नैमित्तिक प्रलय: Difference between revisions

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'''नैमित्तिक प्रलय''' [[वेदांत]] के अनुसार प्रत्येक [[कल्प]] के अंत में होने वाला तीनों लोकों का क्षय या पूर्ण विनाश हो जाना '''नैमित्तिक प्रलय''' कहलाता है।  
'''नैमित्तिक प्रलय''' [[वेदांत]] के अनुसार प्रत्येक [[कल्प]] के अंत में होने वाला तीनों लोकों का क्षय या पूर्ण विनाश हो जाना '''नैमित्तिक प्रलय''' कहलाता है।  
*[[पुराण|पुराणों]] अनुसार जब [[ब्रह्मा]] का एक [[दिन]] समाप्त होता है, तब विश्व का नाश हो जाता है। एक कल्प को ब्रह्मा का एक दिन माना जाता है। इसी प्रलय में धरती या अन्य ग्रहों से जीवन नष्ट हो जाता है।  
*[[पुराण|पुराणों]] अनुसार जब [[ब्रह्मा]] का एक [[दिन]] समाप्त होता है, तब विश्व का नाश हो जाता है। एक कल्प को ब्रह्मा का एक दिन माना जाता है। इसी प्रलय में धरती या अन्य ग्रहों से जीवन नष्ट हो जाता है।  
*नैमत्तिक प्रलयकाल के दौरान कल्प के अंत में [[आकाश]] से सूर्य की आग बरसती है। इनकी भयंकर तपन से सम्पूर्ण [[जल|जलराशि]] सूख जाती है। समस्त जगत जलकर नष्ट हो जाता है। इसके बाद संवर्तक नाम का मेघ अन्य मेघों के साथ सौ [[वर्ष|वर्षों]] तक बरसता है।  
*नैमत्तिक प्रलयकाल के दौरान कल्प के अंत में [[आकाश]] से सूर्य की आग बरसती है। इनकी भयंकर तपन से सम्पूर्ण [[जल|जलराशि]] सूख जाती है। समस्त जगत् जलकर नष्ट हो जाता है। इसके बाद संवर्तक नाम का मेघ अन्य मेघों के साथ सौ [[वर्ष|वर्षों]] तक बरसता है।  
*वायु अत्यन्त तेज गति से सौ वर्ष तक चलती है। उसके बाद धीरे धीरे सब कुछ शांत होने लगता है। तब फिर से जीवन की शुरुआत होती है।
*वायु अत्यन्त तेज गति से सौ वर्ष तक चलती है। उसके बाद धीरे धीरे सब कुछ शांत होने लगता है। तब फिर से जीवन की शुरुआत होती है।



Latest revision as of 13:57, 30 June 2017

नैमित्तिक प्रलय वेदांत के अनुसार प्रत्येक कल्प के अंत में होने वाला तीनों लोकों का क्षय या पूर्ण विनाश हो जाना नैमित्तिक प्रलय कहलाता है।

  • पुराणों अनुसार जब ब्रह्मा का एक दिन समाप्त होता है, तब विश्व का नाश हो जाता है। एक कल्प को ब्रह्मा का एक दिन माना जाता है। इसी प्रलय में धरती या अन्य ग्रहों से जीवन नष्ट हो जाता है।
  • नैमत्तिक प्रलयकाल के दौरान कल्प के अंत में आकाश से सूर्य की आग बरसती है। इनकी भयंकर तपन से सम्पूर्ण जलराशि सूख जाती है। समस्त जगत् जलकर नष्ट हो जाता है। इसके बाद संवर्तक नाम का मेघ अन्य मेघों के साथ सौ वर्षों तक बरसता है।
  • वायु अत्यन्त तेज गति से सौ वर्ष तक चलती है। उसके बाद धीरे धीरे सब कुछ शांत होने लगता है। तब फिर से जीवन की शुरुआत होती है।


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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