और [[लक्ष्मण]] [[कुटिया]] में अकेले थे तब एक हिरण की वाणी सुन कर सीता परेशान हो गयी। वह हिरन कोई और नहीं बल्कि रावण का मामा [[मारीच]] था उसने रावण के कहने पर सुनहरे हिरन का रूप बनाया सीता उसे देख कर मोहित हो गयीं और उन्होंने [[राम|श्रीराम]] से उस हिरन का शिकार करने का अनुरोध किया । श्रीराम अपनी भार्या की इच्छा पूरी करने चल पडे और लक्ष्मण से सीता की रक्षा करने को कहा मारीच श्रीराम को बहुत दूर ले गया मौक़ा मिलते ही श्रीराम ने तीर चलाया और हिरन बने मारीच का वध कर दिया मरते मरते मारीच ने ज़ोर से "हे सीता ! हे लक्ष्मण" की आवाज़ लगायी उस आवाज़ को सुन सीता चिन्तित हो गयीं और उन्होंने लक्ष्मण को भी श्रीराम के पास जाने को कहा लक्ष्मण जाना नहीं चाहते थे पर अपनी भाभी की बात को ना न कर सके। लक्ष्मण ने जाने से पहले एक रेखा खीची, जिसे लक्ष्मण रेखा के नाम से जाना जाता है। लक्ष्मण के जाने के पश्चात संन्यासी का वेष धारण कर रावण सीता के पास आया और उन्हें हरण कर के ले गया ।
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वनवास के समय, एक राक्षस ने [[सीता]] का हरण किया था। यह राक्षस, जिसका नाम [[रावण]] था, [[लंका]] का राजा था। रामायण के अनुसार, सीता और [[लक्ष्मण]] [[कुटिया]] में अकेले थे तब एक हिरण की वाणी सुन कर सीता परेशान हो गयी। वह हिरन कोई और नहीं बल्कि रावण का मामा [[मारीच]] था उसने रावण के कहने पर सुनहरे हिरन का रूप बनाया सीता उसे देख कर मोहित हो गयीं और उन्होंने [[राम|श्रीराम]] से उस हिरन का शिकार करने का अनुरोध किया । श्रीराम अपनी भार्या की इच्छा पूरी करने चल पडे और लक्ष्मण से सीता की रक्षा करने को कहा मारीच श्रीराम को बहुत दूर ले गया मौक़ा मिलते ही श्रीराम ने तीर चलाया और हिरन बने मारीच का वध कर दिया मरते मरते मारीच ने ज़ोर से "हे सीता ! हे लक्ष्मण" की आवाज़ लगायी उस आवाज़ को सुन सीता चिन्तित हो गयीं और उन्होंने लक्ष्मण को भी श्रीराम के पास जाने को कहा लक्ष्मण जाना नहीं चाहते थे पर अपनी भाभी की बात को ना न कर सके। लक्ष्मण ने जाने से पहले एक रेखा खीची, जिसे लक्ष्मण रेखा के नाम से जाना जाता है। लक्ष्मण के जाने के पश्चात् संन्यासी का वेष धारण कर रावण सीता के पास आया और उन्हें हरण कर के ले गया ।
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{रामायण}}
 
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Latest revision as of 07:34, 7 November 2017

[[chitr:Sita-Haran-Ramlila-Mathura-5.jpg|sita haran, ramalila, mathura
Kidnapping of Sita, Ramlila, Mathura|thumb|250px]] vanavas ke samay, ek rakshas ne sita ka haran kiya tha. yah rakshas, jisaka nam ravan tha, lanka ka raja tha. ramayan ke anusar, sita aur lakshman kutiya mean akele the tab ek hiran ki vani sun kar sita pareshan ho gayi. vah hiran koee aur nahian balki ravan ka mama marich tha usane ravan ke kahane par sunahare hiran ka roop banaya sita use dekh kar mohit ho gayian aur unhoanne shriram se us hiran ka shikar karane ka anurodh kiya . shriram apani bharya ki ichchha poori karane chal pade aur lakshman se sita ki raksha karane ko kaha marich shriram ko bahut door le gaya mauqa milate hi shriram ne tir chalaya aur hiran bane marich ka vadh kar diya marate marate marich ne zor se "he sita ! he lakshman" ki avaz lagayi us avaz ko sun sita chintit ho gayian aur unhoanne lakshman ko bhi shriram ke pas jane ko kaha lakshman jana nahian chahate the par apani bhabhi ki bat ko na n kar sake. lakshman ne jane se pahale ek rekha khichi, jise lakshman rekha ke nam se jana jata hai. lakshman ke jane ke pashchath sannyasi ka vesh dharan kar ravan sita ke pas aya aur unhean haran kar ke le gaya .

sanbandhit lekh

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