मोतीलाल वोरा
मोतीलाल वोरा
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पूरा नाम | मोतीलाल वोरा |
जन्म | 20 दिसम्बर, 1928 |
जन्म भूमि | नागौर ज़िला, राजस्थान |
मृत्यु | 21 दिसंबर, 2020 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली |
अभिभावक | पिता- मोहनलाल वोरा, माता- अंबा बाई |
पति/पत्नी | पत्नी- शांति देवी वोरा |
नागरिकता | भारतीय |
कार्य काल | मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश (दो बार) प्रथम- 13 मार्च 1985 से 13 फ़रवरी 1988 तक |
अन्य जानकारी | 13 मार्च, 1985 में मोतीलाल वोरा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तथा 13 फ़रवरी, 1988 में इन्होंने मुख्यमंत्री पद से त्याग पत्र दे दिया। |
अद्यतन | 17:03, 20 अक्टूबर 2016 (IST)
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मोतीलाल वोरा (अंग्रेज़ी: Motilal Vora जन्म- 20 दिसम्बर, 1928, नागौर ज़िला, राजस्थान; मृत्यु- 21 दिसंबर, 2020, दिल्ली) मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री व उत्तर प्रदेश के राज्यपाल थे।[1] वे दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 2000 से 2018 तक वह पार्टी के कोषाध्यक्ष भी रहे थे। मोतीलाल वोरा के बाद अहमद पटेल को कोषाध्यक्ष बनाया गया था। 1972 में मोतीलाल वोरा ने मध्य प्रदेश विधान सभा से चुनाव जीता और मध्य प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के उपाध्यक्ष नियुक्त हुए। बाद में 1977 और 1980 में पुनः मध्य प्रदेश विधान सभा में चुने गये थे। सन 1980 में अर्जुन सिंह मंत्रिमण्डल में उन्हें उच्च शिक्षा विभाग का दायित्व सौंपा गया था।
परिचय
मोतीलाल वोरा का जन्म राजस्थान के नागौर जिले में 20 दिसम्बर, 1928 में हुआ था। उन्होंने रायपुर और कलकत्ता से शिक्षा प्राप्त की। उनके माता-पिता मोहनलाल वोरा और अंबा बाई थे। मोतीलाल वोरा का विवाह शांति देवी वोरा से हुआ। अनेक वर्षो तक पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करते हुए मोतीलाल वोरा ने कई समाचार पत्रों का प्रतिनिधित्व किया। सन 1968 में वे राजनीतिक क्षितिज पर उभर कर आये।
मोतीलाल वोरा को लोग प्यार से 'दद्दू' भी बुलाते थे। उनके बारे में मशहूर था कि बतौर कोषाध्यक्ष वे पार्टी की पाई-पाई का हिसाब रखा रखते थे और एक पैसा भी कोई फिजूल खर्च नहीं करा सकता था। मोतीलाल वोरा खुद एक पत्रकार रह चुके थे और कई अखबारों में उन्होंने अपनी पारी निभाई। यही वजह है कि वे पत्रकारों के बीच बेहद लोकप्रिय थे। हालांकि उन्हें पत्रकारों की गुगली से बचना खूब आता था और कभी भी किसी विवाद में नहीं पड़े।
कर्तव्यनिष्ठा
पार्टी के हेड क्वार्टर में कोई रहे ना रहे मोतीलाल वोरा दस्तूर के तौर पर हर दिन पार्टी दफ्तर में जरूर आते थे। 24 अकबर रोड पर कोई भी मददगार या कार्यकर्ता आता था तो मोतीलाल वोरा से आसानी से मुलाकात कर सकता था। मोतीलाल वोरा ने लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी के संगठन में काम किया। वह गांधी परिवार के वफादार माने जाते थे। 26 जनवरी हो या पार्टी का कोई और कार्यक्रम मोतीलाल वोरा हमेशा सोनिया गांधी के दाएं-बाएं नजर आते थे।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री
मोतीलाल वोरा ने 1972 में मध्य प्रदेश विधान सभा से चुनाव जीता और मध्य प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के उपाध्यक्ष नियुक्त हुए। बाद में 1977 और 1980 में मोतीलाल वोरा पुनः मध्य प्रदेश विधान सभा में चुने गये। सन 1980 में अर्जुन सिंह मंत्रिमण्डल में उन्हें उच्च शिक्षा विभाग का दायित्व सौंपा गया था। मोतीलाल वोरा 1983 में केबिनेट मंत्री हुए। इसके बाद वे मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नियुक्ति हुए। 13 मार्च, 1985 में वह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
हुआ यह कि 1985 विधानसभा चुनावों में मिली जीत के बाद अर्जुन सिंह ने 9 मार्च, 1985 को सीएम पद की शपथ ले ली। शपथ लेने के बाद 10 मार्च को वह राजीव गांधी के पास मंत्रिमंडल की सूची लेकर गए। लेकिन राजीव गांधी अब मध्य प्रदेश की राजनीति में अर्जुन सिंह को नहीं चाहते थे। उन्होंने दो टूक शब्दों में कह दिया कि अपनी पसंद के सीएम का नाम बताकर पंजाब पहुंच जाओ। उसके बाद अर्जुन सिंह ने मोतीलाल वोरा का नाम सुझाया था।[2]
उसके बाद अर्जुन सिंह ने अपने बेटे अजय सिंह को फोन किया कि मोतीलाल वोरा को स्पेशल विमान से लेकर दिल्ली आ जाओ। स्पेशल विमान से अजय सिंह वोरा को लेकर दिल्ली रवाना हो गए। वोरा को कुछ समक्ष नहीं आ रहा था। वह अजय सिंह से अर्जुन सिंह की कैबिनेट में मंत्री बनने के लिए सिफारिश करवा रहे थे। उस समय रूस दौरे पर निकल रहे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से उनकी पालम एयरपोर्ट पर मुलाकात हुई। मोतीलाल वोरा को देखते ही राजीव गांधी ने उन्हें कह दिया कि आप मध्य प्रदेश के सीएम हैं। इस दौरान वहां अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह मौजूद थे।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल
13 फ़रवरी, 1988 में मोतीलाल वोरा ने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देकर 14 फ़रवरी, 1988 में केन्द्र में स्वास्थ्य परिवार कल्याण और नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार ग्रहण किया। अप्रैल 1988 में वे मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिये चुने गये। मोतीलाल वोरा 26 मई, 1993 से 3 मई, 1996 तक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के पद पर आसीन रहे।
मृत्यु
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का 93 साल की उम्र में 21 दिसंबर, 2020 को निधन हुआ। खराब सेहत की वजह से उनका दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। 20 दिसंबर को उनका जन्मदिन था। मोतीलाल वोरा को दो दिन पहले ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इससे पहले वह कोविड-19 से भी संक्रमित हुए थे। उस वक्त उनका इलाज एम्स, दिल्ली में किया गया था। इलाज के बाद वह ठीक हो गए थे और अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके थे।
उनके निधन पर कांग्रेस के तमाम नेताओं ने अपना दु:ख प्रकट किया। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, "वोरा जी एक सच्चे कांग्रेसी और अद्भुत इंसान थे। हम उन्हें बहुत मिस करेंगे। उनके परिवार और दोस्तों को मेरा प्यार"।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ श्री मोतीलाल वोरा (हिंदी) upgovernor.gov.in। अभिगमन तिथि: 08 अक्टूबर, 2016।
- ↑ प्लेन में मंत्री बनने के लिए मोतीलाल वोरा कर रहे थे सिफारिश, राजीव गांधी ने बना दिया था (हिंदी) navbharattimes.indiatimes.com। अभिगमन तिथि: 20 दिसंबर, 2020।