मालवा चित्रकला: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
mNo edit summary |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replacement - "शृंखला" to "श्रृंखला") |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
'''मालवा चित्रकला''' 17वीं सदी में पुस्तक चित्रण की राजस्थानी शैली है जिसका केंद्र मुख्यतः [[मालवा]] और [[बुंदेलखंड]]<ref>वर्तमान [[मध्य प्रदेश]] राज्य</ref> थे। भौगोलिक विस्तार की दृष्टि से इसे कई बार 'मध्य भारतीय चित्रकला' भी कहते हैं। | |||
'''मालवा चित्रकला''' | *यह मूलतः एक पारंपरिक शैली थी और इसमें 1636 की श्रृंखला रसिकप्रिया<ref>प्रेम की भावना की व्याख्या करती एक कविता</ref> और अमरुशतक<ref>17वीं सती के उत्तरार्ध की संस्कृत कविता, अब [[पश्चिम भारत]] में [[मुंबई]] के [[द प्रिंस ऑफ़ वेल्स संग्रहालय|प्रिंस ऑफ़ वेल्स म्यूज़ियम]] में</ref>, जैसे प्रारंभिक उदाहरणों के बाद ज़्यादा विकसित होते नहीं देखा गया। | ||
*यह मूलतः एक पारंपरिक शैली | |||
*18वीं सदी में इस चित्रकला शैली के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है। | *18वीं सदी में इस चित्रकला शैली के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है। | ||
*मालवा चित्रकला में बिल्कुल समतल कृतियों, काली और कत्थई भूरी पृष्ठभूमि, ठोस [[रंग]] खंडों पर उभरी आकृतियों और शोख़ रंगों में चित्रित [[वास्तुकला]] के प्रति विशेष | *मालवा चित्रकला में बिल्कुल समतल कृतियों, काली और कत्थई भूरी पृष्ठभूमि, ठोस [[रंग]] खंडों पर उभरी आकृतियों और शोख़ रंगों में चित्रित [[वास्तुकला]] के प्रति विशेष आग्रह दिखाई देता है। | ||
*इस शैली के सबसे आकर्षक गुण | *इस शैली के सबसे आकर्षक गुण हैं। इनका आदिम लुभावनापना और सहज बालसुलभ दृष्टि है। | ||
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{चित्रकला शैलियाँ}} | {{चित्रकला शैलियाँ}} | ||
Line 16: | Line 14: | ||
[[Category:मध्य प्रदेश]] | [[Category:मध्य प्रदेश]] | ||
[[Category:मध्य प्रदेश की संस्कृति]] | [[Category:मध्य प्रदेश की संस्कृति]] | ||
[[Category: | [[Category:संस्कृति कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 10:37, 9 February 2021
मालवा चित्रकला 17वीं सदी में पुस्तक चित्रण की राजस्थानी शैली है जिसका केंद्र मुख्यतः मालवा और बुंदेलखंड[1] थे। भौगोलिक विस्तार की दृष्टि से इसे कई बार 'मध्य भारतीय चित्रकला' भी कहते हैं।
- यह मूलतः एक पारंपरिक शैली थी और इसमें 1636 की श्रृंखला रसिकप्रिया[2] और अमरुशतक[3], जैसे प्रारंभिक उदाहरणों के बाद ज़्यादा विकसित होते नहीं देखा गया।
- 18वीं सदी में इस चित्रकला शैली के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है।
- मालवा चित्रकला में बिल्कुल समतल कृतियों, काली और कत्थई भूरी पृष्ठभूमि, ठोस रंग खंडों पर उभरी आकृतियों और शोख़ रंगों में चित्रित वास्तुकला के प्रति विशेष आग्रह दिखाई देता है।
- इस शैली के सबसे आकर्षक गुण हैं। इनका आदिम लुभावनापना और सहज बालसुलभ दृष्टि है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वर्तमान मध्य प्रदेश राज्य
- ↑ प्रेम की भावना की व्याख्या करती एक कविता
- ↑ 17वीं सती के उत्तरार्ध की संस्कृत कविता, अब पश्चिम भारत में मुंबई के प्रिंस ऑफ़ वेल्स म्यूज़ियम में
संबंधित लेख