नागालैंड का भूगोल: Difference between revisions

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*[[नागालैंड]] का लगभग समूचा हिस्सा पर्वतीय है।  
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*उत्तर में नागा पहाड़ियाँ ब्रह्मपुत्र घाटी से अचानक लगभग 610 मीटर की ऊंचाई तक उठती हैं और उसके बाद दक्षिण-पूर्व दिशा में इनकी ऊंचाई 1,800 मीटर तक हो जाती है, म्यांमार सीमा के पास ये पहाड़ियां पटकई श्रृंखला से मिल जाती हैं और यहाँ इनकी सबसे ऊंची चोटी माउंट सारामती है, जिसकी ऊंचाई 3,826 मीटर है। यह क्षेत्र कई नदियों द्वारा गहरे रूप में विभक्त है- उत्तर में दोयांग और दिखु, दक्षिण-पश्चिम में बरक और दक्षिण-पूर्व में चिंदविन नदी (म्यांमार में) की सहायक धाराएं।
*उत्तर में नागा पहाड़ियाँ ब्रह्मपुत्र घाटी से अचानक लगभग 610 मीटर की ऊंचाई तक उठती हैं और उसके बाद दक्षिण-पूर्व दिशा में इनकी ऊंचाई 1,800 मीटर तक हो जाती है, [[म्यांमार]] सीमा के पास ये पहाड़ियां पटकई श्रृंखला से मिल जाती हैं और यहाँ इनकी सबसे ऊंची चोटी माउंट सारामती है, जिसकी ऊंचाई 3,826 मीटर है। यह क्षेत्र कई नदियों द्वारा गहरे रूप में विभक्त है- उत्तर में दोयांग और दिखु, दक्षिण-पश्चिम में बरक और दक्षिण-पूर्व में चिंदविन नदी (म्यांमार में) की सहायक धाराएं।
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नागालैंड का दर्ज वन क्षेत्र 8,629 वर्ग किमी है, जबकि वास्तविक वनाच्छादित क्षेत्र 14,221 वर्ग किमी है, जो समूचे भौगोलिक क्षेत्र का 85.8 प्रतिशत है। 1,219 मीटर से कम ऊँचाई पर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय सदाबहार वन पाए जाते हैं, जिनमें ताड़ जाति के वृक्ष, बेंत और [[बांस]] तथा महोगनी जैसी कीमती इमारती लकड़ियों के वृक्ष पाए जाते हैं, ऊँचाई वाले क्षेत्रों में शंकुधारी वन मिलते हैं। जिन क्षेत्रों में झूम<ref>काटकर-जलाकर खेती के लिए जंगल साफ करने की पद्धति</ref> के लिए कटाई की गई है, वहाँ ऊंची घास, नरकुल और झाड़ीदार वन दुबारा उग आए हैं। वन्यजीव अभयारण्य 222 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हुए हैं।
नागालैंड का दर्ज वन क्षेत्र 8,629 वर्ग किमी है, जबकि वास्तविक वनाच्छादित क्षेत्र 14,221 वर्ग किमी है, जो समूचे भौगोलिक क्षेत्र का 85.8 प्रतिशत है। 1,219 मीटर से कम ऊँचाई पर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय सदाबहार वन पाए जाते हैं, जिनमें ताड़ जाति के वृक्ष, बेंत और [[बांस]] तथा महोगनी जैसी कीमती इमारती लकड़ियों के वृक्ष पाए जाते हैं, ऊँचाई वाले क्षेत्रों में शंकुधारी वन मिलते हैं। जिन क्षेत्रों में झूम<ref>काटकर-जलाकर खेती के लिए जंगल साफ करने की पद्धति</ref> के लिए कटाई की गई है, वहाँ ऊंची घास, नरकुल और झाड़ीदार वन दुबारा उग आए हैं। वन्यजीव अभयारण्य 222 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हुए हैं।


निचली पहाड़ियों में गैंडे, [[हाथी]], [[बाघ]], [[तेंदुआ]], [[भालू]], कई तरह के [[बंदर]], सांबर, भैसे और जंगली सांड पाए जाते हैं। इस राज्य में साही, पेंगोलिन (शल्कधारी चींटीखोर), जंगली कुत्ते, [[लोमड़ी]] मुश्क बिलाव नेवले भी पाए जाते है। विशाल भारतीय धनेश पक्षी की दुम के लंबे परों को पारंपरिक वेशभूषा में. इस्तेमाल के लिए संभालकर रखा जाता है।
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[[चित्र:View-Of-Nagaland.jpg|thumb|250px|नागालैंड का एक दृश्य]]

  • नागालैंड का लगभग समूचा हिस्सा पर्वतीय है।
  • उत्तर में नागा पहाड़ियाँ ब्रह्मपुत्र घाटी से अचानक लगभग 610 मीटर की ऊंचाई तक उठती हैं और उसके बाद दक्षिण-पूर्व दिशा में इनकी ऊंचाई 1,800 मीटर तक हो जाती है, म्यांमार सीमा के पास ये पहाड़ियां पटकई श्रृंखला से मिल जाती हैं और यहाँ इनकी सबसे ऊंची चोटी माउंट सारामती है, जिसकी ऊंचाई 3,826 मीटर है। यह क्षेत्र कई नदियों द्वारा गहरे रूप में विभक्त है- उत्तर में दोयांग और दिखु, दक्षिण-पश्चिम में बरक और दक्षिण-पूर्व में चिंदविन नदी (म्यांमार में) की सहायक धाराएं।
जलवायु
  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य
  • नागालैंड की जलवायु मानसूनी है।
  • औसत वार्षिक वर्षा 1,800 से 2,500 मिमी तक होती है और यह दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून[1] के महीनों में संकेंद्रित होती है।
वन्य एवं प्राणी जीवन

नागालैंड का दर्ज वन क्षेत्र 8,629 वर्ग किमी है, जबकि वास्तविक वनाच्छादित क्षेत्र 14,221 वर्ग किमी है, जो समूचे भौगोलिक क्षेत्र का 85.8 प्रतिशत है। 1,219 मीटर से कम ऊँचाई पर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय सदाबहार वन पाए जाते हैं, जिनमें ताड़ जाति के वृक्ष, बेंत और बांस तथा महोगनी जैसी कीमती इमारती लकड़ियों के वृक्ष पाए जाते हैं, ऊँचाई वाले क्षेत्रों में शंकुधारी वन मिलते हैं। जिन क्षेत्रों में झूम[2] के लिए कटाई की गई है, वहाँ ऊंची घास, नरकुल और झाड़ीदार वन दुबारा उग आए हैं। वन्यजीव अभयारण्य 222 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हुए हैं।

निचली पहाड़ियों में गैंडे, हाथी, बाघ, तेंदुआ, भालू, कई तरह के बंदर, सांबर, भैसे और जंगली सांड पाए जाते हैं। इस राज्य में साही, पेंगोलिन (शल्कधारी चींटीखोर), जंगली कुत्ते, लोमड़ी मुश्क बिलाव नेवले भी पाए जाते है। विशाल भारतीय धनेश पक्षी की दुम के लंबे परों को पारंपरिक वेशभूषा में. इस्तेमाल के लिए संभालकर रखा जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मई से सितंबर
  2. काटकर-जलाकर खेती के लिए जंगल साफ करने की पद्धति

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख