हिन्दू मुए राँम कहि -कबीर
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हिन्दू मुए राँम कहि, मूसलमान खुदाइ। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! हिन्दू लोग परमतत्व के लिए ‘राम-राम’ रटते हुए और मुसलमान ‘खुदा’ में सीमित करके विनष्ट हो गये। कबीर कहते हैं कि वास्तव में वही जीवित हैं जो राम और खुदा में भेद नहीं करता और दोनों में व्याप्त अद्वैत-तत्त्व को ही देखता है। जीवन की सार्थकता इस भेद-बुद्धि से ऊपर उठना है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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