जामा मस्जिद अहमदाबाद: Difference between revisions

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*जामा मस्जिद का निर्माण अहमदशाह ने सन 1423 में करवाया था।  
*जामा मस्जिद का निर्माण अहमदशाह ने सन् 1423 में करवाया था।  
*जामा मस्जिद बेहतरीन कारीगरी का अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करती है।
*जामा मस्जिद बेहतरीन कारीगरी का अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करती है।
*पीले पत्थर से बनी यह मस्जिद पूर्वी देशों की सबसे ख़ूबसूरत मस्जिद है तथा हिन्दू व मुस्लिम संस्कृति के अद्भुत संगम को दर्शाती है।
*पीले पत्थर से बनी यह मस्जिद पूर्वी देशों की सबसे ख़ूबसूरत मस्जिद है तथा हिन्दू व मुस्लिम संस्कृति के अद्भुत संगम को दर्शाती है।

Revision as of 14:06, 6 March 2012

जामा मस्जिद अहमदाबाद
विवरण पीले पत्थर से बनी यह मस्जिद पूर्वी देशों की सबसे ख़ूबसूरत मस्जिद है तथा हिन्दू व मुस्लिम संस्कृति के अद्भुत संगम को दर्शाती है।
राज्य गुजरात
ज़िला अहमदाबाद
निर्माता अहमदशाह
निर्माण काल सन 1423
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 23.023822°- पूर्व- 72.587222°
मार्ग स्थिति जामा मस्जिद अहमदाबाद रेलवे स्टेशन से 14 किमी की दूरी पर स्थित है।
कैसे पहुँचें हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है।
हवाई अड्डा सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन अहमदाबाद रेलवे स्टेशन
यातायात मेट्रो, सिटी बस, टैक्सी
क्या देखें झूलती मीनारें
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
एस.टी.डी. कोड 079
ए.टी.एम लगभग सभी
चित्र:Map-icon.gif गूगल मानचित्र
अन्य जानकारी सन 1818 में इसकी मीनारें भूचाल में गिर गई थीं। झूलती मीनारें आज दूर से ही देखी जा सकती हैं।
अद्यतन‎

जामा मस्जिद गुजरात के अहमदाबाद में स्थित ख़ूबसूरत मस्जिद है।

  • जामा मस्जिद का निर्माण अहमदशाह ने सन् 1423 में करवाया था।
  • जामा मस्जिद बेहतरीन कारीगरी का अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करती है।
  • पीले पत्थर से बनी यह मस्जिद पूर्वी देशों की सबसे ख़ूबसूरत मस्जिद है तथा हिन्दू व मुस्लिम संस्कृति के अद्भुत संगम को दर्शाती है।
  • पुराने शहर की शान यह मस्जिद 80 खम्बों पर खड़ी है।
  • इसमें विभिन्न ऊँचाइयों पर 15 गुम्बद बने हुए है।
  • सन 1818 में इसकी मीनारें भूचाल में गिर गई थीं। झूलती मीनारें आज दूर से ही देखी जा सकती हैं।
  • मध्यकालीन मुस्लिम स्थापत्य कला की उत्कृष्ट उदाहरण इन मीनारों में देखा जा सकता है इन मीनारों की एक खास विशेषता यह है कि एक मीनार पर दबाव पड़ने से दूसरी भी अपने आप हिलने लगती है। सम्भवतः इसलिए ये झूलती मीनारें कहलाती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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