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'''कटिहार''' [[बिहार|बिहार राज्य]] का एक ज़िला है। यह [[पश्चिम बंगाल]] की सीमा पर स्थित है। इस ज़िले में बरारी गुरु बाज़ार का गुरुद्वारा प्रसिद्ध है। [[सिक्ख|सिक्खों]] के नौवें [[गुरु तेगबहादुर सिंह]] द्वारा लंगर का आयोजन कटिहार में किया गया था। यहाँ सालमारी स्टेशन के पास भगवान [[शिव]] का 'गोरखनाथ मन्दिर' और रानी इन्द्रावती की राजधानी 'सौरिया' आदि प्रसिद्ध हैं। रेल यातायात की दृष्टि से कटिहार का अधिक महत्व है। यह पूर्वोत्तर रेलवे तथा पूर्वोत्तर सीमा रेलवे का संधि स्थान है। | |||
* | *[[पश्चिम बंगाल]] की सीमा पर स्थित कटिहार बिहार प्रान्त का ज़िला है। | ||
*यह [[ | *बाल्दीबाड़ी, बेलवा, दुभी-सुभी, गोगाबिल झील, नवाबगंज, मनिहारी और कल्याणी झील आदि यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से है। | ||
* | *पूर्व समय में यह पूर्णिया ज़िले का एक हिस्सा था। इसका [[इतिहास]] बहुत ही समृद्ध रहा है। | ||
* | *कटिहार ज़िले का नाम इसके प्रमुख शहर दीघी-कटिहार के नाम पर रखा गया था। [[मुग़ल साम्राज्य]] के अधीन इस ज़िले की स्थापना सरकार तेजपुर ने की थी। | ||
*13वीं [[शताब्दी]] के आरम्भ में यहाँ पर मोहम्मद्दीन शासकों ने राज किया। 1770 ई. में जब मोहम्मद अली ख़ान पूर्णिया के गर्वनर थे, उस समय यह ज़िला ब्रिटिश सरकार के हाथ में चला गया। इसलिए बहुत लम्बे समय तक इस जगह पर कई शासकों ने राज किया। | |||
*[[2 अक्टूबर]], [[1973]] ई. को कटिहार को स्वतंत्र ज़िले के रूप में घोषित कर दिया गया। | |||
*यहाँ से रेल की एक शाखा दक्षिण की ओर गंगा नदी के किनारे स्थित मनिहारी घाट तक जाती है। मनिहारी घाट से सँकरी गली तक गंगा में स्टीमर चलता है। | |||
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कटिहार बिहार राज्य का एक ज़िला है। यह पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित है। इस ज़िले में बरारी गुरु बाज़ार का गुरुद्वारा प्रसिद्ध है। सिक्खों के नौवें गुरु तेगबहादुर सिंह द्वारा लंगर का आयोजन कटिहार में किया गया था। यहाँ सालमारी स्टेशन के पास भगवान शिव का 'गोरखनाथ मन्दिर' और रानी इन्द्रावती की राजधानी 'सौरिया' आदि प्रसिद्ध हैं। रेल यातायात की दृष्टि से कटिहार का अधिक महत्व है। यह पूर्वोत्तर रेलवे तथा पूर्वोत्तर सीमा रेलवे का संधि स्थान है।
- पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित कटिहार बिहार प्रान्त का ज़िला है।
- बाल्दीबाड़ी, बेलवा, दुभी-सुभी, गोगाबिल झील, नवाबगंज, मनिहारी और कल्याणी झील आदि यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से है।
- पूर्व समय में यह पूर्णिया ज़िले का एक हिस्सा था। इसका इतिहास बहुत ही समृद्ध रहा है।
- कटिहार ज़िले का नाम इसके प्रमुख शहर दीघी-कटिहार के नाम पर रखा गया था। मुग़ल साम्राज्य के अधीन इस ज़िले की स्थापना सरकार तेजपुर ने की थी।
- 13वीं शताब्दी के आरम्भ में यहाँ पर मोहम्मद्दीन शासकों ने राज किया। 1770 ई. में जब मोहम्मद अली ख़ान पूर्णिया के गर्वनर थे, उस समय यह ज़िला ब्रिटिश सरकार के हाथ में चला गया। इसलिए बहुत लम्बे समय तक इस जगह पर कई शासकों ने राज किया।
- 2 अक्टूबर, 1973 ई. को कटिहार को स्वतंत्र ज़िले के रूप में घोषित कर दिया गया।
- यहाँ से रेल की एक शाखा दक्षिण की ओर गंगा नदी के किनारे स्थित मनिहारी घाट तक जाती है। मनिहारी घाट से सँकरी गली तक गंगा में स्टीमर चलता है।
- भेड़ के व्यापार के लिए भी कटिहार काफ़ी प्रसिद्ध है। यहाँ गड़रियों की एक बस्ती है, जहाँ कंबल बनाए जाते हैं।[1]
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