बुंदेलखंड मराठों का शासन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति")
m (Text replace - " सन " to " सन् ")
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 1: Line 1:
[[बुंदेलखंड का इतिहास|बुंदेलखंड के इतिहास]] में मराठों का शासन [[बुंदेलखंड]] पर [[छत्रसाल]] के समय से ही प्रारंभ हो गया था। उस समय [[मराठा साम्राज्य|मराठों]] को [[ओरछा]] का शासक भी चौथ देता था। उत्तर [[भारत]] में अंग्रेज़ी शासन [[दिल्ली]] के मुसलमान शासकों द्वारा अराजकता फैलाने के कारण फैलता जा रहा था। [[अहमदशाह अब्दाली]] के विरुद्ध युद्ध में सन 1759 में गोविन्दराव पतं मारे गए थे।
[[बुंदेलखंड का इतिहास|बुंदेलखंड के इतिहास]] में मराठों का शासन [[बुंदेलखंड]] पर [[छत्रसाल]] के समय से ही प्रारंभ हो गया था। उस समय [[मराठा साम्राज्य|मराठों]] को [[ओरछा]] का शासक भी चौथ देता था। उत्तर [[भारत]] में अंग्रेज़ी शासन [[दिल्ली]] के मुसलमान शासकों द्वारा अराजकता फैलाने के कारण फैलता जा रहा था। [[अहमदशाह अब्दाली]] के विरुद्ध युद्ध में सन् 1759 में गोविन्दराव पतं मारे गए थे।


अंग्रेज़ों का बुंदेलखंड में आगमन हानिकारक सिद्ध हुआ था। [[कालपी]] पर कर्नल वेलेज़ली ने सन 1778 में  आक्रमण किया और उसमें मराठों को हराया था। कालांतर में [[नाना फड़नवीस]] की सलाह मे माधव नारायण को [[पेशवा]] बनाया गया तथा मराठों और अंग्रेज़ों में संधि हो गई।
अंग्रेज़ों का बुंदेलखंड में आगमन हानिकारक सिद्ध हुआ था। [[कालपी]] पर कर्नल वेलेज़ली ने सन् 1778 में  आक्रमण किया और उसमें मराठों को हराया था। कालांतर में [[नाना फड़नवीस]] की सलाह में माधव नारायण को [[पेशवा]] बनाया गया तथा मराठों और अंग्रेज़ों में संधि हो गई।


अंग्रेज़ों नें बुंदेलखंड पर कब्ज़ा हिम्मत बहादुर की सहायता से किया था। सन 1818 ई. तक बुंदेलखंड के अधिकांश भाग अंग्रेज़ों के अधीन हो गए।
अंग्रेज़ों नें बुंदेलखंड पर कब्ज़ा हिम्मत बहादुर की सहायता से किया था। सन् 1818 ई. तक बुंदेलखंड के अधिकांश भाग अंग्रेज़ों के अधीन हो गए।


{{प्रचार}}
{{प्रचार}}

Latest revision as of 14:10, 6 March 2012

बुंदेलखंड के इतिहास में मराठों का शासन बुंदेलखंड पर छत्रसाल के समय से ही प्रारंभ हो गया था। उस समय मराठों को ओरछा का शासक भी चौथ देता था। उत्तर भारत में अंग्रेज़ी शासन दिल्ली के मुसलमान शासकों द्वारा अराजकता फैलाने के कारण फैलता जा रहा था। अहमदशाह अब्दाली के विरुद्ध युद्ध में सन् 1759 में गोविन्दराव पतं मारे गए थे।

अंग्रेज़ों का बुंदेलखंड में आगमन हानिकारक सिद्ध हुआ था। कालपी पर कर्नल वेलेज़ली ने सन् 1778 में आक्रमण किया और उसमें मराठों को हराया था। कालांतर में नाना फड़नवीस की सलाह में माधव नारायण को पेशवा बनाया गया तथा मराठों और अंग्रेज़ों में संधि हो गई।

अंग्रेज़ों नें बुंदेलखंड पर कब्ज़ा हिम्मत बहादुर की सहायता से किया था। सन् 1818 ई. तक बुंदेलखंड के अधिकांश भाग अंग्रेज़ों के अधीन हो गए।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख