ब्राह्मण ग्रन्थों के भाष्यकार: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
m (Text replace - "Category:कोश" to "Category:पौराणिक कोश Category:दर्शन कोश") |
m (Text replace - "{{Menu}}" to "") |
||
Line 1: | Line 1: | ||
==भाष्यकार== | ==भाष्यकार== | ||
सायणाचार्य मन्त्र-संहिताओं के समान [[ब्राह्मण ग्रन्थ|ब्राह्मणग्रन्थों]] के भी प्रामाणिक भाष्यकार हैं। जैमिनीय शाखा के सामवेदीय ब्राह्मणों और [[गोपथ ब्राह्मण]] को छोड़कर सभी उपलब्ध ब्राह्मणों पर उनके भाष्य प्राप्त हैं। सम्प्रति ब्राह्मणग्रन्थों को समझने में उनके भाष्यों से हमें सर्वाधिक सहायता मिलती है। कारण यह है कि वैदिक तत्वों के तो मर्मज्ञ वे थे ही, यज्ञविद्या के भी सैद्धान्तिक और प्रायोगिक पक्षों का गहन ज्ञान उन्हें था। इसीलिए ब्राह्मणों की व्याख्या करते समय वे मात्र शब्दार्थ दे देने तक अपने को सीमित नहीं रखते, अपितु कर्मकाण्डीय पद्धति के आवश्यक अंश भी देते चलते हैं। तुलनात्मक दृष्टि से अन्य ब्राह्मणों के अंश भी उद्धृत कर देते हैं, साथ ही यथास्थान सूत्र ग्रन्थों के सन्दर्भ भी संगृहीत कर पाठक की भलीभाँति सहायता करते हैं। ब्राह्मणग्रन्थों पर उपलब्ध अन्य भाष्यों का विवरण इस प्रकार है- | सायणाचार्य मन्त्र-संहिताओं के समान [[ब्राह्मण ग्रन्थ|ब्राह्मणग्रन्थों]] के भी प्रामाणिक भाष्यकार हैं। जैमिनीय शाखा के सामवेदीय ब्राह्मणों और [[गोपथ ब्राह्मण]] को छोड़कर सभी उपलब्ध ब्राह्मणों पर उनके भाष्य प्राप्त हैं। सम्प्रति ब्राह्मणग्रन्थों को समझने में उनके भाष्यों से हमें सर्वाधिक सहायता मिलती है। कारण यह है कि वैदिक तत्वों के तो मर्मज्ञ वे थे ही, यज्ञविद्या के भी सैद्धान्तिक और प्रायोगिक पक्षों का गहन ज्ञान उन्हें था। इसीलिए ब्राह्मणों की व्याख्या करते समय वे मात्र शब्दार्थ दे देने तक अपने को सीमित नहीं रखते, अपितु कर्मकाण्डीय पद्धति के आवश्यक अंश भी देते चलते हैं। तुलनात्मक दृष्टि से अन्य ब्राह्मणों के अंश भी उद्धृत कर देते हैं, साथ ही यथास्थान सूत्र ग्रन्थों के सन्दर्भ भी संगृहीत कर पाठक की भलीभाँति सहायता करते हैं। ब्राह्मणग्रन्थों पर उपलब्ध अन्य भाष्यों का विवरण इस प्रकार है- |
Revision as of 07:47, 25 March 2010
भाष्यकार
सायणाचार्य मन्त्र-संहिताओं के समान ब्राह्मणग्रन्थों के भी प्रामाणिक भाष्यकार हैं। जैमिनीय शाखा के सामवेदीय ब्राह्मणों और गोपथ ब्राह्मण को छोड़कर सभी उपलब्ध ब्राह्मणों पर उनके भाष्य प्राप्त हैं। सम्प्रति ब्राह्मणग्रन्थों को समझने में उनके भाष्यों से हमें सर्वाधिक सहायता मिलती है। कारण यह है कि वैदिक तत्वों के तो मर्मज्ञ वे थे ही, यज्ञविद्या के भी सैद्धान्तिक और प्रायोगिक पक्षों का गहन ज्ञान उन्हें था। इसीलिए ब्राह्मणों की व्याख्या करते समय वे मात्र शब्दार्थ दे देने तक अपने को सीमित नहीं रखते, अपितु कर्मकाण्डीय पद्धति के आवश्यक अंश भी देते चलते हैं। तुलनात्मक दृष्टि से अन्य ब्राह्मणों के अंश भी उद्धृत कर देते हैं, साथ ही यथास्थान सूत्र ग्रन्थों के सन्दर्भ भी संगृहीत कर पाठक की भलीभाँति सहायता करते हैं। ब्राह्मणग्रन्थों पर उपलब्ध अन्य भाष्यों का विवरण इस प्रकार है-
- ॠग्वेद के ऐतरेय ब्राह्मण पर सायण से पूर्ववर्ती दो भाष्यकारों के भाष्य मिलते हैं। इनमें से एक गोविन्दस्वामी (13वीं शती से पूर्व) का है और दूसरा षड्गुरुशिष्य (12वीं शती के मध्य में) का है। षड्गुरुशिष्य का भाष्य संक्षिप्त है और अनन्तशयन ग्रन्थमाला (केरल) से प्रकाशित हो चुका है। शतपथ ब्राह्मण पर सायण से पूर्ववर्ती (षष्ठ शती विक्रमी में विद्यमान) हरिस्वामी का अपूर्ण भाष्य प्राप्त होता है। यह पराशर गोत्रीय थे। इनके पिता का नाम था नागस्वामी। अवन्ती के विक्रम राजा के ये धर्माध्यक्ष थे। हरिस्वामी का शतपथ-भाष्य प्राचीन होने के साथ ही प्रामाणिक भी है। इस भाष्य का निर्माणकाल 3740 कलिवर्ष (538 ई॰) माना जाता है।
- तैत्तिरीय ब्राह्मण पर भट्टभास्कर और सायणाचार्य[1] के भाष्य उपलब्ध हैं।
अन्य सम्बंधित लेख |
- सामवेद के सभी कौथुमशाखीय ब्राह्मणों पर सायणाचार्य के भाष्य उपलब्ध हैं। ताण्ड्य ब्राह्मण पर हरिस्वामी के पुत्र जयस्वामी की टीका का उल्लेख मिलता है, लेकिन वह उपलब्ध नहीं है। भट्टभास्कर मिश्र और भरतस्वामी के सामब्राह्मणों के भाष्यों का पहले उल्लेख किया जा चुका है। मन्त्र ब्राह्मण पर गुणविष्णु ने भाष्य लिखा है।
- संहितोपनिषद ब्राह्मण पर द्विजराज भट्ट का भाष्य प्रकाशित हो चुका है। स्वयं भाष्यकार के द्वारा प्रदत्त विवरण से ज्ञात होता है कि उनके पिता विष्णु भट्ट महान् वैदिक विद्वान् थे। द्विजराज भट्ट का जन्म श्रीवंश में हुआ। बर्नेल के अनुसार वे दक्षिण भारतीय थे।
- अथर्ववेदीय गोपथ ब्राह्मण पर कोई भी भाष्य नहीं मिलता।
टीका-टिप्पणी