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बस्तर में 14 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध से [[काकतीय वंश]] का शासन रहा है। काकतीय वंश का उदय [[दक्षिण भारत]] के तेलंगाना राज्य से माना जाता है। [[शिलालेख|शिलालेखों]] से प्राप्त जानकारी एवं विद्वानों के शोध से यह पता चला कि बस्तर के राजा काकतीय तथा [[पाण्ड्य राजवंश]] में उत्पन्न हुए। काकतीय वंश के राजाओं का राज्य दक्षिण के [[वारंगल]] में था। वहाँ के राजा प्रतापरूद्र देव के छोटे भ्राता आत्म देव ने [[वारंगल]] से पलायन कर दक्षिण में दण्डकारण्य क्षेत्र में आश्रय लिया एवं संघर्ष कर काकतीय वंश की नींव रखी।  
==कृषि और उद्योग==
==कृषि और उद्योग==
इसका अधिकांश भाग [[कृषि]] के अयोग्य है। यहाँ जंगल अधिक हैं जिनमें [[गोंड]] एवं अन्य आदिवासी जातियाँ निवास करती हैं। जगंलों में टीक तथा साल के पेड़ प्रमुख हैं। यहाँ की स्थानांतरित कृषि में धान तथा कुछ मात्रा में [[ज्वार]], [[बाजरा]] पैदा कर लिया जाता है। [[इंद्रावती नदी|इंद्रावती]] यहाँ की प्रमुख नदी है। [[चित्रकूट]] में कई झरने भी हैं। जगदलपुर, [[बीजापुर]], कांकेर, कोंडागाँव, भानु प्रतापपुर आदि प्रमुख नगर हैं। यहाँ के आदिवासी जंगलों में लकड़ियाँ, लाख, मोम, [[शहद]], चमड़ा साफ करने तथा रँगने के [[पदार्थ]] आदि इकट्ठे करते रहते हैं। [[खनिज]] [[पदार्थ|पदार्थों]] में [[लोहा]], अभ्रक महत्वपूर्ण हैं।
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बस्तर भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। इसके उत्तर में दुर्ग, उत्तर-पूर्व में रायपुर, पश्चिम में चांदा, पूर्व में कोरापुट हैं। यह पहले एक देशी रियासत था।

इतिहास

बस्तर में 14 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध से काकतीय वंश का शासन रहा है। काकतीय वंश का उदय दक्षिण भारत के तेलंगाना राज्य से माना जाता है। शिलालेखों से प्राप्त जानकारी एवं विद्वानों के शोध से यह पता चला कि बस्तर के राजा काकतीय तथा पाण्ड्य राजवंश में उत्पन्न हुए। काकतीय वंश के राजाओं का राज्य दक्षिण के वारंगल में था। वहाँ के राजा प्रतापरूद्र देव के छोटे भ्राता आत्म देव ने वारंगल से पलायन कर दक्षिण में दण्डकारण्य क्षेत्र में आश्रय लिया एवं संघर्ष कर काकतीय वंश की नींव रखी।

कृषि और उद्योग

इसका अधिकांश भाग कृषि के अयोग्य है। यहाँ जंगल अधिक हैं जिनमें गोंड एवं अन्य आदिवासी जातियाँ निवास करती हैं। जगंलों में टीक तथा साल के पेड़ प्रमुख हैं। यहाँ की स्थानांतरित कृषि में धान तथा कुछ मात्रा में ज्वार, बाजरा पैदा कर लिया जाता है। इंद्रावती यहाँ की प्रमुख नदी है। चित्रकूट में कई झरने भी हैं। जगदलपुर, बीजापुर, कांकेर, कोंडागाँव, भानु प्रतापपुर आदि प्रमुख नगर हैं। यहाँ के आदिवासी जंगलों में लकड़ियाँ, लाख, मोम, शहद, चमड़ा साफ़ करने तथा रँगने के पदार्थ आदि इकट्ठे करते रहते हैं। खनिज पदार्थों में लोहा, अभ्रक महत्त्वपूर्ण हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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