Template:एक पर्यटन स्थल: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 6: Line 6:
|-
|-
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
[[चित्र:Chota-Imambara-Lucknow.jpg|right|120px|छोटा इमामबाड़ा लखनऊ|link=लखनऊ|border]]
[[चित्र:Keshi-Ghat-3.jpg|right|130px|केशी घाट वृन्दावन|link=वृन्दावन|border]]
<poem>
<poem>
         '''[[लखनऊ]]''' को ऐतिहासिक रूप से [[अवध]] क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना [[अवध के नवाब]] '[[आसफ़उद्दौला]]' ने 1775 ई. में की थी। पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार इसका प्राचीन नाम 'लक्ष्मणपुर' था। [[राम]] के छोटे भाई [[लक्ष्मण]] ने इसे बसाया था। यहाँ के शिया नवाबों ने शिष्टाचार, ख़ूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को सदैव संरक्षण दिया। लखनऊ 'नवाबों का शहर' भी कहलाता है। लखनऊ में [[बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ|बड़ा इमामबाड़ा]], [[छोटा इमामबाड़ा लखनऊ|छोटा इमामबाड़ा]] तथा [[रूमी दरवाज़ा लखनऊ|रूमी दरवाज़ा]] [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल वास्तुकला]] के अद्भुत उदाहरण हैं। [[लखनऊ|... और पढ़ें]]
         '''[[वृन्दावन]]''' [[मथुरा]] से 12 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पश्चिम में [[यमुना]] तट पर स्थित है। यह [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] की लीलास्थली है। [[हरिवंश पुराण]], [[भागवत पुराण|श्रीमद्भागवत]], [[विष्णु पुराण]] आदि में वृन्दावन की महिमा का वर्णन किया गया है। महाकवि [[कालिदास]] ने इसका उल्लेख [[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]] में इंदुमती-स्वयंवर के प्रसंग में शूरसेनाधिपति सुषेण का परिचय देते हुए किया है। इससे कालिदास के समय में वृन्दावन के मनोहारी उद्यानों की स्थिति का ज्ञान होता है। वृन्दावन को 'ब्रज का हृदय' कहते है जहाँ [[राधा]]-[[कृष्ण]] ने अपनी दिव्य लीलाएँ की हैं। इस पावन भूमि को पृथ्वी का अति उत्तम तथा परम गुप्त भाग कहा गया है। [[पद्म पुराण]] में इसे भगवान का साक्षात शरीर, पूर्ण ब्रह्म से सम्पर्क का स्थान तथा सुख का आश्रय बताया गया है। [[वृन्दावन|... और पढ़ें]]
</poem>
</poem>
----
----
Line 15: Line 15:
|-
|-
| [[एक पर्यटन स्थल|पिछले पर्यटन स्थल]] →
| [[एक पर्यटन स्थल|पिछले पर्यटन स्थल]] →
| [[लखनऊ]] ·
| [[जयपुर]] ·
| [[जयपुर]] ·
| [[कन्याकुमारी]] ·
| [[कन्याकुमारी]] ·
| [[अयोध्या]] ·
| [[अयोध्या]]  
| [[कौसानी]]  
|}</center>
|}</center>
|}<noinclude>[[Category:एक पर्यटन स्थल के साँचे]]</noinclude>
|}<noinclude>[[Category:एक पर्यटन स्थल के साँचे]]</noinclude>

Revision as of 13:44, 18 July 2014

एक पर्यटन स्थल

right|130px|केशी घाट वृन्दावन|link=वृन्दावन|border

        वृन्दावन मथुरा से 12 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पश्चिम में यमुना तट पर स्थित है। यह श्रीकृष्ण की लीलास्थली है। हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण आदि में वृन्दावन की महिमा का वर्णन किया गया है। महाकवि कालिदास ने इसका उल्लेख रघुवंश में इंदुमती-स्वयंवर के प्रसंग में शूरसेनाधिपति सुषेण का परिचय देते हुए किया है। इससे कालिदास के समय में वृन्दावन के मनोहारी उद्यानों की स्थिति का ज्ञान होता है। वृन्दावन को 'ब्रज का हृदय' कहते है जहाँ राधा-कृष्ण ने अपनी दिव्य लीलाएँ की हैं। इस पावन भूमि को पृथ्वी का अति उत्तम तथा परम गुप्त भाग कहा गया है। पद्म पुराण में इसे भगवान का साक्षात शरीर, पूर्ण ब्रह्म से सम्पर्क का स्थान तथा सुख का आश्रय बताया गया है। ... और पढ़ें


पिछले पर्यटन स्थल लखनऊ · जयपुर · कन्याकुमारी · अयोध्या