कमायचा
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thumb|250px|कमायचा कमायचा (अंग्रेज़ी: Kamaycha) दुनिया के सबसे पुराने वाद्य यंत्रों में से एक है। यह राजस्थान के लोक संगीत का दिल और आत्मा है। यह प्राचीन वाद्य यंत्र ज्यादातर आम के पेड़ की लकड़ी के एक टुकड़े से बनाया जाता है और इसके गोल हिस्से पर बकरियों की खाल का प्रयोग किया जाता है। खेजड़ी के पेड़ की लकड़ी से धनुष और घोड़े के बालों से उसकी डोरी बनाई जाती है। जिससे यह वाद्य यंत्र बजाया जाता है।[1]
- कमायचा वाद्य यंत्र की मदद से पुरानी कहानियों, प्राचीन इतिहास, सूफी कथाओं और कई अन्य लोककथाओं का चित्रण आज भी किया जाता है।
- मांगणियार समुदाय में आज भी यह काफी प्रचलन में है।
- यह वाद्य यंत्र राजस्थान के जैसलमेर-बाड़मेर जिलों में अधिक पाया जाता है।
[[चित्र:Kamaicha-of-Rajasthan-stamp.jpg|thumb|250px|कमायचा पर डाक टिकट]]
- पुराने दिनों में मांगणियार समुदाय जोधपुर के राजघरानों के लिए संगीत बजाता था। वर्तमान समय में उनमें से कुछ अभी भी इस वाद्य यंत्र से अपना जीवन यापन करते हैं। आज भी विदेशों से आये पर्यटकों के लिए ये लोग राज्य के इतिहास के बारे में ज्ञान प्रदान करते हुए इस वाद्य यंत्र का प्रयोग करते हैं और इसके अतिरिक्त रोमांचक लोक कथाओं के साथ विभिन्न पर्यटकों का मनोरंजन एवं स्वागत करते हैं।
- सबसे सरल कमायचा को बनाने में एक दर्जन तार का प्रयोग किया जाता है, जबकि अधिक जटिल कमायचा में 17 तार तक होते हैं।
- कमायचा की मधुर धुनों के निर्माण में इसका हर भाग एक भूमिका निभाता है, हालांकि वाद्य यंत्र का सबसे महत्वपूर्ण टुकड़ा गुंजयमान यंत्र है, जो इसकी अनूठी ध्वनि बनाने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कमायचा वाद्य यंत्र क्या है? (हिंदी) go4prep.com। अभिगमन तिथि: 06 मार्चaccessyear=2024, {{{accessyear}}}।
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