माँइ बिड़ाँणी बाप बिड़ -कबीर
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माँइ बिड़ाँणी बाप बिड़, हम भी मंझि बिड़ाँह। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! जगत् में सारे सम्बन्ध क्षणिक और संयोगजनक हैं। माँ भी पराई है, पिता भी पराया है और हम सब भी पराए लोगों के बीच में हैं। इनमें से कोई अपना निजी व्यक्ति नहीं है। संसार में हम लोग उसी प्रकार संयोगवश मिल जाते हैं जैसे भिन्न-भिन्न स्थानों से आई हुई नौकाएँ समुद्र या नदी में अकस्मात् मिल जाती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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