जिसहि न कोइ तिसहि -कबीर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
जिसहि न कोइ तिसहि -कबीर
कवि कबीर
जन्म 1398 (लगभग)
जन्म स्थान लहरतारा ताल, काशी
मृत्यु 1518 (लगभग)
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ साखी, सबद और रमैनी
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कबीर की रचनाएँ

जिसहि न कोइ तिसहि तूँ तिस सब कोइ।
दरगह तेरी साँइयाँ, नाँमहरूँम न होइ॥

अर्थ सहित व्याख्या

कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! जिसका कोई नहीं है, उसका भी आश्रय तू ही है। जिसे तेरा आश्रय प्राप्त है, उसको सभी के आश्रय स्वत: प्राप्त हो जाते हैं। हे प्रभु ! तेरे दरबार में कोई वञ्चित नहीं रहता अर्थात् तेरी कृपा सब को प्राप्त होती है।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः