सत्यपाल मलिक: Difference between revisions
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सत्यपाल मलिक
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पूरा नाम | सत्यपाल मलिक |
जन्म | 24 जुलाई, 1946 |
जन्म भूमि | हिसावदा गांव, बागपत, उत्तर प्रदेश |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | भारतीय जनता पार्टी अन्य- भारतीय क्रांति दल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जनता दल, लोकदल, समाजवादी पार्टी |
पद | राज्यपाल, मेघालय- 19 अगस्त, 2020 से पदस्थ राज्यपाल, गोवा- 3 नवम्बर, 2019 से 18 अगस्त, 2020 |
संबंधित लेख | राज्यपाल, भारत के राज्यों के वर्तमान राज्यपालों की सूची |
अन्य जानकारी | जनता दल से सत्यपाल मलिक 1989 से 1991 तक अलीगढ़ सीट से सांसद रहे। इसके बाद सपा का दामन थाम लिया और 1996 में हार का सामना करना पड़ा। |
अद्यतन | 15:41, 9 सितम्बर 2020 (IST)
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सत्यपाल मलिक या 'सत्य पाल मलिक' (अंग्रेज़ी: Satya Pal Malik, जन्म- 24 जुलाई, 1946) भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिज्ञ तथा मेघालय के राज्यपाल हैं। वह 30 सितम्बर, 2017 से 21 अगस्त, 2018 तक बिहार के राज्यपाल रहे। इससे पहले अलीगढ़ सीट से 1989 से 1991 तक जनता दल की तरफ से सांसद रहे। 1996 में समाजवादी पार्टी की ओर से फिर चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। सत्यपाल मलिक भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। 21 अगस्त, 2018 को वह जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल नियुक्त किये गए थे।
परिचय
सत्यपाल मलिक का जन्म बागपत के हिसावदा गांव में हुआ था। उनके पिता बुध सिंह एक किसान थे। उन्होंने मेरठ कॉलेज से बीएससी और कानून की पढ़ाई की। यहीं से एक समाजवादी छात्र नेता के तौर पर राम मनोहर लोहिया से प्रेरणा लेकर उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। मलिक पहली बार बागपत सीट पर चौधरी चरण सिंह के 'भारतीय क्रांति दल' के प्रत्याशी के तौर पर 1974 में चुनाव लड़े और जीतकर विधायक बने। इसके बाद 1980 और 1986 में लगातार दो बार राज्यसभा सदस्य चुने गए। इस दौरान वह कांग्रेस में भी रहे, लेकिन बाद में उन्होंने जनता दल का दामन थाम लिया।[1]
राजनीतिक सफर
जनता दल से सत्यपाल मलिक 1989 से 1991 तक अलीगढ़ सीट से सांसद रहे। इसके बाद सपा का दामन थाम लिया और 1996 में हार का सामना करना पड़ा। साल 2004 में भाजपा में शामिल हो गए और लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा; लेकिन इसमें उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह से हार का सामना करना पड़ा था। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्हें राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई।
समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले सत्यपाल मलिक को पहली बार बिहार के राज्यपाल के तौर पर नियुक्त किया गया था। केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद 30 सितंबर, 2017 को सत्यपाल मलिक को बिहार का राज्यपाल बनाया गया और एक साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही 23 अगस्त, 2018 को जम्मू-कश्मीर तबादला कर दिया गया। हालांकि, इस दौरान सत्यपाल मलिक को 2018 में कुछ महीनों के लिए ओडिशा का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था।
सत्यपाल मलिक ने 23 अगस्त, 2018 को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल का पद संभाला था। जम्मू-कश्मीर में वह 14 महीने तक यानी 30 अक्टूबर, 2019 तक रहे। सत्यपाल मलिक के राज्यपाल रहते हुए ही केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म किया था। इस दौरान सत्यपाल मलिक ने काफी अहम भूमिका निभायी थी। केंद्र ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया, यह फैसला 31 अक्टूबर से लागू हुआ था।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 25 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर से स्थानांतरित कर उन्हें गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया था। अनुच्छेद 370 ने 3 नवंबर, 2019 को गोवा के राज्यपाल पद की शपथ लेते हुए कार्यभार संभाला था। एक साल पूरा होने से पहले ही उनका तबादला मेघालय कर दिया गया। मेघालय में उन्होंने तथागत राय की जगह ली है, जिनका पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सत्यपाल मलिक का एक साल में तीसरा तबादला, तीन साल में चौथे राज्य के बने गवर्नर (हिंदी) aajtak.in। अभिगमन तिथि: 9 सितंबर, 2020।
संबंधित लेख
- पुनर्प्रेषित साँचा:राज्यपाल, उपराज्यपाल व प्रशासक