रुपनारायण उदयपुर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(7 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
*[[उदयपुर]] [[राजस्थान]] का एक ख़ूबसूरत शहर है और [[उदयपुर पर्यटन]] का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है।  
*[[उदयपुर]] [[राजस्थान]] का एक ख़ूबसूरत शहर है और [[उदयपुर पर्यटन]] का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है।  
*रुपनारायण का प्रसिद्ध विष्णु मंदिर उदयपुर में चारभुजा से करीब तीन मील की दूरी पर सेवंत्री गाँव में स्थित है।  
*रुपनारायण का प्रसिद्ध [[विष्णु]] मंदिर उदयपुर में चारभुजा से क़रीब तीन मील की दूरी पर सेवंत्री गाँव में स्थित है।  
*इस मंदिर की स्थापना सन् 1652 (विक्रम संवत् 1709) में हुई थी।
*इस मंदिर की स्थापना सन् 1652 (विक्रम संवत् 1709) में हुई थी।
*यह मंदिर महाराणा जगत सिंह (प्रथम) के राज्यकाल में मड़तिया राठोड़ चांदा के पौत्र और रामदास के पुत्र जगतसिंह ने कोठारीकुंभा के सहयोग से बनवाया था।  
*यह मंदिर महाराणा जगत सिंह (प्रथम) के राज्यकाल में मड़तिया राठोड़ चांदा के पौत्र और रामदास के पुत्र जगतसिंह ने कोठारीकुंभा के सहयोग से बनवाया था।  
*पहले के मंदिर का कुछ अंश नष्ट हो गया था, जिससे उसी के स्थान पर यह नया मंदिर बनवाया गया है।
*पहले के मंदिर का कुछ अंश नष्ट हो गया था, जिससे उसी के स्थान पर यह नया मंदिर बनवाया गया है।
==सम्बंधित लिंक==
{{प्रचार}}
 
{{लेख प्रगति
{{उदयपुर के दर्शनीय स्थल}}
|आधार=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=  
|पूर्णता=  
|शोध=
}}
==संबंधित लेख==
{{राजस्थान के पर्यटन स्थल}}
[[Category:राजस्थान]][[Category:उदयपुर_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:पर्यटन_कोश]]__INDEX__
[[Category:राजस्थान]][[Category:उदयपुर_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:पर्यटन_कोश]]__INDEX__

Latest revision as of 06:03, 8 August 2012

  • उदयपुर राजस्थान का एक ख़ूबसूरत शहर है और उदयपुर पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है।
  • रुपनारायण का प्रसिद्ध विष्णु मंदिर उदयपुर में चारभुजा से क़रीब तीन मील की दूरी पर सेवंत्री गाँव में स्थित है।
  • इस मंदिर की स्थापना सन् 1652 (विक्रम संवत् 1709) में हुई थी।
  • यह मंदिर महाराणा जगत सिंह (प्रथम) के राज्यकाल में मड़तिया राठोड़ चांदा के पौत्र और रामदास के पुत्र जगतसिंह ने कोठारीकुंभा के सहयोग से बनवाया था।
  • पहले के मंदिर का कुछ अंश नष्ट हो गया था, जिससे उसी के स्थान पर यह नया मंदिर बनवाया गया है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख