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*पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 1º/2 झुकी हुई है।
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*यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किलोमीटर प्रतिघंटा की [[चाल]] से 23 घंटे 56 मिनट और 4 सकेण्ड में एक चक्कर पूरा करती है। पृथ्वी की इस गति को घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं। इस गति से ही दिन व रात होते हैं।  
*यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किलोमीटर प्रतिघंटा की [[चाल]] से 23 घंटे 56 मिनट और 4 सकेण्ड में एक चक्कर पूरा करती है। पृथ्वी की इस गति को घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं। इस गति से ही दिन व रात होते हैं।  
*पृथ्वी को [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] की एक परिक्रमा पूरी करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकेण्ड (लगभग 365 दिन व 6 घंटे) का समय लगता है। सूर्य के चातुर्दिक पृथ्वी के इस परिक्रमा को पृथ्वी की वार्षिक गति अथवा परिक्रमण कहते हैं। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में लगे समय को सौर वर्ष कहा जाता है। प्रत्येक सौर वर्ष, [[कैलंडर]] वर्ष से लगभग 6 घंटा बढ़ जाता है। जिसे हर चौथे वर्ष में लीप वर्ष बनाकर समायोजित किया जाता है। लीप वर्ष 366 दिन का होता है। जिसके कारण [[फ़रवरी]] माह में 28 दिन के स्थान पर 29 दिन होते हैं।  
*पृथ्वी को [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] की एक परिक्रमा पूरी करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकेण्ड (लगभग 365 दिन व 6 घंटे) का समय लगता है। सूर्य के चातुर्दिक पृथ्वी के इस परिक्रमा को पृथ्वी की वार्षिक गति अथवा परिक्रमण कहते हैं। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में लगे समय को सौर वर्ष कहा जाता है। प्रत्येक सौर वर्ष, कैलंडर वर्ष से लगभग 6 घंटा बढ़ जाता है। जिसे हर चौथे वर्ष में लीप वर्ष बनाकर समायोजित किया जाता है। लीप वर्ष 366 दिन का होता है। जिसके कारण [[फ़रवरी]] माह में 28 दिन के स्थान पर 29 दिन होते हैं।  
*पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन, इसकी कक्षा पर झुके होने के कारण तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानि वार्षिक गति के कारण होती है। वार्षिक गति के कारण ही पृथ्वी पर दिन–रात छोटा–बड़ा होता है।  
*पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन, इसकी कक्षा पर झुके होने के कारण तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानि वार्षिक गति के कारण होती है। वार्षिक गति के कारण ही पृथ्वी पर दिन–रात छोटा–बड़ा होता है।  
*आकार एवं बनावट की दृष्टि से पृथ्वी [[शुक्र ग्रह|शुक्र]] के समान है।
*आकार एवं बनावट की दृष्टि से पृथ्वी [[शुक्र ग्रह|शुक्र]] के समान है।
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*पृथ्वी की  उत्पत्ति 4.6 अरब वर्ष पूर्व हुई थी. जिसका 70.8 % भाग जलीय ओर 29.2 % भाग स्थलीय है।
*पृथ्वी की  उत्पत्ति 4.6 अरब वर्ष पूर्व हुई थी. जिसका 70.8 % भाग जलीय ओर 29.2 % भाग स्थलीय है।
*इसका अक्ष इसकी कक्षा के सापेक्ष 66.5º का कोण बनाता है।  
*इसका अक्ष इसकी कक्षा के सापेक्ष 66.5º का कोण बनाता है।  
*सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का [[तारा]] [[प्रॉक्सीमा सिंटोरी]] है, जो अल्फा सिंटोरी समूह का एक तारा है। यह पृथ्वी से 4.22 प्रकाश वर्ष दूर है।  
*सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का [[तारा]] 'प्रॉक्सीमा सिंटोरी' है, जो अल्फा सिंटोरी समूह का एक तारा है। यह पृथ्वी से 4.22 प्रकाश वर्ष दूर है।  
*पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह [[चन्द्रमा ग्रह|चन्द्रमा]] है।
*पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह [[चन्द्रमा ग्रह|चन्द्रमा]] है।
==आंतरिक संरचना==
==आंतरिक संरचना==

Revision as of 10:37, 26 November 2011

चित्र:Disamb2.jpg पृथ्वी एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- पृथ्वी (बहुविकल्पी)
पृथ्वी
विवरण पृथ्वी आकार में पाँचवाँ सबसे बड़ा और सूर्य से दूरी के क्रम में तीसरा ग्रह है। सौरमण्डल का एकमात्र ग्रह, जिस पर जीवन है।
अनुमानित आयु 4600,000,000 (चार अरब साठ करोड़) वर्ष
सम्पूर्ण धरातलीय क्षेत्रफल 510,100,500 (इक्यावन करोड़ एक लाख पाँच सौ) वर्ग किमी
भूमि क्षेत्रफल 14,84,00,000 वर्ग किमी
जलीय क्षेत्रफल 36,13,00,000 वर्ग किमी (71%)
आयतन 1.08321X1012 घन किमी
द्रव्यमान 5.9736×1024 किग्रा
औसत घनत्व 5.52 (पानी के घनत्व के सापेक्ष)
व्यास 12,742 किमी
विषुवत रेखीय व्यास 12,756 किमी
ध्रुवीय व्यास 12,714 किमी
समुद्रतल से अधिकतम ऊँचाई 8848 मीटर (माउंट एवरेस्ट)
समुद्रतल से अधिकतम गहराई 11,033 मीटर (मरियाना ट्रेंच)
सूर्य से दूरी 14,95,97,900 (14 करोड़, 95 लाख, 97 हज़ार, नौ सौ) किमी
चन्द्रमा से दूरी 3,84,403 किमी (लगभग)
परिभ्रमण काल 365 दिन, 5 घण्टे, 48 मिनट, 45.51 सेकण्ड
घूर्णन अवधि 23 घण्टे, 56 मिनट, 4.091 सेकण्ड (अपने अक्ष पर)
उपग्रह चन्द्रमा
सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश पहुँचने में लगने वाला समय 8 मिनट 18 सेकण्ड
पृथ्वी के धरातल का सर्वाधिक निचला स्थान मृत सागर अथवा डेड सी (समुद्र तल से 423 मीटर नीचे)
बाहरी कड़ियाँ गूगल अर्थ
  • पृथ्वी (अंग्रेज़ी: Earth) आकार में 5वां सबसे बड़ा ग्रह है और सूर्य से दूरी के क्रम में तीसरा ग्रह है।
  • यह सौरमण्डल का एकमात्र ग्रह है, जिस पर जीवन है।
  • इसका विषुवतीय / भूमध्यरेखीय व्यास 12,756 किलोमीटर और ध्रुवीय व्यास 12,714 किलोमीटर है।
  • पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 1º/2 झुकी हुई है।
  • यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किलोमीटर प्रतिघंटा की चाल से 23 घंटे 56 मिनट और 4 सकेण्ड में एक चक्कर पूरा करती है। पृथ्वी की इस गति को घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं। इस गति से ही दिन व रात होते हैं।
  • पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकेण्ड (लगभग 365 दिन व 6 घंटे) का समय लगता है। सूर्य के चातुर्दिक पृथ्वी के इस परिक्रमा को पृथ्वी की वार्षिक गति अथवा परिक्रमण कहते हैं। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में लगे समय को सौर वर्ष कहा जाता है। प्रत्येक सौर वर्ष, कैलंडर वर्ष से लगभग 6 घंटा बढ़ जाता है। जिसे हर चौथे वर्ष में लीप वर्ष बनाकर समायोजित किया जाता है। लीप वर्ष 366 दिन का होता है। जिसके कारण फ़रवरी माह में 28 दिन के स्थान पर 29 दिन होते हैं।
  • पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन, इसकी कक्षा पर झुके होने के कारण तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानि वार्षिक गति के कारण होती है। वार्षिक गति के कारण ही पृथ्वी पर दिन–रात छोटा–बड़ा होता है।
  • आकार एवं बनावट की दृष्टि से पृथ्वी शुक्र के समान है।
  • जल की उपस्थिति तथा अंतरिक्ष से नीला दिखाई देने के कारण इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है।
  • पृथ्वी की उत्पत्ति 4.6 अरब वर्ष पूर्व हुई थी. जिसका 70.8 % भाग जलीय ओर 29.2 % भाग स्थलीय है।
  • इसका अक्ष इसकी कक्षा के सापेक्ष 66.5º का कोण बनाता है।
  • सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा 'प्रॉक्सीमा सिंटोरी' है, जो अल्फा सिंटोरी समूह का एक तारा है। यह पृथ्वी से 4.22 प्रकाश वर्ष दूर है।
  • पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है।

आंतरिक संरचना

पृथ्वी की आंतरिक संरचना के सम्बन्ध में वैज्ञानिकों में अनेकों मतभेद हैं। भू-गर्भ में पाई जाने वाली परतों की मोटाई, घनत्व, तापमान, भार एवं वहाँ पर पाए जाने वाले पदार्थ की प्रकृति पर अभी पूर्ण सहमति नहीं हो पायी है। फिर भी तापमान, दबाव, घनत्व, उल्काओं एवं भूकम्पीय तरंगों पर आधारित प्रमाणों को एकत्रित करके पृथ्वी की आंतरिक संरचना के सम्बन्ध में जानकारी पाप्त करने के प्रयास किए गए हैं। पृथ्वी के अन्दर के हिस्से को तीन भागों में बाँटा गया है-

  1. भू-पर्पटी
  2. आवरण
  3. केन्द्रीय भाग

भू-पर्पटी

पृथ्वी के ऊपरी भाग को भू-पर्पटी कहते हैं। यह अन्दर की तरफ़ 34 किमी. तक का क्षेत्र है। यह मुख्यतः बेसाल्ट चट्टानों से बना है। इसके दो भाग हैं-सियाल और सीमा। सियाल क्षेत्र में सिलिकन एवं एलुमिना एवं सीमा क्षेत्र में सिलिकन एवं मैग्नीशियम की बहुलता होती है। कर्स्ट भाग का औसत घनत्व 2.7ग्राम/सेमी.3 है। यह पृथ्वी के कुल आयतन का 0.5% भाग घेरे हुए है।

भूपटल की रचना सामग्री

भूपटल की रचना में सबसे अधिक ऑक्सीजन (46.80%), दूसरे स्थान पर सिलिकन 27.72% और तीसरे स्थान पर एल्यूमीनियम 8.13% का योगदान है।

मेंटल

2900 किमी0 मोटा यह क्षेत्र मुख्यतः बैसाल्ट पत्थरों के समूह की चट्टानों से बना है। मेंटल के इस हिस्से में मैग्मा चैम्बर पाए जाते हैं। इसका औसत घनत्व 3.5 ग्राम/सेमी.3 से 5.5 ग्राम/सेमी.3 है। यह पृथ्वी के कुल आयतन का 83% भाग घेरे हुए है।

केन्द्रीय भाग

पृथ्वी के केन्द्र के क्षेत्र को 'केन्द्रीय भाग' कहते हैं। यह सबसे बड़ा क्षेत्र है। यह क्षेत्र निकिल व फ़ेरस का बना है। इसका औसत घनत्व 13 ग्राम/सेमी3 है। पृथ्वी का केन्द्रीय भाग सम्भवतः द्रव अथवा प्लास्टिक अवस्था में है। यह पृथ्वी का कुल आयतन का 16% भाग घेरे हुए है। पृथ्वी का औसत घनत्व 5.5 ग्राम/सेमी.3 एवं औसत त्रिज्या लगभग 6370 किमी0 है। पृथ्वी के नीचे जाने पर प्रति 32 मीटर की गहराई पर तापमान 1ºC बढ़ता जाता है। पृथ्वी के स्थलीय क्षेत्र पर सबसे नीचा क्षेत्र जार्डन में मृत सागर के आसपास का क्षेत्र है। यह क्षेत्र समुद्रतल से औसतन 400 मीटर नीचा है। सबसे पहले पाइथागोरस ने बताया कि पृथ्वी गोल है और यह आकाश में स्वतंत्र रूप से लटकी हुई है। सर आइज़क न्यूटन ने साबित किया कि पृथ्वी नारंगी के समान है। जेम्स जीन ने इसे नारंगी के बजाए नाशपाती के समान बतलाया। पृथ्वी की बाह्य सतक को मुख्यतः 4 भागों में बाँट सकते हैं-

  1. स्थलमण्डल
  2. जलमण्डल
  3. वायुमण्डल
  4. जैवमण्डल

पृथ्वी देवी

पुराकाल में अंगिराओं ने आदित्यों को यजन कराया। आदित्यों ने उन्हें दक्षिणास्वरूप संपूर्ण पृथ्वी प्रदान कीं दोपहर के समय दक्षिणास्वरूप प्रदत्त पृथ्वी ने अंगिराओं को परितप्त कर दिया, अत: उन्होंने उसका त्याग कर दिया। उसने (पृथ्वी ने) क्रुछ होकर सिंह का रूप धारण किया तथा वह मनुष्यों को खाने लगी। उससे भयभीत होकर मनुष्य भागने लगे। उनके भाग जाने से क्षुधाग्नि में संतप्त भूमि में प्रदर (लंबे गड्ढे तथा खाइयां) पड़ गये। इस घटना से पूर्व पृथ्वी समतल थी।


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