राम नाईक
राम नाईक
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पूरा नाम | राम नाईक |
जन्म | 16 अप्रैल, 1934 |
जन्म भूमि | सांगली, महाराष्ट्र |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | भारतीय जनता पार्टी |
पद | राज्यपाल, (उत्तर प्रदेश) |
कार्य काल | 22 जुलाई 2014 से अब तक |
शिक्षा | परास्नातक (एल. एल. बी.) |
विद्यालय | डब्लिन यूनिवर्सिटी |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म भूषण, 2024 |
विशेष योगदान | इनको उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर मनोनीत करने के बाद 5 अगस्त 2014 को राजस्थान के राज्यपाल के नाते भी मनोनीत करने के बाद राम नाईक ने 8 अगस्त 2014 से 3 सितम्बर 2014 तक राजस्थान के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्य-भार संभाला। |
संबंधित लेख | राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल, इन्दिरा गाँधी |
अन्य जानकारी | राम नाईक अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में गठित मंत्री परिषद में 13 अक्टूबर 1999 से 13 मई 2004 तक ये पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री रहे। 1963 में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय का गठन हुआ। तब से अब तक लगातार पांच वर्ष कार्यरत वे एकमेव पेट्रोलियम मंत्री रहे। |
अद्यतन | 12:07, 8 फ़रवरी 2024 (IST)
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राम नाईक (अंग्रेज़ी: Ram Naik, जन्म- 16 अप्रैल, 1934 सांगली, महाराष्ट्र) भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल रहे हैं। ये महाराष्ट्र के लोगों में बहुत प्रसिद्ध हैं। राम नाईक ने महाराष्ट्र के मुंबई लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से लगातार पांच बार जीतने का कीर्तिमान बनाया है।[1] भारत सरकार ने 2024 में पूर्व राज्यपाल राम नाईक को पद्म भूषण से सम्मानित किया है। राम नाईक भारतीय राजनीति के बेबाक नेताओं में से एक हैं। अपने लंबे सामाजिक और राजनीतिक जीवन में उन्होंने लोगों की समस्याओं को प्राथमिकता दी। अपनी कार्यशैली की वजह से राम नाईक सक्रिय राजनीति से दूर होने के बावजूद भी लोगों के मानस में बने रहे हैं।
परिचय एवं शिक्षा
राम नाईक का जन्म 16 अप्रैल 1934 को महाराष्ट्र के सांगली में हुआ। विद्यालयीन शिक्षा सांगली ज़िले के आटपाडी गांव में हुई। पुणे में बृहन् महाराष्ट्र वाणिज्य महाविद्यालय से 1954 में बी. कॉम. तथा मुंबई में किशनचंद चेलाराम महाविद्यालय से 1958 में एल. एल. बी. की स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की।
कॅरियर
इन्होंने अपना व्यावसायिक जीवन ‘अकाउंटैंट जनरल’ के कार्यालय में अपर श्रेणी लिपिक के नाते शुरु किया। बाद में उनकी उच्च पदों पर उन्नति हुई और 1969 तक निजी क्षेत्र में कंपनी सचिव तथा प्रबंध सलाहकार के नाते उन्होंने कार्य किया। ये बचपन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं।
राजनीतिक गतिविधियाँ
- राम नाईक ने महाराष्ट्र के उत्तर मुंबई लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से लगातार पांच बार जीतने का कीर्तिमान बनाया है, इसके पूर्व तीन बार वे महाराष्ट्र विधानसभा में बोरीवली से विधायक भी रहे हैं।
- तेरहवीं लोकसभा चुनाव में उन्हें 5,17,941 मत प्राप्त हुए जो कि महाराष्ट्र के सभी जीतने वाले सांसदों में सर्वाधिक थे। मुंबई में सफलतापूर्वक लगातार आठ बार चुनाव जीतने का कीर्तिमान स्थापित करने वाले श्री नाईक पहले लोक प्रतिनिधि हैं।
- राज्यपाल का दायित्व सम्भालने के बाद भी इन्होंने पहले वर्ष का कार्यवृत्त ‘राजभवन में राम नाईक’ 20 अक्टूबर 2014 को प्रस्तुत किया। इस प्रकार का कार्यवृत्त प्रस्तुत करने वाले वे देश में पहले राज्यपाल हैं।[1]
- आदरणीय भारत के राष्ट्रपति ने 14 जुलाई, 2014 को राम नाईक को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर मनोनीत करने के बाद श्री नाईक ने 22 जुलाई 2014 को लखनऊ में पद ग्रहण किया और 5 अगस्त 2014 को राजस्थान के राज्यपाल के नाते भी मनोनीत करने के बाद राम नाईक ने 8 अगस्त 2014 से 3 सितम्बर 2014 तक राजस्थान के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार संभाला।
- अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में गठित मंत्री परिषद में 13 अक्टूबर 1999 से 13 मई 2004 तक ये पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री रहे। 1963 में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय का गठन हुआ। तब से अब तक लगातार पांच वर्ष कार्यरत वे एकमेव पेट्रोलियम मंत्री रहे।
- पेट्रोलियम मंत्री के रुप में राम नाईक ने अक्टूबर 1999 में पदभार संभाला। उस समय 1 करोड़ 10 लाख ग्राहक घरेलू गैस की प्रतीक्षा-सूची में थे। यह घरेलू गैस की प्रतीक्षा-सूची समाप्त करने के साथ-साथ कुल 3 करोड़ 50 लाख नये गैस कनेक्शन श्री नाईक ने अपने कार्यकाल में जारी करवाए।
- राम नाईक ने संसद में ‘वंदे मातरम’ और 'जन गण मन' का गान प्रारंभ करवाया। उनके प्रयासों के फलस्वरूप ही अंग्रेज़ी में ‘बॉम्बे’ और हिन्दी में ‘बंबई’ को उसके असली मराठी नाम ‘मुंबई’ में परिवर्तित करने में सफलता मिली।
- संसद के दोनों सदनों के सत्र की शुरुआत में जन गण मन और समापन पर वंदेमातरम की परंपरा का शत-प्रतिशत श्रेय रामनाईक को है। स्वयं रामनाईक इसे अपने संसदीय जीवन की सर्वोत्तम उपलब्धि मानते हैं।
- इसके बाद कई महानगरों के नाम बदल कर उनको स्थानीय नामों में परिवर्तित किया गया, जैसे मद्रास से चेन्नई, कलकत्ता से कोलकाता, बैंगलोर से बंगलुरू, त्रिवेन्द्रम से तिरुअनन्तपुरम आदि।
- राम नाईक को 1994 में कैंसर की दुर्धर बीमारी हुई परंतु राम नाईक ने उस रोग को भी मात दी, तत्पश्चात् इसे जीवन का बोनस समझ कर विगत 21 वर्षों में पहले जैसे उसी उत्साह और कार्यक्षमता से वे काम कर रहे हैं।
- आदरणीय राष्ट्रपति द्वारा उत्तर प्रदेश के राज्यपाल नियुक्त किए जाने की घोषणा के बाद 15 जुलाई 2014 को राम नाईक ने भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तथा सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।[1]
- तत्पश्चात् 22 जुलाई 2014 को लखनऊ में पद ग्रहण करके ये उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में अब तक सुशोभित हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 श्री राम नाईक (हिंदी) upgovernor.gov.in। अभिगमन तिथि: 14 अक्टूबर, 2016।