शुभेन्दु अधिकारी: Difference between revisions

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==परिचय==
==परिचय==
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Latest revision as of 15:48, 3 May 2021

शुभेन्दु अधिकारी
पूरा नाम शुभेन्दु अधिकारी
जन्म 15 दिसंबर, 1970
जन्म भूमि करकुली, पूरबा मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल
अभिभावक पिता- शिशिर कुमार अधिकारी

माता- गायत्री अधिकारी

नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
कार्य काल परिवहन मंत्री, पश्चिम बंगाल- 27 मई, 2016 से 27 नवंबर, 2020

पर्यावरण मंत्री, पश्चिम बंगाल- 2018 से 2020

विद्यालय रबींद्र भारती विश्वविद्यालय (परास्नातक), कोंटाई विश्वविद्यालय (स्नातक)
अन्य जानकारी साल 2020 में शुभेन्दु अधिकारी राज्य में विधान सभा से महज कुछ महीने पहले ही तृणमूल के खिलाफ विद्रोह करते हुए पार्टी छोडकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये थे।
अद्यतन‎

शुभेन्दु अधिकारी (अंग्रेज़ी: Suvendu Adhikari, जन्म- 15 दिसंबर, 1970) पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं। पूर्व में वे अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के हिस्से के रूप में पश्चिम बंगाल विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। वे भारत की 15वीं और 16वीं लोकसभा में सांसद थे। इसके बाद शुभेन्दु अधिकारी ममता बनर्जी की सरकार में मंत्री रहे; किन्तु मार्च-अप्रॅल सन 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में वे नन्दीग्राम से प्रत्याशी रहे, जहाँ उन्होंने वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हरा दिया है।

परिचय

शुभेन्दु अधिकारी का जन्म 15 दिसंबर, 1970 को पश्चिम बंगाल राज्य के पूरबा मेदिनीपुर में करकुली नामक स्थान पर हुआ। उनका जन्म एक उच्च मध्यम समृद्ध परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम शिशिर कुमार अधिकारी है जो मुख्य रूप से एक राजनीतिज्ञ रहे हैं। माता का नाम गायत्री अधिकारी है। एक समृद्ध परिवार में जन्म होने के कारण शुभेन्दु अधिकारी को जीवन में अधिक उतार-चढ़ाव से नहीं गुजरना पड़ा। शिशिर कुमार अधिकारी उत्तर प्रदेश में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रह चुके हैं।

शिक्षा

शुभेन्दु अधिकारी ने कोंटाई विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अपनी परस्नातक शिक्षा रबींद्र भारती विश्वविद्यालय से प्राप्त की। चूँकि इनके पिता भी राजनीति के क्षेत्र में संलग्न रहे थे, इससे इनका प्रभाव शुभेन्दु पर भी पड़ा। शुभेन्दु अधिकारी भी राजनीति के क्षेत्र से अनभिज्ञ ना रह सके। उन्होंने अपनी किस्मत राजनीति के क्षेत्र में आजमाई, जिनमें उन्हें सफलता प्राप्त हुई।

राजनीतिक जीवन

  • शुभेन्दु अधिकारी को कांग्रेस सरकार के सदस्यों का बहुत अधिक सहयोग मिला, जिससे इन्हें वर्ष 2000 को कंथी दक्षिणी से पश्चिम बंगाल विधानसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया। इसके पश्चात 2009 में तमलुक के लोकसभा में इनका चयन किया गया। जिसके बाद इन्हें उद्योग के स्थाई समिति के सदस्य के रूप मे नियुक्त किया गया। इससे राजनीतिक क्षेत्र के भाग में इनका मनोबल और तीव्र हो गया। उन्होंने अपने राजनीतिक कार्यक्रम के समय में पूरा सहयोग और योगदान दिया।
  • शुभेन्दु अधिकारी ने राजनीतिक पड़ाव में दिनोंदिन काफी महारात हासिल की एवं राजनीतिक क्षेत्र में बढ़ते ही चले गए। इसके बाद 2014 में तमलुक से लोकसभा में कांग्रेस सदस्यों के द्वारा इन्हें लोकसभा में दुबारा एक प्रत्याशी के रूप में एक बार फिर से चुना गया। इसके बाद 2016 में नंदीग्राम से पश्चिम बंगाल विधानसभा के सदस्यों द्वारा विधानसभा के लिए इन्हें आमंत्रित किया गया। जिनमें इन्हें पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा परिवहन मंत्री का कार्य सौपा गया।
  • इन्होंने अपने जीवन काल के दौरान राजनीतिक क्षेत्र में काफी उतार-चढ़ाव देखे एवं दिनोंदिन बढ़ती गई चुनौतियों का सामना बड़ी ही आसानी से किया। अतः इनकी उपलब्धि दिनोंदिन बढ़ती ही गई। वर्ष 2016 में कार्मिक लोक, शिकायत कानून और न्याय एवं सलाहकार समिति, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय पर स्थाई समिति के सदस्य के रूप में विधान सभा के सदस्यों के भारी समर्थन से इनकी नियुक्ति की गई। दिनोंदिन बढ़ती राजनीतिक क्षेत्र में उपलब्धि के कारण उन्होंने 28 मई, 2016 को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए लोकसभा से इस्तीफा दे दिया।
  • 27 नवम्बर, 2020 को शुभेन्दु अधिकारी ने राज्य मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया और इसके बाद 16 दिसम्बर को उन्होने विधानसभा से भी इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 17 दिसम्बर को उन्होंने ममता बनर्जी को पत्र लिखकर तृणमूल की समस्त सदस्यता छोड़ दी।
  • 2 मई, 2021 को शुभेन्दु अधिकारी ने विधानसभा सदस्य के रूप में नंदीग्राम से भारतीय जनता पार्टी का सदस्य बनकर विजय हासिल की है। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को 1956 मतों से शिकस्त दी है।

नंदीग्राम आन्दोलन में भूमिका

शुभेन्दु अधिकारी ने नंदीग्राम आंदोलन में मुख्य रूप से सक्रिय रहकर अपना योगदान दिया। जिस समय उन्होंने भूमि उछेद प्रतिरोध समिति के लिए जनसाधारण स्थानीय लोगो को प्रेरित किया था, उस समय कुछ ऐसी अफवाहें फैल रही थी कि भूमि को रासायनिक केंद्रीकरण के लिए बलपूर्वक अधिग्रहित किया जा रहा है।


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