तत्त्वकौमुदी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 2: Line 2:
*इसके रचनाकार मैथिल ब्राह्मण वाचस्पति मिश्र हैं।  
*इसके रचनाकार मैथिल ब्राह्मण वाचस्पति मिश्र हैं।  
*वाचस्पति मिश्र षड्दर्शनों के व्याख्याकार हैं। साथ ही शंकर दर्शन के विख्यात आचार्य भी हैं जिनकी '[[भामती]]' प्रसिद्ध है।  
*वाचस्पति मिश्र षड्दर्शनों के व्याख्याकार हैं। साथ ही शंकर दर्शन के विख्यात आचार्य भी हैं जिनकी '[[भामती]]' प्रसिद्ध है।  
*तत्त्वकौमुदी का प्रकाशन डॉ. गंगानाथ झा के सम्पादन में 'ओरियण्टल बुक एजेन्सी, पूना' द्वारा 1934 ई. में हुआ।  
*तत्त्वकौमुदी का प्रकाशन डॉ. [[गंगानाथ झा]] के सम्पादन में 'ओरियण्टल बुक एजेन्सी, पूना' द्वारा 1934 ई. में हुआ।  
*तत्त्वकौमुदी का एक संस्करण हम्बर्ग से 1967 ई. में प्रकाशित हुआ, जिसे श्री एस.ए. श्रीनिवासन ने 90 पाण्डुलिपियों की सहायता से तैयार किया।  
*तत्त्वकौमुदी का एक संस्करण हम्बर्ग से 1967 ई. में प्रकाशित हुआ, जिसे श्री एस.ए. श्रीनिवासन ने 90 पाण्डुलिपियों की सहायता से तैयार किया।  
*वाचस्पति मिश्र ईसा के नवम शतक में किसी समय रहे हैं।  
*वाचस्पति मिश्र ईसा के नवम शतक में किसी समय रहे हैं।  

Revision as of 06:34, 21 May 2011

  • यह सांख्यकारिका की विख्यात टीका है।
  • इसके रचनाकार मैथिल ब्राह्मण वाचस्पति मिश्र हैं।
  • वाचस्पति मिश्र षड्दर्शनों के व्याख्याकार हैं। साथ ही शंकर दर्शन के विख्यात आचार्य भी हैं जिनकी 'भामती' प्रसिद्ध है।
  • तत्त्वकौमुदी का प्रकाशन डॉ. गंगानाथ झा के सम्पादन में 'ओरियण्टल बुक एजेन्सी, पूना' द्वारा 1934 ई. में हुआ।
  • तत्त्वकौमुदी का एक संस्करण हम्बर्ग से 1967 ई. में प्रकाशित हुआ, जिसे श्री एस.ए. श्रीनिवासन ने 90 पाण्डुलिपियों की सहायता से तैयार किया।
  • वाचस्पति मिश्र ईसा के नवम शतक में किसी समय रहे हैं।
  • तत्त्वकौमुदी सांख्यकारिका की उपलब्ध प्राचीन टीकाओं में अन्यतम स्थान रखती है।
  • कारिका-व्याख्या में कहीं भी ऐसा आभास नहीं मिलता जो वाचस्पति के अद्वैतवाद का प्रभाव स्पष्ट करता हो।
  • यह वाचस्पति मिश्र की विशेषता कही जा सकती है कि उन्होंने तटस्थभावेन सांख्यमत को ही युक्तिसंगत दर्शन के रूप में दिखाने का प्रयास किया।
  • डॉ. उमेश मिश्र के विचार में सांख्य रहस्य को स्पष्ट करने में कौमुदीकार सफल नहीं रहे। लगभग ऐसा ही मत एन्सायक्लोपीडिया में भी व्यक्त किया गया, जबकि डॉ. आद्या प्रसाद मिश्र के अनुसार यह टीका मूल के अनुक रहस्यों के उद्घाटन में समर्थ हुई है।

तत्त्वकौमुदी की टीकाएँ[1]

  1. तत्त्वविभाकर- वंशीधर मिश्र कृत यह टीका संभवत: 1750 ई. सन के लगभग लिखी गई। इसका प्रकाशन 1921 ई. में हुआ।
  2. तत्त्वकौमुदी व्याख्या- भारतीयति कृत व्याख्या बाबू कौलेश्वर सिंह पुस्तक विक्रेता वाराणसी द्वारा प्रकाशित।
  3. आवरणवारिणी- कौमुदी की यह टीका महामहोपाध्याय कृष्णनाथ न्यायपंचानन रचित हैं।
  4. विद्वत्तोषिणी- बालराम उदासीन कृत कौमुदी व्याख्या मूलत: अपूर्ण है, तथापि पंडित रामावतार शर्मा द्वारा पूर्ण की गई।
  5. गुणमयी- तत्त्वकौमुदी की यह टीका महामहोपाध्याय रमेशचंद्र तर्क तीर्थ की रचना है।
  6. पूर्णिमा- पंचानन तर्करत्न की कृति है।
  7. किरणावली- श्री कृष्ण वल्लभाचार्य रचित।
  8. सांख्यतत्त्व कौमुदी प्रभा- डॉ. आद्या प्रसाद मिश्र
  9. तत्त्वप्रकाशिका- डॉ. गजानन शास्त्री मुसलगांवकर
  10. सारबोधिनी- शिवनारायण शास्त्री
  11. सुषमा- हरिराम शुक्ल तत्त्वकौमुदी पर इतनी व्याख्याएँ उसकी प्रसिद्धि और महत्ता का स्पष्ट प्रमाण हैं।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. यह विवरण एन्सायक्लोपीडिया भाग-4 के आधार पर है

संबंधित लेख