जिह्वा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - "शृंखला" to "श्रृंखला")
 
(3 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
[[चित्र:Tongue.jpg|thumb|300px|जिह्वा<br />Tongue]]
([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Tongue) '''{{PAGENAME}}'''  अधिकांश जीव जंतुओं के शरीर का आवश्यक अंग हैं। इस लेख में [[मानव शरीर]] से संबंधित उल्लेख है। जीभ पर स्वादग्राही अंकुरों में स्थित होती हैं। [[मुख]] ग्रासन गुहिका के फर्श पर मोटी, पेशीय, चलायमान जिह्वा स्थित होती है। इसका पिछला भाग फ्रेनलम लिग्वी तथा पेशियों के द्वारा मुखगुहा के तल, हॉयड उपकरण व जबड़े की अस्थियों से जुड़ा रहता है। जिह्वा पर अनेक जिह्वा अंकुर पाए जाते हैं। जीभ पर पाई जाने वाली स्वाद कलिकाएँ भोजन का स्वाद बनाती हैं। स्वादग्राही स्वाद कलिकाओं में स्थित होते हैं।  
([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Tongue) '''{{PAGENAME}}'''  अधिकांश जीव जंतुओं के शरीर का आवश्यक अंग हैं। इस लेख में [[मानव शरीर]] से संबंधित उल्लेख है। जीभ पर स्वादग्राही अंकुरों में स्थित होती हैं। [[मुख]] ग्रासन गुहिका के फर्श पर मोटी, पेशीय, चलायमान जिह्वा स्थित होती है। इसका पिछला भाग फ्रेनलम लिग्वी तथा पेशियों के द्वारा मुखगुहा के तल, हॉयड उपकरण व जबड़े की अस्थियों से जुड़ा रहता है। जिह्वा पर अनेक जिह्वा अंकुर पाए जाते हैं। जीभ पर पाई जाने वाली स्वाद कलिकाएँ भोजन का स्वाद बनाती हैं। स्वादग्राही स्वाद कलिकाओं में स्थित होते हैं।  
==मानव जीभ==
==मानव जीभ==
Line 21: Line 22:
}}
}}


{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>

Latest revision as of 10:38, 9 February 2021

thumb|300px|जिह्वा
Tongue
(अंग्रेज़ी:Tongue) जिह्वा अधिकांश जीव जंतुओं के शरीर का आवश्यक अंग हैं। इस लेख में मानव शरीर से संबंधित उल्लेख है। जीभ पर स्वादग्राही अंकुरों में स्थित होती हैं। मुख ग्रासन गुहिका के फर्श पर मोटी, पेशीय, चलायमान जिह्वा स्थित होती है। इसका पिछला भाग फ्रेनलम लिग्वी तथा पेशियों के द्वारा मुखगुहा के तल, हॉयड उपकरण व जबड़े की अस्थियों से जुड़ा रहता है। जिह्वा पर अनेक जिह्वा अंकुर पाए जाते हैं। जीभ पर पाई जाने वाली स्वाद कलिकाएँ भोजन का स्वाद बनाती हैं। स्वादग्राही स्वाद कलिकाओं में स्थित होते हैं।

मानव जीभ

मनुष्य में लगभग 10,000 स्वाद कलिकाएँ जीभ पर पाई जाती हैं। प्रत्येक स्वाद कलिका स्तम्भी तर्कु आकार संवेदी तथा अवलम्बन कोशिकाओं का समूह होता है। संवेदी कोशिकाएँ अवलम्बन कोशिकाओं के मध्य स्थित होती हैं। संवेदी कोशिकाओं के स्वतंत्र सिरे संवेदी रोम कहलाते हैं तथा इनके पश्च सिरे का सम्बन्ध तन्त्रिका तन्तु से होता है। जिह्वा अंकुर निम्न प्रकार के होते हैं-

  1. सूत्राकार या फिलिफॉर्म अंकुर- ये सफ़ेद से व शंक्वाकार उभार होते हैं और जीभ के अगले 2/3 भाग पर समान्तर पंक्तियों में स्थित रहते हैं। इनमें स्वाद कलिकाओं का अभाव होता है।
  2. छत्राकार या फंजीफॉर्म अंकुर- ये सूत्राकार अंकुरों के बीच–बीच में लाल दानों के रूप में छत्रक रूपी अंकुर होते हैं। ये जीभ के अगले भाग में अधिक होते हैं। इनमें स्वाद कलिकाएँ उपस्थित होती हैं।
  3. पर्णिल या फॉलिएट अंकुर- सीमावर्ती खाँच के समीप, जीभ के दोनों पार्श्व भागों में लाल पत्तीवत् अंकुरों की एक–एक छोटी श्रृंखला होती है। इन अंकुरों में भी स्वाद कलिकाएँ उपस्थित होती हैं।
  4. परिकोटिय या सरकमबैलेट अंकुर- ये संख्या में सबसे कम, किन्तु सबसे बड़े व धुण्डीदार अंकुर होते हैं। जीभ के सबसे पिछले भाग पर उल्टे V (Λ) के आकार के ये अंकुर एक ही पंक्ति में स्थित होते हैं। इन सभी में स्वाद कलिकाएँ होती हैं।

स्वाद का ज्ञान

जब कोई खाद्य वस्तु मुखगुहा के सम्पर्क में आती है तो उस खाद्य वस्तु का कुछ भाग मुखगुहा तथा जीभ की लार एवं श्लेष्म में घुल जाता है। ये घुलित कण संवेदी कोशिकाओं के संवेदी रोमों को जब स्पर्श करते हैं तो स्पर्श उद्दीपन तन्त्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क तक पहुँचता है। जिससे हमें स्वाद का ज्ञान हो जाता है।

मनुष्य की जीभ में चार प्रकार की स्वाद कलिकाएँ पाई जाती हैं और जीभ के विभिन्न भाग विभिन्न स्वादों का अनुभव करते हैं- मीठे और नमकीन के स्वाद का अनुभव जीभ के स्वतंत्र सिरे पर, खट्टे स्वाद को अनुभव जीभ के पार्श्वों में तथा कड़वेकसैले स्वाद का अनुभव जीभ के पश्च भाग में होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख