उमा भारती: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
|||
Line 45: | Line 45: | ||
मुख्यमंत्री के पद पर उमा ज़्यादा समय तक नहीं रह सकीं। नौ माह तक मुख्यमंत्री रहने के बाद [[कर्नाटक]] में साम्प्रदायिकता फैलाने तथा दंगे भड़काने के आरोप में उमा भारती को [[23 अगस्त]], [[2004]] को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा। भाजपा ने उमा की सलाह पर इनके विशेष सहयोगी बाबूलाल गौड़ को मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया। [[29 नवम्बर]], [[2005]] को भाजपा ने बाबूलाल गौड़ को भी मुख्यमंत्री पद से हटा दिया और [[शिवराज सिंह चौहान]] को राज्य की बागडोर सौंप दी।<ref name="mdd"/> | मुख्यमंत्री के पद पर उमा ज़्यादा समय तक नहीं रह सकीं। नौ माह तक मुख्यमंत्री रहने के बाद [[कर्नाटक]] में साम्प्रदायिकता फैलाने तथा दंगे भड़काने के आरोप में उमा भारती को [[23 अगस्त]], [[2004]] को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा। भाजपा ने उमा की सलाह पर इनके विशेष सहयोगी बाबूलाल गौड़ को मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया। [[29 नवम्बर]], [[2005]] को भाजपा ने बाबूलाल गौड़ को भी मुख्यमंत्री पद से हटा दिया और [[शिवराज सिंह चौहान]] को राज्य की बागडोर सौंप दी।<ref name="mdd"/> | ||
====आरोपों से बरी==== | ====आरोपों से बरी==== | ||
मुख्यमंत्री के पद से हटाए जाने के कुछ समय बाद ही उमा भारती अपने ऊपर लगे आरोपों से बरी हो गईं। इसके बाद उमा ने मुख्यमंत्री का पद फिर से प्राप्त करने के लिए प्रयास किए, किंतु वे सफल नहीं हो सकीं। भाजपा | मुख्यमंत्री के पद से हटाए जाने के कुछ समय बाद ही उमा भारती अपने ऊपर लगे आरोपों से बरी हो गईं। इसके बाद उमा ने मुख्यमंत्री का पद फिर से प्राप्त करने के लिए प्रयास किए, किंतु वे सफल नहीं हो सकीं। भाजपा पार्टी में उस समय सबसे बड़ा हंगामा हुआ, जब उमा भारती ने [[भारतीय जनता पार्टी]] की एक बैठक के दौरान [[लालकृष्ण आडवाणी]] की उपस्थिति में मीडिया के समक्ष कुर्सी से खड़े होकर पार्टी के ख़िलाफ़ शब्द कहे। | ||
==अलग पार्टी का गठन== | ==अलग पार्टी का गठन== | ||
इस घटना के बाद उमा भारती को भाजपा से पहली बार निलंबित किया गया। कुछ समय बाद उमा भारती ने 'भारतीय जनशक्ति पार्टी' नाम से अपना एक अलग राजनैतिक संगठन खड़ा किया। उमा भारती को अपनी राजनैतिक हैसियत का अंदाज़ा तब लगना शुरु हुआ, जब [[मध्य प्रदेश]] में हुए कई [[विधानसभा]] व संसदीय उपचुनावों में उनकी पार्टी के उम्मीदवार को करारी पराजय का सामना करना पड़ा। यहाँ तक कि वे अपनी बड़ा मलहेरा विधानसभा सीट से भी 'भाजश' पार्टी को नहीं जिता सकीं। 'विश्व हिन्दू परिषद' (विहिप) व '[[राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ]]' (आरएसएस) के कई नेता, जो यह महसूस कर रहे थे कि उमा भारती के विद्रोही तेवर [[हिन्दू]] मतों को विभाजित कर सकते हैं, उन्होंने उमा भारती की भाजपा में वापसी की कोशिशें शुरु कीं। किंतु भाजपा हाईकमान ने उनकी वापसी को स्वीकार नहीं किया। इस प्रकार [[अप्रैल]], [[2007]] में किए गए समझौते के यह प्रयास असफल हो गए।<ref name="mdd"/> | इस घटना के बाद उमा भारती को भाजपा से पहली बार निलंबित किया गया। कुछ समय बाद उमा भारती ने 'भारतीय जनशक्ति पार्टी' नाम से अपना एक अलग राजनैतिक संगठन खड़ा किया। उमा भारती को अपनी राजनैतिक हैसियत का अंदाज़ा तब लगना शुरु हुआ, जब [[मध्य प्रदेश]] में हुए कई [[विधानसभा]] व संसदीय उपचुनावों में उनकी पार्टी के उम्मीदवार को करारी पराजय का सामना करना पड़ा। यहाँ तक कि वे अपनी बड़ा मलहेरा विधानसभा सीट से भी 'भाजश' पार्टी को नहीं जिता सकीं। 'विश्व हिन्दू परिषद' (विहिप) व '[[राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ]]' (आरएसएस) के कई नेता, जो यह महसूस कर रहे थे कि उमा भारती के विद्रोही तेवर [[हिन्दू]] मतों को विभाजित कर सकते हैं, उन्होंने उमा भारती की भाजपा में वापसी की कोशिशें शुरु कीं। किंतु भाजपा हाईकमान ने उनकी वापसी को स्वीकार नहीं किया। इस प्रकार [[अप्रैल]], [[2007]] में किए गए समझौते के यह प्रयास असफल हो गए।<ref name="mdd"/> |
Revision as of 08:39, 26 September 2012
उमा भारती
| |
जन्म | 3 मई, 1959 |
जन्म भूमि | टीकमगढ़, मध्य प्रदेश |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ और समाज सेविका |
पार्टी | 'भारतीय जनता पार्टी', 'भारतीय जनशक्ति पार्टी' |
पद | भूतपूर्व मुख्यमंत्री (मध्य प्रदेश) |
विशेष योगदान | 'रामसेतु' को बचाने के लिए जुलाई, 2007 में उमा भारती ने 'सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट' के विरोध में पाँच दिन की भूख हड़ताल की। |
अन्य जानकारी | हिन्दू धर्म तथा उससे संबंधित अच्छी जानकारी होने के कारण आपने अपने विचारों को किताबों में भी संग्रहित किया है। उनकी लिखी हुई अब तक तीन किताबें बाज़ार में आ चुकी हैं। |
अद्यतन | 1:30, 26 सितम्बर-2012 (IST) |
उमा भारती (जन्म- 3 मई, 1959, टीकमगढ़, मध्य प्रदेश) भारत की महिला राजनीतिज्ञों में से एक हैं। सदैव भगवा वस्त्र में दिखाई देने वालीं उमा भारती का विवादों से भी नाता रहा है। सन 2003 में भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में से एक 'भाजपा' (भारतीय जनता पार्टी) ने उन्हें मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में अपना अगुवा बनाया था। इस समय भाजपा ने 166 सीटों पर विजय प्राप्त की और 8 दिसम्बर, 2003 को उमा भारती मध्य प्रदेश की 22वीं मुख्यमंत्री बनीं। किंतु वे अधिक समय तक इस पद नहीं रह सकीं और नौ महीने बाद ही उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा था। संघ परिवार से संबंधित उमा भारती बचपन से ही हिन्दू धार्मिक ग्रंथों और महाकाव्यों में रुचि लेने लग गई थीं, जिस कारण उनके स्वभाव और व्यक्तित्व में उनकी इस विशेषता की झलक साफ दिखाई देती है। उमा एक आत्म-विश्वासी और आत्म-निर्भर महिला हैं। साध्वी की भांति वेशभूषा धारण किए उमा भारती ने अविवाहित रहकर अपना जीवन धर्म के प्रचार-प्रसार में लगाने का व्रत लिया है।
जन्म तथा शिक्षा
उमा भारती का जन्म 3 मई, 1959 को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ ज़िले में हुआ था। लोधी राजपूत परिवार में जन्म लेने वाली उमा राजनीति में एक तेज-तर्रार महिला नेता के रूप में जानी जाती हैं। उमा भारती हिन्दू महाकाव्यों के विषय में काफ़ी अच्छी जानकारी रखती हैं। एक साध्वी के रूप में अपनी पहचान बना चुकी उमा का ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया से घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। केवल छठी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त उमा भारती धार्मिक विषयों में बहुत अधिक रुचि रखती हैं, जिसके कारण उनका संबंध देश के कई बड़े धार्मिक नेताओं से है। राजनीतिज्ञ और हिन्दू धर्म की प्रचारक होने के अलावा उमा भारती एक समाज सेवी भी हैं।
राजनीतिक शुरुआत
उमा ने अपनी राजनैतिक यात्रा ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया के संरक्षण में प्रारम्भ की थी। अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें एक बड़े नेता के रूप में पेश किया। उमा भारती ने 1984 में अपना पहला संसदीय चुनाव खजुराहो से लड़ा। इसी समय इन्दिरा गाँधी की हत्या हुई और सारे देश में कांग्रेस के पक्ष में एक लहर बन चुकी थी। इसका परिणाम यह हुआ कि उमा को इस चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। लेकिन इन परिस्थितियों में भी उमा ने पार्टी की छवि को बनाये रखा और 1989 में वह खजुराहो सीट से विजयी हुईं। उमा भारती 1991, 1996 तथा 1998 के चुनावों में भी खजुराहो की संसदीय सीट पर लगातार विजय प्राप्त करती रहीं। उन्होंने 1999 का चुनाव भोपाल से लड़ा था।[1]
मुख्यमंत्री का पद
राजनैतिक नज़रिये से उमा भारती का क़द उस समय और भी बढ़ गया, जब अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में उन्हें राज्यमंत्री के रूप में मानव संसाधन मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, युवा एवं खेल मामलों की मंत्री तथा कोयला मंत्री आदि के रूप में कार्य करने का अवसर मिला। सन 2003 के मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने उमा भारती को अपना अगुआकार बनाया। इसमें मध्य प्रदेश की 231 सदस्यों की विधानसभा में भाजपा ने 166 सीटें जीतकर सदन में तीन चौथाई बहुमत प्राप्त किया। इस प्रकार उमा भारती मध्य प्रदेश की जनता के समक्ष 22वीं मुख्यमंत्री के रूप में 8 दिसंबर, 2003 को आईं।
त्यागपत्र
मुख्यमंत्री के पद पर उमा ज़्यादा समय तक नहीं रह सकीं। नौ माह तक मुख्यमंत्री रहने के बाद कर्नाटक में साम्प्रदायिकता फैलाने तथा दंगे भड़काने के आरोप में उमा भारती को 23 अगस्त, 2004 को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा। भाजपा ने उमा की सलाह पर इनके विशेष सहयोगी बाबूलाल गौड़ को मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया। 29 नवम्बर, 2005 को भाजपा ने बाबूलाल गौड़ को भी मुख्यमंत्री पद से हटा दिया और शिवराज सिंह चौहान को राज्य की बागडोर सौंप दी।[1]
आरोपों से बरी
मुख्यमंत्री के पद से हटाए जाने के कुछ समय बाद ही उमा भारती अपने ऊपर लगे आरोपों से बरी हो गईं। इसके बाद उमा ने मुख्यमंत्री का पद फिर से प्राप्त करने के लिए प्रयास किए, किंतु वे सफल नहीं हो सकीं। भाजपा पार्टी में उस समय सबसे बड़ा हंगामा हुआ, जब उमा भारती ने भारतीय जनता पार्टी की एक बैठक के दौरान लालकृष्ण आडवाणी की उपस्थिति में मीडिया के समक्ष कुर्सी से खड़े होकर पार्टी के ख़िलाफ़ शब्द कहे।
अलग पार्टी का गठन
इस घटना के बाद उमा भारती को भाजपा से पहली बार निलंबित किया गया। कुछ समय बाद उमा भारती ने 'भारतीय जनशक्ति पार्टी' नाम से अपना एक अलग राजनैतिक संगठन खड़ा किया। उमा भारती को अपनी राजनैतिक हैसियत का अंदाज़ा तब लगना शुरु हुआ, जब मध्य प्रदेश में हुए कई विधानसभा व संसदीय उपचुनावों में उनकी पार्टी के उम्मीदवार को करारी पराजय का सामना करना पड़ा। यहाँ तक कि वे अपनी बड़ा मलहेरा विधानसभा सीट से भी 'भाजश' पार्टी को नहीं जिता सकीं। 'विश्व हिन्दू परिषद' (विहिप) व 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' (आरएसएस) के कई नेता, जो यह महसूस कर रहे थे कि उमा भारती के विद्रोही तेवर हिन्दू मतों को विभाजित कर सकते हैं, उन्होंने उमा भारती की भाजपा में वापसी की कोशिशें शुरु कीं। किंतु भाजपा हाईकमान ने उनकी वापसी को स्वीकार नहीं किया। इस प्रकार अप्रैल, 2007 में किए गए समझौते के यह प्रयास असफल हो गए।[1]
भाजपा में वापसी
यद्यपि उमा भारती की वापसी को लेकर प्रारम्भ से ही 'भारतीय जनता पार्टी' में विरोधाभास की स्थिति विद्यमान थी, किंतु जून, 2011 में उमा भारती को भाजपा में फिर से सम्मिलित कर लिया गया। इस प्रकार लगभग छ: साल के लंबे समयांतराल के बाद उमा भारती का भाजपा में आगमन हुआ।[2]
योगदान
- 'राम जन्म भूमि' को बचाने के प्रयास में उमा भारती ने कई प्रभावकारी कदम उठाए। उन्होंने पार्टी से निलंबन के बाद भोपाल से लेकर अयोध्या तक की कठिन पदयात्रा भी की थी।
- उमा ने साध्वी ऋतंभरा के साथ मिलकर अयोध्या मसले पर आंदोलन प्रारम्भ किया। इस आंदोलन के लिए उन्होंने एक सशक्त नारा भी दिया- "राम-लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे"।
- रामसेतु को बचाने के लिए जुलाई, 2007 में उमा भारती ने 'सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट' के विरोध में पाँच दिन की भूख हड़ताल की।[2]
लेखन कार्य
उमा भारती की लेखन कार्य में भी रुचि रही है। हिन्दू धर्म तथा उससे संबंधित अच्छी जानकारी होने के कारण ही उमा ने अपने विचारों को किताबों में भी संग्रहित किया है। उनकी लिखी हुई अब तक तीन किताबें बाज़ार में आ चुकी हैं। इन किताबों में से एक भारत के बाहर भी प्रकाशित। उनकी किताबों के नाम इस प्रकार हैं-
- स्वामी विवेकानंद - 1972
- पीस ऑफ़ माइंड - 1978, अफ़्रीका
- मानव एक भक्ति का नाता - 1983
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख