वरदातट: Difference between revisions
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'''वरदातट''' [[विदर्भ]] अथवा [[वरदा नदी]] के तटवर्ती प्रदेश को कहा जाता था, जिसका उल्लेख [[अकबर]] के दरबारी विद्वान [[अबुल फ़ज़ल]] ने '[[आइना-ए-अकबरी]]' में भी किया है। | '''वरदातट''' [[विदर्भ]] अथवा [[वरदा नदी]] के तटवर्ती प्रदेश को कहा जाता था, जिसका उल्लेख [[अकबर]] के दरबारी विद्वान [[अबुल फ़ज़ल]] ने '[[आइना-ए-अकबरी]]' में भी किया है। | ||
*ऐसा जान पड़ता है कि वरदा या वर्धा नदी के कांठे में स्थित होने के कारण ही [[विदर्भ]] या [[बरार]] के प्रदेश को [[मुग़ल काल]] में 'वरदा' कहा जाने लगा था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=832|url=}}</ref> | *ऐसा जान पड़ता है कि [[वरदा नदी|वरदा]] या वर्धा नदी के कांठे में स्थित होने के कारण ही [[विदर्भ]] या [[बरार]] के प्रदेश को [[मुग़ल काल]] में 'वरदा' कहा जाने लगा था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=832|url=}}</ref> | ||
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Latest revision as of 13:34, 17 October 2014
वरदातट विदर्भ अथवा वरदा नदी के तटवर्ती प्रदेश को कहा जाता था, जिसका उल्लेख अकबर के दरबारी विद्वान अबुल फ़ज़ल ने 'आइना-ए-अकबरी' में भी किया है।
- ऐसा जान पड़ता है कि वरदा या वर्धा नदी के कांठे में स्थित होने के कारण ही विदर्भ या बरार के प्रदेश को मुग़ल काल में 'वरदा' कहा जाने लगा था।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 832 |