जमुना टुडू: Difference between revisions

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thumb|250px|जमुना टुडू जमुना टुडू (अंग्रेज़ी: Jamuna Tudu, जन्म- 19 दिसम्बर, 1980, मयूरभंज ज़िला, उड़ीसा) भारत की उन साहसिक महिलाओं में से एक हैं, जिन्होंने वृक्षों को बचाने हेतु अपनी जान की भी परवाह नहीं की। देश और दुनिया भर के लोग आज उन्हें झारखंड की लेडी टार्जन के नाम से जानते हैं। जमुना टुडू ने राज्य के जंगलों की रक्षा के लिए अपने पूरे जीवन को समर्पित कर दिया है। उन्हें वर्ष 2019 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

  • बात 1998 की है, जब जमुना टुडू की शादी बेडाडीह टोला गांव में हुईं थी। जमुना को लगा कि उनके गांव के आसपास जंगलों की ज्यादा कटाई हो रही है। जमुना ने गांव वालों से कटाई रोकने को कहा, लेकिन किसी ने साथ नहीं दिया। जमुना टुडू ने चार महिलाओं को साथ जोड़कर जंगल को कटाई से बचाने के लिए वन माफिया से भिड़ गईं।
  • साल 2004 में जमुना टुडू ने 'वन रक्षक समिति' बनाई, जिससे गांव की 60 महिलाएं जुड़ीं। अब इसमें बड़ी संख्या में महिलाएँ शामिल हैं। आज जमुना के साथ तस्करों द्वारा झारखंड के जंगलों की अवैध कटाई को रोकने के काम में उनका सहयोग करीब 10 हज़ार महिलाओं की एक खास सेना करती है, लेकिन जमुना के लिए यह सब कर पाना कतई आसान नहीं रहा है और आज भी उन्हें तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
  • जंगल की रक्षा के लिए समर्पित जमुना टुडू को 2019 में पद्म श्री सम्मान मिला।
  • पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित चाकुलिया प्रखंड के मुटुरखाम ग्राम निवासी जमुना टुडू को 2014 में 'गॉडफ्रे फिलिप्स बे्भरी अवार्ड' व 2018 में 'वूमेन ट्रांसफार्मिंग इंडिया अवार्ड' भी मिल चुका है।
  • जंगल माफिया से संघर्ष करने की वजह से जमुना टुडू को 'लेडी टार्जन' भी कहा जाता है।
  • जंगलों की रक्षा के लिए इन्होंने वन सुरक्षा समिति का गठन किया, जो आसपास के जंगलों में पेड़ों की कटाई रोकने के लिए काम करती है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम के दौरान भी जमुना टुडू की प्रशंसा की थी।
  • जमुना टुडू ने ना केवल 50 हेक्टेयर में जंगल को कटने से बचाया, बल्कि इसके लिए लगभग 10 हजार महिलाओं को प्रेरित भी किया। इनकी प्रेरणा से ग्रामीण महिलाएं बच्चे के जन्म पर 18 और लड़की के विवाह पर 10 पेड़ लगाती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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