दाँत: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(3 intermediate revisions by 3 users not shown)
Line 1: Line 1:
([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Teeth) '''{{PAGENAME}}''' अधिकांश जीव जंतुओं के शरीर का आवश्यक अंग हैं। इस लेख में मानव शरीर से संबंधित उल्लेख है। मनुष्य की [[मुख]]गुहा में दोनों जबड़ों के किनारों पर दाँतों की एक–एक लगभग अर्द्धवृत्ताकार पंक्ति होती है। मनुष्य के दाँतों की अग्रलिखित विशेषताएँ होती हैं-  
[[चित्र:Teeth.jpg|thumb|400px|निचे और ऊपर के जबड़े]]
([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Teeth) इस लेख में [[मानव शरीर]] से संबंधित उल्लेख है। मनुष्य की [[मुख]]गुहा में दोनों जबड़ों के किनारों पर दाँतों की एक–एक लगभग अर्द्धवृत्ताकार पंक्ति होती है। मनुष्य के दाँतों की अग्रलिखित विशेषताएँ होती हैं-  
#'''गर्तदन्ती या थीकोडान्ट'''- ये दाँत अस्थियों के अन्दर गड्ढें में स्थित होते हैं। गड्ढें में [[हड्डी]] पर तिरछे धने तन्तुओं से निर्मित '''परिदन्तीय स्नायु''' [[आच्छादित]] होता है। यह स्नायु दाँत को गड्ढें में दृढ़ता से सीधे रखता है और भोजन को चबाते समय दाँत के दबाव को सहन करता है। हड्डी के ऊपर कोमल '''मसूड़ा''' होता है। निचले जबड़े के सभी दाँत '''डेन्टरी''' अस्थियों में तथा ऊपरी जबड़े के '''कृन्तक''' दन्त '''मैक्सिला''' अस्थियों में होते हैं।  
#'''गर्तदन्ती या थीकोडान्ट'''- ये दाँत अस्थियों के अन्दर गड्ढें में स्थित होते हैं। गड्ढें में [[हड्डी]] पर तिरछे धने तन्तुओं से निर्मित '''परिदन्तीय स्नायु''' [[आच्छादित]] होता है। यह स्नायु दाँत को गड्ढें में दृढ़ता से सीधे रखता है और भोजन को चबाते समय दाँत के दबाव को सहन करता है। हड्डी के ऊपर कोमल '''मसूड़ा''' होता है। निचले जबड़े के सभी दाँत '''डेन्टरी''' अस्थियों में तथा ऊपरी जबड़े के '''कृन्तक''' दन्त '''मैक्सिला''' अस्थियों में होते हैं।  
#'''द्विबारदन्ती या डाइफियोडान्ट'''- मनुष्य के जीवन में '''चर्वणक''' दन्त के अतिरिक्त अन्य दाँत जीवन में दो बार निकलते हैं। पहली बार में दो या ढाई वर्ष की आयु तक 20 अस्थाई दाँत '''दूधिया''' या '''क्षीर दन''' के रूप में निकलते हैं। कुछ समय के बाद इन दाँतों में '''गोर्द''' समाप्त हो जाता है और इनकी जड़ों को '''अस्थिभंजक कोशिकाएँ''' नष्ट कर देती हैं। अतः ये दाँत गिर जाते हैं। जैसे–जैसे दूधिया दाँत गिरते हैं, इनके स्थान पर नए '''स्थाई''' या '''द्वितीयक दन्त''' निकल आते हैं।  
#'''द्विबारदन्ती या डाइफियोडान्ट'''- मनुष्य के जीवन में '''चर्वणक''' दन्त के अतिरिक्त अन्य दाँत जीवन में दो बार निकलते हैं। पहली बार में दो या ढाई वर्ष की आयु तक 20 अस्थाई दाँत '''दूधिया''' या '''क्षीर दन''' के रूप में निकलते हैं। कुछ समय के बाद इन दाँतों में '''गोर्द''' समाप्त हो जाता है और इनकी जड़ों को '''अस्थिभंजक कोशिकाएँ''' नष्ट कर देती हैं। अतः ये दाँत गिर जाते हैं। जैसे–जैसे दूधिया दाँत गिरते हैं, इनके स्थान पर नए '''स्थाई''' या '''द्वितीयक दन्त''' निकल आते हैं।  
Line 16: Line 17:
|शोध=
|शोध=
}}
}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>

Latest revision as of 08:30, 17 May 2011

thumb|400px|निचे और ऊपर के जबड़े (अंग्रेज़ी:Teeth) इस लेख में मानव शरीर से संबंधित उल्लेख है। मनुष्य की मुखगुहा में दोनों जबड़ों के किनारों पर दाँतों की एक–एक लगभग अर्द्धवृत्ताकार पंक्ति होती है। मनुष्य के दाँतों की अग्रलिखित विशेषताएँ होती हैं-

  1. गर्तदन्ती या थीकोडान्ट- ये दाँत अस्थियों के अन्दर गड्ढें में स्थित होते हैं। गड्ढें में हड्डी पर तिरछे धने तन्तुओं से निर्मित परिदन्तीय स्नायु आच्छादित होता है। यह स्नायु दाँत को गड्ढें में दृढ़ता से सीधे रखता है और भोजन को चबाते समय दाँत के दबाव को सहन करता है। हड्डी के ऊपर कोमल मसूड़ा होता है। निचले जबड़े के सभी दाँत डेन्टरी अस्थियों में तथा ऊपरी जबड़े के कृन्तक दन्त मैक्सिला अस्थियों में होते हैं।
  2. द्विबारदन्ती या डाइफियोडान्ट- मनुष्य के जीवन में चर्वणक दन्त के अतिरिक्त अन्य दाँत जीवन में दो बार निकलते हैं। पहली बार में दो या ढाई वर्ष की आयु तक 20 अस्थाई दाँत दूधिया या क्षीर दन के रूप में निकलते हैं। कुछ समय के बाद इन दाँतों में गोर्द समाप्त हो जाता है और इनकी जड़ों को अस्थिभंजक कोशिकाएँ नष्ट कर देती हैं। अतः ये दाँत गिर जाते हैं। जैसे–जैसे दूधिया दाँत गिरते हैं, इनके स्थान पर नए स्थाई या द्वितीयक दन्त निकल आते हैं।
  3. विषमदन्ती या हेटेरोडान्ट- कार्यों के अनुसार दाँतों का विभिन्न आकृतियों में विभेदित होना विषमदन्ती अवस्था कहलाती है। मनुष्य के दोनों जबड़ों में चार प्रकार के 32 दाँत पाए जाते हैं-
    1. कृन्तक या छेदक दन्त (इनसाइजर्स)- ये तेज़ धार वाले छैनी जैसे चौड़े होते हैं तथा भोजन के पकड़ने, काटने या कुतरने का कार्य करते हैं। प्रत्येक जबड़े में इनकी संख्या 4 होती है।
    2. भेदक या रदनक दन्त (कैनाइन्स)- ये नुकीले होते हैं और भोजन को चीरने–फाड़ने का कार्य करते हैं। प्रत्येक जबड़े में इनकी संख्या 2 होती है।
    3. अग्रचर्वणक दन्त (प्रीमोलर्स)- ये किनारे पर चपटे, चौकोर व रेखादार होते हैं। इनका कार्य भोजन को कुचलना है। प्रत्येक जबड़े में इनकी संख्या 4 होती है।
    4. चर्वणक दन्त या (मोलर्स)- इनके सिर चौरस व तेज़ धार युक्त होते हैं। इनका मुख्य कार्य भोजन को पीसना है। प्रत्येक जबड़े में इनकी संख्या 6 होती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख