जम्मू और कश्मीर की संस्कृति: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
m (Adding category Category:संस्कृति कोश (को हटा दिया गया हैं।)) |
No edit summary |
||
Line 6: | Line 6: | ||
*लेह में स्पितुक बौद्ध विहार में हर साल जनवरी में होने वाले पर्व में काली की प्रतिमाएं बड़े पैमाने पर प्रदर्शित की जाती हैं। | *लेह में स्पितुक बौद्ध विहार में हर साल जनवरी में होने वाले पर्व में काली की प्रतिमाएं बड़े पैमाने पर प्रदर्शित की जाती हैं। | ||
*इसके अलावा सर्दी के चरम का त्योहार लोहड़ी तथा रामबन और पड़ोस के गांवों में सिंह संक्रांति और अगस्त माह में भदरवाह में मेला पात मनाया जाता हैं। | *इसके अलावा सर्दी के चरम का त्योहार लोहड़ी तथा रामबन और पड़ोस के गांवों में सिंह संक्रांति और अगस्त माह में भदरवाह में मेला पात मनाया जाता हैं। | ||
;जनजीवन | |||
{{main|जम्मू और कश्मीर का जनजीवन}} | |||
जम्मू और कश्मीर की भू-आकृति की विविधता के कारण इस क्षेत्र में लोगों के व्यवसायों में भी भारी विविधता पाई जाती है। लोगों के [[पंजाब]] से आकर बसने की दीर्घकालीन प्रवृत्ति के कारण मैदानों और तराइयों में [[कृषि]] बस्तियाँ हैं। लोग और उनकी संस्कृति, दोनों की पंजाब के पड़ोसी क्षेत्रों और पश्चिम की अन्य निम्नभूमि के समरूप है। जहाँ जलाढ़ [[मिट्टी]] और सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धि ने खेती को सम्भव बनाया है। जैसा की दूनों और निचली घाटियों में हुआ। जनसंख्या [[गेहूँ]] और जौ कि फ़सलों पर निर्भर है। | |||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} |
Revision as of 10:34, 21 July 2011
- आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की दशमी को रावण पर राम की विजय के प्रतीक रूप में दशहरा या वियजदशमी का त्योहार मनाया जाता है।
- शिवरात्रि भी जम्मू और कश्मीर में श्रद्धा और भाक्ति के साथ मनाई जाती है।
- राज्य में मनाए जाने वाले चार मुस्लिम त्योहार हैं- ईद-उल-फितर, ईद उल ज़ुहा, ईद-ए-मिलाद या मीलादुन्नबी और मेराज आलम। मुहर्रम भी मनाया जाता हैं।
- लद्दाख का विश्व प्रसिद्ध गोम्पा उत्सव जून महीने में मनाया जाता है।
- हेमिस उत्सव का प्रमुख आकर्षक मुखौटा नृत्य है।
- लेह में स्पितुक बौद्ध विहार में हर साल जनवरी में होने वाले पर्व में काली की प्रतिमाएं बड़े पैमाने पर प्रदर्शित की जाती हैं।
- इसके अलावा सर्दी के चरम का त्योहार लोहड़ी तथा रामबन और पड़ोस के गांवों में सिंह संक्रांति और अगस्त माह में भदरवाह में मेला पात मनाया जाता हैं।
- जनजीवन
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
जम्मू और कश्मीर की भू-आकृति की विविधता के कारण इस क्षेत्र में लोगों के व्यवसायों में भी भारी विविधता पाई जाती है। लोगों के पंजाब से आकर बसने की दीर्घकालीन प्रवृत्ति के कारण मैदानों और तराइयों में कृषि बस्तियाँ हैं। लोग और उनकी संस्कृति, दोनों की पंजाब के पड़ोसी क्षेत्रों और पश्चिम की अन्य निम्नभूमि के समरूप है। जहाँ जलाढ़ मिट्टी और सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धि ने खेती को सम्भव बनाया है। जैसा की दूनों और निचली घाटियों में हुआ। जनसंख्या गेहूँ और जौ कि फ़सलों पर निर्भर है।
|
|
|
|
|