प्रशान्त महासागर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - "सरंचना" to "संरचना")
 
(2 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 2: Line 2:
'''प्रशान्त महासागर''' विश्व का सबसे बड़ा तथा सबसे गहरा [[समुद्र]] है। तुलनात्मक भौगौलिक अध्ययन से पता चलता है कि, इस महासागर में [[पृथ्वी]] का भाग कम तथा जलीय क्षेत्र अधिक है। वैज्ञानिक अन्वेषकों तथा साहसिक नाविकों द्वारा इस महासागर के विषय में ज्ञान प्राप्त करने के अनेक प्रयत्न किए गए, तथा अब भी इसका अध्ययन जारी है। सर्वप्रथम 'पेटरब्युक' महोदय ने इसके बारे में पता लगाना आरंभ किया। इसके पश्चात्‌ 'बैलबोआ', 'मागेमेनदान्या', 'हॉरिस', 'कुकु' आदि यूरोपियनों ने प्रयत्न किया। द्वितीय विश्व महायुद्ध समाप्त होने पर [[संयुक्त राष्ट्र]] ने इसके बारे में ख़र्च के निमित्त अनेक प्रयास किए, जो सफल व्यापार तथा पूँजी विनियोग के विकास के लिये लाभदायक सिद्ध हुए। अब भी निरंतर प्रशान्त महासागर के गर्भ के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिये अन्वेषण जारी हैं।
'''प्रशान्त महासागर''' विश्व का सबसे बड़ा तथा सबसे गहरा [[समुद्र]] है। तुलनात्मक भौगौलिक अध्ययन से पता चलता है कि, इस महासागर में [[पृथ्वी]] का भाग कम तथा जलीय क्षेत्र अधिक है। वैज्ञानिक अन्वेषकों तथा साहसिक नाविकों द्वारा इस महासागर के विषय में ज्ञान प्राप्त करने के अनेक प्रयत्न किए गए, तथा अब भी इसका अध्ययन जारी है। सर्वप्रथम 'पेटरब्युक' महोदय ने इसके बारे में पता लगाना आरंभ किया। इसके पश्चात्‌ 'बैलबोआ', 'मागेमेनदान्या', 'हॉरिस', 'कुकु' आदि यूरोपियनों ने प्रयत्न किया। द्वितीय विश्व महायुद्ध समाप्त होने पर [[संयुक्त राष्ट्र]] ने इसके बारे में ख़र्च के निमित्त अनेक प्रयास किए, जो सफल व्यापार तथा पूँजी विनियोग के विकास के लिये लाभदायक सिद्ध हुए। अब भी निरंतर प्रशान्त महासागर के गर्भ के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिये अन्वेषण जारी हैं।
==क्षेत्रफल==
==क्षेत्रफल==
इसका क्षेत्रफल 6,36,34,000 वर्ग मील, अर्थात [[अटलांटिक महासागर]] के दुगुने से भी अधिक है। यह फिलिपीन्स तट से लेकर पनामा 9,455 मील चौड़ा तथा बेरिंग जलडमरूमध्य से लेकर दक्षिण ऐंटार्कटिका तक 10,492 मील लंबा है। इसका उत्तरी किनारा केवल 36 मील का बेरिंग जलडमरूमध्य द्वारा आर्कटिक सागर से जुड़ा है। इसका इतने बड़े क्षेत्र में फैले होने के कारण यहाँ के निवासी, [[वनस्पति]], पशु तथा मनुष्यों के रहन-सहन में [[पृथ्वी]] के अन्य भागों के सागरों की अपेक्षा बड़ी विभिन्नता है। प्रशान्त महासागर की औसत गहराई लगभग 14,000 फ़ुट है तथा अधिकतम गहराई लगभग 35,400 फ़ुट है, तब ग्वैम और मिंडानो के मध्य में है। यह महासागर अटलांटिक महासागर का सहवर्ती है।
इसका क्षेत्रफल 6,36,34,000 वर्ग मील, अर्थात् [[अटलांटिक महासागर]] के दुगुने से भी अधिक है। यह [[फ़िलिपीन्स]] तट से लेकर पनामा 9,455 मील चौड़ा तथा बेरिंग जलडमरूमध्य से लेकर दक्षिण ऐंटार्कटिका तक 10,492 मील लंबा है। इसका उत्तरी किनारा केवल 36 मील का बेरिंग जलडमरूमध्य द्वारा आर्कटिक सागर से जुड़ा है। इसका इतने बड़े क्षेत्र में फैले होने के कारण यहाँ के निवासी, [[वनस्पति]], पशु तथा मनुष्यों के रहन-सहन में [[पृथ्वी]] के अन्य भागों के सागरों की अपेक्षा बड़ी विभिन्नता है। प्रशान्त महासागर की औसत गहराई लगभग 14,000 फ़ुट है तथा अधिकतम गहराई लगभग 35,400 फ़ुट है, तब ग्वैम और मिंडानो के मध्य में है। यह महासागर अटलांटिक महासागर का सहवर्ती है।
====बंदरगाहों का अभाव====
====बंदरगाहों का अभाव====
इस महासागर के पूर्वी एवं पश्चिमी किनारों में बड़ा अंतर है। पूर्वी किनारे पर [[पर्वत|पर्वतों]] का क्रम फैला है, या समुद्री मैदान बहुत ही सँकरे है। इसी कारण यहाँ अच्छे-अच्छे बंदरगाहों का अभाव है, तथा सभ्यता की भी अधिक उन्नति नहीं हो पाई है। बेरिंग जलडमरूमध्य बर्फ़ से जमा रहता है, जिससे यातायात में बाधा पड़ती है। इसके विपरीत इस पश्चिमी किनारे पर पर्वत नहीं है। बल्कि कई [[द्वीप]], खाड़ियाँ, [[प्रायद्वीप]] तथा डेल्टा हैं। पश्चिमी किनारे पर [[जापान]], फ़िलिपींस, हिंदेशिया आदि के लगभग 7,000 द्वीप हैं। इसके किनारे पर विश्व की बड़ी-बड़ी नदियाँ इसमें गिरती हैं, जिनके डेल्टाओं में घनी जनसंख्या बसी है।
इस महासागर के पूर्वी एवं पश्चिमी किनारों में बड़ा अंतर है। पूर्वी किनारे पर [[पर्वत|पर्वतों]] का क्रम फैला है, या समुद्री मैदान बहुत ही सँकरे है। इसी कारण यहाँ अच्छे-अच्छे बंदरगाहों का अभाव है, तथा सभ्यता की भी अधिक उन्नति नहीं हो पाई है। बेरिंग जलडमरूमध्य बर्फ़ से जमा रहता है, जिससे यातायात में बाधा पड़ती है। इसके विपरीत इस पश्चिमी किनारे पर पर्वत नहीं है। बल्कि कई [[द्वीप]], खाड़ियाँ, [[प्रायद्वीप]] तथा डेल्टा हैं। पश्चिमी किनारे पर [[जापान]], फ़िलिपींस, हिंदेशिया आदि के लगभग 7,000 द्वीप हैं। इसके किनारे पर विश्व की बड़ी-बड़ी नदियाँ इसमें गिरती हैं, जिनके डेल्टाओं में घनी जनसंख्या बसी है।
Line 8: Line 8:
प्रशान्त महासागर की आकृति त्रिभुजकार है। इसका शीर्ष बेरिंग जलडमरूमध्य पर है, जो घोड़े के खुर की आकृति का है और [[ज्वालामुखी पर्वत|ज्वालामुखी पर्वतों]] तथा छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ बेसिन बनाता है। [[अमरीका]] का पश्चिमी तट 'प्यूजेट साउंड' (Puget Sound) से अलैस्का तक बर्फीली चट्टानों से युक्त है। उत्तर की ओर अल्यूशैन द्वीप का वृत्तखंड है, जो साइबेरिया के समीपवर्ती भागों से होता हुआ बेरिंग सागर तक चला गया है। मुख्य द्वीप प्रशान्त महासागर के पश्चिमी किनारे से होकर कैमचैटका [[प्रायद्वीप]] के उत्तर और [[आस्ट्रेलिया]] के उत्तर-पूर्व की ओर फैले हुए हैं। ये हिंदेशिया के वृत्तखंड से जुड़ जाते हैं। भूविज्ञानियो ने इस बात का पता लगाना चाहा कि इस महासागर का निर्माण प्रारंभ में कैसे हुआ, लेकिन वे कोई भी सर्वमान्य सिद्धांत न निकाल पाए।
प्रशान्त महासागर की आकृति त्रिभुजकार है। इसका शीर्ष बेरिंग जलडमरूमध्य पर है, जो घोड़े के खुर की आकृति का है और [[ज्वालामुखी पर्वत|ज्वालामुखी पर्वतों]] तथा छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ बेसिन बनाता है। [[अमरीका]] का पश्चिमी तट 'प्यूजेट साउंड' (Puget Sound) से अलैस्का तक बर्फीली चट्टानों से युक्त है। उत्तर की ओर अल्यूशैन द्वीप का वृत्तखंड है, जो साइबेरिया के समीपवर्ती भागों से होता हुआ बेरिंग सागर तक चला गया है। मुख्य द्वीप प्रशान्त महासागर के पश्चिमी किनारे से होकर कैमचैटका [[प्रायद्वीप]] के उत्तर और [[आस्ट्रेलिया]] के उत्तर-पूर्व की ओर फैले हुए हैं। ये हिंदेशिया के वृत्तखंड से जुड़ जाते हैं। भूविज्ञानियो ने इस बात का पता लगाना चाहा कि इस महासागर का निर्माण प्रारंभ में कैसे हुआ, लेकिन वे कोई भी सर्वमान्य सिद्धांत न निकाल पाए।
[[चित्र:Pacific-Ocean-1.jpg|thumb|250px|left|प्रशान्त महासागर]]
[[चित्र:Pacific-Ocean-1.jpg|thumb|250px|left|प्रशान्त महासागर]]
====असमान सरंचना====
====असमान संरचना====
ज्वार भाटा यहाँ की मुख्य विशेषता है। यह नौकाओं की यात्रा को प्रभावित करता है। इसका क्रम इस महासागर के विभिन्न [[तट|तटों]] पर एक सा नहीं है। इसका प्रभाव और ऊँचाई कहीं अधिक और कहीं बहुत कम होती है, जैसे कोरिया के तट पर इसकी ऊँचाई भिन्न भिन्न स्थलों पर लगभग 15 और 30 फ़ुट के बीच में होती है, जबकि अलैस्का तट पर यही ऊँचाई लगभग 45 फ़ुट तथा स्कैगने पर 30 फ़ुट के लगभग तक होती है।
ज्वार भाटा यहाँ की मुख्य विशेषता है। यह नौकाओं की यात्रा को प्रभावित करता है। इसका क्रम इस महासागर के विभिन्न [[तट|तटों]] पर एक सा नहीं है। इसका प्रभाव और ऊँचाई कहीं अधिक और कहीं बहुत कम होती है, जैसे कोरिया के तट पर इसकी ऊँचाई भिन्न भिन्न स्थलों पर लगभग 15 और 30 फ़ुट के बीच में होती है, जबकि अलैस्का तट पर यही ऊँचाई लगभग 45 फ़ुट तथा स्कैगने पर 30 फ़ुट के लगभग तक होती है।



Latest revision as of 06:40, 6 February 2021

thumb|250px|प्रशान्त महासागर प्रशान्त महासागर विश्व का सबसे बड़ा तथा सबसे गहरा समुद्र है। तुलनात्मक भौगौलिक अध्ययन से पता चलता है कि, इस महासागर में पृथ्वी का भाग कम तथा जलीय क्षेत्र अधिक है। वैज्ञानिक अन्वेषकों तथा साहसिक नाविकों द्वारा इस महासागर के विषय में ज्ञान प्राप्त करने के अनेक प्रयत्न किए गए, तथा अब भी इसका अध्ययन जारी है। सर्वप्रथम 'पेटरब्युक' महोदय ने इसके बारे में पता लगाना आरंभ किया। इसके पश्चात्‌ 'बैलबोआ', 'मागेमेनदान्या', 'हॉरिस', 'कुकु' आदि यूरोपियनों ने प्रयत्न किया। द्वितीय विश्व महायुद्ध समाप्त होने पर संयुक्त राष्ट्र ने इसके बारे में ख़र्च के निमित्त अनेक प्रयास किए, जो सफल व्यापार तथा पूँजी विनियोग के विकास के लिये लाभदायक सिद्ध हुए। अब भी निरंतर प्रशान्त महासागर के गर्भ के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिये अन्वेषण जारी हैं।

क्षेत्रफल

इसका क्षेत्रफल 6,36,34,000 वर्ग मील, अर्थात् अटलांटिक महासागर के दुगुने से भी अधिक है। यह फ़िलिपीन्स तट से लेकर पनामा 9,455 मील चौड़ा तथा बेरिंग जलडमरूमध्य से लेकर दक्षिण ऐंटार्कटिका तक 10,492 मील लंबा है। इसका उत्तरी किनारा केवल 36 मील का बेरिंग जलडमरूमध्य द्वारा आर्कटिक सागर से जुड़ा है। इसका इतने बड़े क्षेत्र में फैले होने के कारण यहाँ के निवासी, वनस्पति, पशु तथा मनुष्यों के रहन-सहन में पृथ्वी के अन्य भागों के सागरों की अपेक्षा बड़ी विभिन्नता है। प्रशान्त महासागर की औसत गहराई लगभग 14,000 फ़ुट है तथा अधिकतम गहराई लगभग 35,400 फ़ुट है, तब ग्वैम और मिंडानो के मध्य में है। यह महासागर अटलांटिक महासागर का सहवर्ती है।

बंदरगाहों का अभाव

इस महासागर के पूर्वी एवं पश्चिमी किनारों में बड़ा अंतर है। पूर्वी किनारे पर पर्वतों का क्रम फैला है, या समुद्री मैदान बहुत ही सँकरे है। इसी कारण यहाँ अच्छे-अच्छे बंदरगाहों का अभाव है, तथा सभ्यता की भी अधिक उन्नति नहीं हो पाई है। बेरिंग जलडमरूमध्य बर्फ़ से जमा रहता है, जिससे यातायात में बाधा पड़ती है। इसके विपरीत इस पश्चिमी किनारे पर पर्वत नहीं है। बल्कि कई द्वीप, खाड़ियाँ, प्रायद्वीप तथा डेल्टा हैं। पश्चिमी किनारे पर जापान, फ़िलिपींस, हिंदेशिया आदि के लगभग 7,000 द्वीप हैं। इसके किनारे पर विश्व की बड़ी-बड़ी नदियाँ इसमें गिरती हैं, जिनके डेल्टाओं में घनी जनसंख्या बसी है।

आकृति

प्रशान्त महासागर की आकृति त्रिभुजकार है। इसका शीर्ष बेरिंग जलडमरूमध्य पर है, जो घोड़े के खुर की आकृति का है और ज्वालामुखी पर्वतों तथा छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ बेसिन बनाता है। अमरीका का पश्चिमी तट 'प्यूजेट साउंड' (Puget Sound) से अलैस्का तक बर्फीली चट्टानों से युक्त है। उत्तर की ओर अल्यूशैन द्वीप का वृत्तखंड है, जो साइबेरिया के समीपवर्ती भागों से होता हुआ बेरिंग सागर तक चला गया है। मुख्य द्वीप प्रशान्त महासागर के पश्चिमी किनारे से होकर कैमचैटका प्रायद्वीप के उत्तर और आस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्व की ओर फैले हुए हैं। ये हिंदेशिया के वृत्तखंड से जुड़ जाते हैं। भूविज्ञानियो ने इस बात का पता लगाना चाहा कि इस महासागर का निर्माण प्रारंभ में कैसे हुआ, लेकिन वे कोई भी सर्वमान्य सिद्धांत न निकाल पाए। thumb|250px|left|प्रशान्त महासागर

असमान संरचना

ज्वार भाटा यहाँ की मुख्य विशेषता है। यह नौकाओं की यात्रा को प्रभावित करता है। इसका क्रम इस महासागर के विभिन्न तटों पर एक सा नहीं है। इसका प्रभाव और ऊँचाई कहीं अधिक और कहीं बहुत कम होती है, जैसे कोरिया के तट पर इसकी ऊँचाई भिन्न भिन्न स्थलों पर लगभग 15 और 30 फ़ुट के बीच में होती है, जबकि अलैस्का तट पर यही ऊँचाई लगभग 45 फ़ुट तथा स्कैगने पर 30 फ़ुट के लगभग तक होती है।

धरातल व गहराई

प्रशान्त महासागर का धरातल प्राय: समतल है। सुविधा की दृष्टि से इसे पूर्वी और पश्चिमी दो भागों में बाँटा जा सकता है। पूर्वी भाग द्वीपरहित तथा अमरीका के उपांत भाग में है। इसका अधिकतर भाग 18,000 फ़ुट गहरा है। इसकी अधिकतर गहराई कम से कम 13,000 फ़ुट है, तथा जिसको एल्बेट्रॉस पठार कहते थे। दक्षिणी अमरीका के पश्चिमी भाग में स्थित है। इस चबूतरे की अन्य शाखाएँ उत्तर की ओर रियातट तथा पश्चिम में टूआमोटू, द्वीपसमूह, मारकेसस द्वीप तथा दक्षिण में ऐंटार्कटिका तक फैली हैं। इस सागर की सतह मुख्यतया पश्चिम में कई बड़ी-बड़ी लंबी खाइयों से भरी पड़ी है। कुछ महत्त्वपूर्ण खाइयों के नाम तथा गहराइयाँ इस प्रकार हैं-

  1. ट्यूसीअरोरा - 32,644 फ़ुट
  2. रंपा - 34,626 फ़ुट
  3. नैरो - 32,107 फ़ुट
  4. एल्ड्रिच - 30,990 फ़ुट आदि।

उत्तरी प्रशान्त महासागर में सबसे अधिक गहराई 'अल्यूशैन द्वीप' के पास पाई जाती है, जो 25,114 फ़ुट है।

ज्वालामुखीय क्षेत्र

thumb|250px|प्रशान्त महासागर प्रशान्त महासागर का वह भाग, जो कर्क रेखा तथा मकर रेखा के मध्य में है, 'मध्य प्रशान्त महासागर' कहा जाता है। कर्क के उत्तरी क्षेत्र को 'उत्तरी प्रशान्त महासागर' तथा मकर के दक्षिण स्थित भाग को 'दक्षिणी प्रशान्त महासागर' के नाम से संबोधित किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय हाइड्रोग्राफिक ब्यूरो द्वारा इसे दो भागों में विभक्त करने के लिये भूमध्य रेखा का सहारा लिया गया है। 1500 प. दे. पूर्वी प्रशान्त के उन्हीं भागों के लिये प्रयुक्त होता है, जो भूमध्य रेखा के दक्षिण में है। इसकी खोज स्पेनवासी 'बैबैओ' ने की तथा इसने प्रशान्त महासागर को पनामा नामक स्थान पर 'दक्षिणी सागर' नाम दिया। प्रशान्त महासागर के उत्तर, पूर्व एवं पश्चिम से होता हुआ भूपटल का सबसे कमज़ोर भाग गुजरता है। इसके कारण यहाँ पर अधिकतर भूकंप एवं ज्वालामुखियों के उद्गार हुआ करते हैं। अभी भी यहाँ 300 ऐसे ज्वालामुखी पर्वत हैं, जिनमें से निरंतर उद्गार हुआ करते हैं। इस महासागर में छिटके द्वीपों का उद्भव प्रवालवलय, ज्वालामुखी अथवा भूकंपों के द्वारा हुआ है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख