जेम्स माइकल लिंगदोह: Difference between revisions
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Latest revision as of 05:17, 8 February 2018
जेम्स माइकल लिंगदोह
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जन्म | 8 फ़रवरी, 1939 |
जन्म भूमि | मेघालय |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | बारहवें मुख्य चुनाव आयुक्त |
विद्यालय | 'सेंट एडमंड्स स्कूल', (शिलांग); 'सेंट स्टीफ़ेंस कॉलेज' (दिल्ली) |
भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी |
पुरस्कार-उपाधि | 'रेमन मेग्सेसे पुरस्कार' |
अन्य जानकारी | जेम्स माइकल लिंगदोह के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि 2002 में जम्मू-कश्मीर में निष्पक्ष चुनाव कराना रहा था। |
अद्यतन | 1:00, 22 सितम्बर-2012 (IST) |
जेम्स माइकल लिंगदोह (अंग्रेज़ी: James Michael Lyngdoh, जन्म- 8 फ़रवरी, 1939, मेघालय) भारत के पूर्व 'मुख्य चुनाव आयुक्त' के रूप में प्रसिद्ध हैं। 'जे.एम.' यानी जेम्स माइकल लिंगदोह का नाम भारत के लोकतांत्रिक राजनीतिक इतिहास में बहुत ही ख़ास अहमियत रखता है। मेघालय के खासी जनजाति से सम्बन्ध रखने वाले लिंगदोह 1961 में देश की सर्वोच्च नागरिक सेवाओं में से एक 'भारतीय प्रशासनिक सेवा' के लिए चुने गये थे। उन्होंने काफ़ी लंबे समय तक बिहार कैडर के तहत वहाँ कई ज़िलों में सराहनीय काम किया, लेकिन सही अर्थों में उन्हें प्रसिद्धि मिली, 'मुख्य चुनाव आयुक्त' के रूप में। लिंगदोह ने अपने इस पद पर लगभग तीन वर्ष के कार्यकाल के दौरान कई मुश्किल परिस्थितियों को सफलतापूर्वक पार किया। उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि 2002 में जम्मू-कश्मीर में निष्पक्ष चुनाव कराना रहा था, जो किसी बड़ी चुनौती से कम महत्त्वपूर्ण नहीं था। उनके इस कार्य के लिए पूरी दुनिया ने उनकी प्रशंसा की।
जन्म तथा शिक्षा
8 फरवरी, 1939 को जेम्स माइकल लिंगदोह का जन्म मेघालय में हुआ था। वह मूलत: आदिवासी खासी क्षेत्र के निवासी थे। लिंगदोह ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा 'सेंट एडमंड्स स्कूल', शिलांग से प्राप्त की थी। पिता के ज़िला जज होने के कारण इनकी आगे की पूरी शिक्षा देश की राजधानी दिल्ली के 'सेंट स्टीफ़ेंस कॉलेज' में हुई।
आई.ए.एस. अधिकारी
1981 में वह 'भारतीय प्रशासनिक सेवा' (आई.ए.एस.) के लिए चुन लिये गए और लिंगदोह ने जल्दी ही एक सख्त प्रशासक की छवि स्थापित कर ली। साथ ही यह भी स्पष्ट देखा गया कि न्यायप्रिय होते हुए उनका झुकाव महत्त्वपूर्ण नेताओं के मुकाबले सामान्य नागरिकों की ओर अधिक रहा। अपनी स्पष्ट तथा नियमबद्ध कार्यशैली के कारण इनको बहुत-सी टकराहट भरी स्थितियों का भी सामना करना पड़ा। लेकिन लिंगदोह उनके निर्वाह के दौरान दृढ़तापूर्वक डटे रहे और विनम्र भी बने रहे।
मुख्य चुनाव आयुक्त का पद
2001 में उन्हें बारहवाँ 'मुख्य चुनाव आयुक्त' बनाया गया। अपने इस पद पर काम करते हुए लिंगदोह ने दो बेहद कठिन तथा चुनौतीपूर्ण चुनाव दायित्व पूरे किए। पहला मोर्चा जम्मू-कश्मीर में चुनाव का था और दूसरा गुजरात का। दोनों में ही लिंगदोह ने निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराए, जिसके लिए इनके विरोधियों ने भी इनकी सराहना की।
पुरस्कार
2003 में जेम्स माइकल लिंगदोह को राजकीय सेवा की श्रेणी में 'मेग्सेसे पुरस्कार' प्रदान किया गया।
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