एक पर्यटन स्थल

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

मुखपृष्ठ पर चयनित पर्यटन स्थल

चंडीगढ़

right|120px|link=रॉक गार्डन चंडीगढ़|border

        चंडीगढ़ आधुनिक शिल्‍पकला वैभव से संपन्‍न एक केंद्रशासित प्रदेश है। शिवालिक पहाडियों की नयनाभिराम तलहटी में बसा चंडीगढ़ वास्‍तविक अर्थों में एक ख़ूबसूरत शहर है। फ्रांसीसी वास्‍तुशिल्‍पी 'ला कार्बूजिए' द्वारा निर्मित यह शहर आधुनिक स्‍थापत्‍य कला तथा नगर नियोजन का शानदार उदाहरण है। इस शहर की ख़ासियत है स्वच्छता। चंडीगढ़ के लोग स्वयं अपने शहर की सफ़ाई के प्रति बहुत सतर्क रहते हैं। समुद्रतट से 365 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 114 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले सन् 1953 में निर्मित इस शहर में कभी जनसंख्या इतनी कम थी कि सिर्फ़ सुबह 9.30 बजे और शाम पांच बजे कार्यालयों की छुट्टी के समय ही लाल बत्ती पर लोग दिखते थे। यहाँ की जलवायु बहुत ही सुखद है। भीषण गर्मी में यहाँ सूती कपड़े और जींस आदि पहने हुए लोग देखे जा सकते हैं। सर्दियों के लिए गर्म मोजे, स्वेटर, जैकेट और शॉल पर्याप्त हैं। रॉक गार्डन, रोज़ गार्डन, सुखना झील आदि यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। ... और पढ़ें

लाल क़िला

right|120px|link=लाल क़िला|border

        लाल क़िला दुनिया के सर्वाधिक प्रभावशाली भव्‍य क़िलों में से एक है। इसकी दीवारें ढाई किलोमीटर लंबी और 60 फुट ऊँची हैं। दिल्ली में स्थित यह ऐतिहासिक क़िला मुग़लकालीन वास्तुकला की नायाब धरोहर है। भारत का इतिहास भी इस क़िले के साथ काफ़ी नज़दीकी से जुड़ा हुआ है। भारत की शान के प्रतीक लाल क़िले का निर्माण मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने सत्रहवीं शती में कराया था। लाल क़िले की प्राचीर से ही भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने घोषणा की थी कि अब भारत उपनिवेशी राज से स्‍वतंत्र है। ... और पढ़ें

रणथम्भौर क़िला

right|130px|रणथम्भौर क़िला|link=सोमनाथ|border

        रणथम्भौर क़िला राजस्थान में ऐतिहासिक घटनाओं एवं बहादुरी का प्रतीक है। रणथम्भौर का दुर्ग सीधी ऊँची खड़ी पहाड़ी पर स्थित है, जो आसपास के मैदानों के ऊपर 700 फुट की ऊंचाई पर है। यह विंध्य पठार और अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित है, जो 7 कि.मी. भौगोलिक क्षेत्र में फैला हुआ है। इस क़िले के निर्माता का नाम अनिश्चित है, किन्तु इतिहास में सर्वप्रथम इस पर चौहानों के अधिकार का उल्लेख मिलता है। जनश्रुति है कि प्रारम्भ में इस दुर्ग के स्थान के निकट 'पद्मला' नामक एक सरोवर था। यह इसी नाम से आज भी क़िले के अन्दर ही स्थित है। इसके तट पर पद्मऋषि का आश्रम था। इन्हीं की प्रेरणा से जयंत और रणधीर नामक दो राजकुमारों ने जो कि अचानक ही शिकार खेलते हुए वहाँ पहुँच गए थे, इस क़िले को बनवाया और इसका नाम 'रणस्तम्भर' रखा। क़िले की स्थापना पर यहाँ गणेश जी की प्रतिष्ठा की गई थी, जिसका आह्वान राज्य में विवाहों के अवसर पर किया जाता है। ... और पढ़ें

गुजरात

right|130px|सोमनाथ ज्योतिर्लिंग|link=सोमनाथ|border

        गुजरात पश्चिमी भारत में स्थित एक राज्य है। यहाँ मिले पुरातात्विक अवशेषों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस राज्य में मानव सभ्यता का विकास 5 हज़ार वर्ष पहले हो चुका था। गुजरात ई. पू. तीसरी शताब्दी में मौर्य साम्राज्य में शामिल था। जूनागढ़ के अभिलेख से इस बात की पुष्टि होती है। गुजरात पर चौथी-पाँचवीं शताब्दी के दौरान गुप्त वंश का शासन रहा। यह भी मान्यता है कि भगवान कृष्ण मथुरा छोड़कर सौराष्ट्र के पश्चिमी तट पर जा बसे थे, जो द्वारका अर्थात् 'प्रवेशद्वार' कहलाया। गुजरात एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। गुजरात में सोमनाथ, द्वारका, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, पालीताना एवं गिरनार जैसे धार्मिक स्थलों के अलावा महात्मा गाँधी की जन्मभूमि पोरबंदर तथा पुरातत्त्व और वास्तुकला की दृष्टि से उल्लेखनीय पाटन, लोथल और अहमदाबाद जैसे स्थान भी हैं। ... और पढ़ें

ऊटी

right|130px|बॉटनिकल गार्डन, ऊटी|link=बॉटनिकल गार्डन|border

        ऊटी तमिल नाडु में दक्षिण भारत का सबसे प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। ऊटी, समुद्रतल से 2,240 मीटर की ऊँचाई पर बसा हुआ है। अंग्रेज़ों द्वारा 1821 में स्थापित ऊटी का इस्तेमाल 1947 में भारत के स्वतंत्र होने तक मद्रास प्रेज़िडेंसी के ग्रीष्मकालीन सरकारी मुख्यालय के रूप में किया जाता था। इसके चारों तरफ़ कई चोटियाँ हैं, जिनमें तमिल नाडु का सबसे ऊँचा क्षेत्र डोड्डाबेट्टा (2,637 मीटर) भी शामिल है। यहाँ के दर्शनीय स्थलों में सबसे पहला नाम बॉटनिकल गार्डन का आता है। यह गार्डन 22 एकड़ में फैला हुआ है और यहाँ लगभग 650 दुर्लभ किस्म के पेड़-पौधों के साथ-साथ, अद्भुत ऑर्किड, रंगबिरंगे लिली, ख़ूबसूरत झाड़ियाँ व 2000 हज़ार साल पुराने पेड़ का अवशेष देखने को मिलता है। ... और पढ़ें

नैनीताल

right|130px|नैनी झील, नैनीताल|link=नैनी झील|border

        नैनीताल उत्तराखण्ड का प्रसिद्ध पर्यटन स्‍थल है। नैनीताल में सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा। इसे भारत का 'लेक डिस्ट्रिक्ट' कहा जाता है। पौराणिक इतिहासकारों के अनुसार मानसखंड के अध्याय 40 से 51 तक नैनीताल क्षेत्र के पुण्य स्थलों, नदी, नालों और पर्वत श्रृंखलाओं का 219 श्लोकों में वर्णन मिलता है। मानसखंड में नैनीताल और कोटाबाग़ के बीच के पर्वत को शेषगिरि पर्वत कहा गया है, जिसके एक छोर पर सीतावनी स्थित है। कहा जाता है कि सीतावनी में भगवान रामसीता जी ने कुछ समय बिताया है। जनश्रुति है कि सीता सीतावनी में ही अपने पुत्रों लवकुश के साथ राम द्वारा वनवास दिये जाने के दिनों में रही थीं। ... और पढ़ें

महेश्वर

right|130px|अहिल्या घाट, महेश्वर|link=महेश्वर|border

        महेश्वर मध्य प्रदेश में स्थित एक ऐतिहासिक नगर तथा प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह नर्मदा नदी के किनारे पर बसा है। प्राचीन समय में यह होल्कर वंश की राजधानी था। महेश्वर को 'माहिष्मती' नाम से भी जाना जाता है। महेश्वर का हिन्दू धार्मिक ग्रंथ 'रामायण' तथा 'महाभारत' में भी उल्लेख मिलता है। देवी अहिल्याबाई होल्कर के कालखंड में बनाये गए यहाँ के घाट बहुत सुन्दर हैं और इनका प्रतिबिम्ब नर्मदा नदी के जल में बहुत ख़ूबसूरत दिखाई देता है। यह शहर अपनी 'महेश्वरी साड़ियों' के लिए भी विशेष रूप से प्रसिद्ध रहा है। ... और पढ़ें

वृन्दावन

right|130px|केशी घाट वृन्दावन|link=वृन्दावन|border

        वृन्दावन मथुरा से 12 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पश्चिम में यमुना तट पर स्थित है। यह श्रीकृष्ण की लीलास्थली है। हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण आदि में वृन्दावन की महिमा का वर्णन किया गया है। महाकवि कालिदास ने इसका उल्लेख रघुवंश में इंदुमती-स्वयंवर के प्रसंग में शूरसेनाधिपति सुषेण का परिचय देते हुए किया है। इससे कालिदास के समय में वृन्दावन के मनोहारी उद्यानों की स्थिति का ज्ञान होता है। वृन्दावन को 'ब्रज का हृदय' कहते है जहाँ राधा-कृष्ण ने अपनी दिव्य लीलाएँ की हैं। इस पावन भूमि को पृथ्वी का अति उत्तम तथा परम गुप्त भाग कहा गया है। पद्म पुराण में इसे भगवान का साक्षात शरीर, पूर्ण ब्रह्म से सम्पर्क का स्थान तथा सुख का आश्रय बताया गया है। ... और पढ़ें

लखनऊ

right|120px|छोटा इमामबाड़ा लखनऊ|link=लखनऊ|border

        लखनऊ को ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना अवध के नवाब 'आसफ़उद्दौला' ने 1775 ई. में की थी। पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार इसका प्राचीन नाम 'लक्ष्मणपुर' था। राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने इसे बसाया था। यहाँ के शिया नवाबों ने शिष्टाचार, ख़ूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को सदैव संरक्षण दिया। लखनऊ 'नवाबों का शहर' भी कहलाता है। लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा तथा रूमी दरवाज़ा मुग़ल वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण हैं। ... और पढ़ें

जयपुर

right|120px|जल महल|link=जयपुर|border

        जयपुर वर्तमान राजस्थान राज्य की राजधानी और सबसे बड़ा नगर है। जयपुर की नींव कछवाहा शासक सवाई जयसिंह के द्वारा रखी गयी थी। जयपुर, सूखी झील के मैदान में बसा है जिसके तीन ओर की पहाड़ियों की चोटी पर पुराने क़िले हैं। यह बड़ा सुनियोजित नगर है। बाज़ार सीधी सड़कों के दोनों ओर हैं और इनके भवनों का निर्माण भी एक ही आकार-प्रकार का है। नगर के चारों ओर चौड़ी और ऊँची दीवार है, जिसमें सात द्वार हैं। यहाँ के भवनों के निर्माण में गुलाबी रंग के पत्थरों का उपयोग किया गया है, इसलिए इसे 'गुलाबी शहर' भी कहा जाता है। ... और पढ़ें

कन्याकुमारी

right|120px|कन्याकुमारी मंदिर|link=कन्याकुमारी|border

        कन्याकुमारी भारत भूमि के सबसे दक्षिण बिंदु पर स्थित केवल एक नगर ही नहीं बल्कि देशी विदेशी सैलानियों का एक बड़ा पर्यटन स्थल भी है। भारत के मस्तक पर मुकुट के समान सजे हिमालय के धवल शिखरों को निकट से देखने के बाद हर सैलानी के मन में भारतभूमि के अंतिम छोर को देखने की इच्छा भी उभरने लगती है। यह स्थान एक खाड़ी, एक सागर और एक महासागर का मिलन बिंदु है। अपार जलराशि से घिरे इस स्थल के पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर एवं दक्षिण में हिंद महासागर है। यहाँ आकर हर व्यक्ति को प्रकृति के अनंत स्वरूप के दर्शन होते हैं। सागर-त्रय के संगम की इस दिव्यभूमि पर माँ भगवती 'देवी कुमारी' के रूप में विद्यमान हैं। इस पवित्र स्थान को विदेशी सैलानियों ने 'एलेक्जेंड्रिया ऑफ़ ईस्ट' की उपमा से नवाज़ा है। ... और पढ़ें

अयोध्या

right|100px|अयोध्या का एक दृश्य|link=अयोध्या|border

        अयोध्या उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रसिद्ध धार्मिक नगर है। रामायण के अनुसार दशरथ अयोध्या के राजा थे। श्रीराम का जन्म यहीं हुआ था। राम की जन्म-भूमि अयोध्या सरयू नदी के दाएँ तट पर स्थित है। अयोध्या हिन्दुओं के प्राचीन और सात पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। रामायण के अनुसार अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी। कई शताब्दियों तक यह नगर सूर्य वंश की राजधानी रहा। यहाँ आज भी हिन्दू, बौद्ध, इस्लाम और जैन धर्म से जुड़े अवशेष देखे जा सकते हैं। जैन मत के अनुसार यहाँ आदिनाथ सहित पाँच तीर्थंकरों का जन्म हुआ था। ... और पढ़ें

कौसानी

right|100px|कौसानी का एक दृश्य|link=कौसानी|border

        कौसानी उत्तराखण्ड राज्‍य के अल्मोड़ा ज़िले से 53 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। यह भारत का ख़ूबसूरत पर्वतीय पर्यटक स्‍थल है। कौसानी हिमालय की ख़ूबसूरती के दर्शन कराता पिंगनाथ चोटी पर बसा है। यहाँ से बर्फ़ से ढके नंदा देवी पर्वत की चोटी का नज़ारा बडा भव्‍य दिखाई देता है। कोसी नदी और गोमती नदी के बीच बसे कौसानी को महात्मा गाँधी ने 'भारत का स्विट्जरलैंड' कहा था। यहाँ के ख़ूबसूरत प्राकृतिक नज़ारे, खेल और धार्मिक स्‍थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। ... और पढ़ें

इंडिया गेट

right|100px|link=इंडिया गेट|border

        इंडिया गेट दिल्ली का ही नहीं अपितु भारत का महत्त्वपूर्ण स्‍मारक है। इंडिया गेट को 80,000 से अधिक भारतीय सैनिकों की याद में निर्मित किया गया था जिन्‍होंने प्रथम विश्‍वयुद्ध में वीरगति पाई थी। इंडिया गेट को पहले 'अखिल भारतीय युद्ध स्‍मृति' के नाम से जाना जाता था। हर वर्ष 26 जनवरी को इंडिया गेट गणतंत्र दिवस की परेड का गवाह बनता है। जहाँ आधुनिकतम रक्षा प्रौद्योगिकी के उन्‍नयन का प्रदर्शन किया जाता है। ... और पढ़ें

लाल क़िला

right|120px|link=लाल क़िला|border

        लाल क़िला दुनिया के सर्वाधिक प्रभावशाली भव्‍य क़िलों में से एक है। इसकी दीवारें ढाई किलोमीटर लंबी और 60 फुट ऊँची हैं। दिल्ली में स्थित यह ऐतिहासिक क़िला मुग़लकालीन वास्तुकला की नायाब धरोहर है। भारत का इतिहास भी इस क़िले के साथ काफ़ी नज़दीकी से जुड़ा हुआ है। भारत की शान के प्रतीक लाल क़िले का निर्माण मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने सत्रहवीं शती में कराया था। लाल क़िले की प्राचीर से ही भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने घोषणा की थी कि अब भारत उपनिवेशी राज से स्‍वतंत्र है। ... और पढ़ें

उदयपुर

right|120px|सिटी पैलेस काम्‍पलेक्‍स उदयपुर|link=उदयपुर|border

     उदयपुर को उत्तर भारत का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थल माना जाता है। उदयपुर को 'झीलों का शहर' भी कहते हैं। पर्यटकों के आकर्षण के लिए यहाँ बहुत कुछ है। झीलों के साथ रेगिस्तान का अनोखा संगम केवल यहीं मिलता है। यह शहर अरावली पर्वतमाला के पास राजस्थान में स्थित है। उदयपुर के प्रमुख दर्शनीय स्थल यहाँ के शासकों द्वारा बनवाये गए महल, झीलें, बग़ीचे तथा स्‍मारक हैं। ये सभी चीज़ें हमें सिसोदिया-राजपूत शासकों के सदगुण, विजय तथा स्‍वतंत्रता की याद दिलाते हैं। इनका निर्माण उस समय हुआ जब मेवाड़ ने पहली बार मुग़लों की अधीनता स्‍वीकार की थी तथा बाद में अंग्रेज़ों की। ... और पढ़ें

मथुरा

right|120px|कृष्ण जन्मभूमि|link=मथुरा|border

     मथुरा उत्तर प्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगर है जो पर्यटन स्थल के रूप में भी बहुत प्रसिद्ध है। मथुरा, श्रीकृष्ण की जन्मस्थली और भारत की परम प्राचीन तथा जगद्-विख्यात नगरी है। पौराणिक साहित्य में मथुरा को अनेक नामों से संबोधित किया गया है जैसे- शूरसेन नगरी, मधुपुरी, मधुनगरी, मधुरा आदि। यहाँ के वन–उपवन, कुन्ज–निकुन्ज, श्री यमुना जीगिरिराज महाराज अत्यन्त मोहक हैं। पक्षियों का मधुर स्वर एकाकी स्थल को मादक एवं मनोहर बनाता है। मोरों की बहुतायत तथा उनकी पिऊ–पिऊ की आवाज़ से वातावरण गुन्जायमान रहता है। ... और पढ़ें

प्रयाग

right|100px|संगम, प्रयाग|link=प्रयाग|border

     प्रयाग का आधुनिक नाम इलाहाबाद है। प्रयाग उत्तर प्रदेश का एक प्राचीन तीर्थस्थान है जिसका नाम अश्वमेध आदि अनेक याज्ञ (यज्ञ) अधिक होने से पड़ा था। प्रयाग का मुस्लिम शासन में 'इलाहाबाद' नाम कर दिया गया था परंतु 'प्रयाग' नाम आज भी प्रचलित है। रामायण में इलाहाबाद, प्रयाग के नाम से वर्णित है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ संगम स्थल पर भूमिगत रूप से सरस्वती नदी भी आकर मिलती है। इलाहाबाद का उल्लेख भारत के धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है। वेद, पुराण, रामायण और महाभारत में इस स्थान को प्रयाग कहा गया है। ... और पढ़ें

साँची

right|100px|बुद्ध स्तूप, साँची|link=साँची|border

     साँची भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन ज़िले में स्थित एक छोटा सा गांव है। यह प्रसिद्ध स्थान, जहां अशोक द्वारा निर्मित महान् स्तूप, जिनके भव्य तोरणद्वार तथा उन पर की गई जगत् प्रसिद्ध मूर्तिकारी, भारत की प्राचीन वास्तुकला तथा मूर्तिकला के सर्वोत्तम उदाहरणों में हैं। यह बौद्ध की प्रसिद्ध ऐश्वर्यशालिनी नगरी विदिशा के निकट स्थित है। ... और पढ़ें

स्वर्ण मंदिर

right|130px|स्वर्ण मंदिर, अमृतसर|link=स्वर्ण मंदिर|border

     स्वर्ण मंदिर के आस पास के सुंदर परिवेश और स्वर्ण की पर्त के कारण ही इसे स्वर्ण मंदिर कहते हैं। यह अमृतसर (पंजाब) में स्थित सिक्खों का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है। यह मंदिर सिक्ख धर्म की सहनशीलता तथा स्वीकार्यता का संदेश अपनी वास्तुकला के माध्यम से प्रदर्शित करता है, जिसमें अन्य धर्मों के संकेत भी शामिल किए गए हैं। ... और पढ़ें

सूर्य मंदिर कोणार्क

right|130px|सूर्य मंदिर कोणार्क|link=सूर्य मंदिर कोणार्क|border

  • कोणार्क के सूर्य मंदिर को गंग वंश के राजा नरसिम्हा देव प्रथम ने लगभग 1278 ई. में बनाया था।
  • कहा जाता है कि ये मंदिर अपनी पूर्व निर्धारित अभिकल्पना के आधार पर नहीं बनाया जा सका। मंदिर के भारी गुंबद के हिसाब से इसकी नींव नहीं बनी थी।
  • यहाँ के स्थानीय लोगों की मानें तो ये गुम्बद मंदिर का हिस्सा था पर इसकी चुम्बकीय शक्ति की वजह से जब समुद्री पोत दुर्घटनाग्रस्त होने लगे, तब ये गुम्बद हटाया गया। शायद इसी वज़ह से इस मंदिर को 'ब्लैक पैगोडा' भी कहा जाता है। ... और पढ़ें
हुमायूँ का मक़बरा

right|130px|हुमायूँ का मक़बरा|link=हुमायूँ का मक़बरा|border

  • हुमायूँ के मक़बरे का निर्माण 1565 से 1572 ईसवी के बीच फ़ारसी वास्तुविद् 'मिराक मिर्ज़ा ग़ियात' के वास्तु रूप-रेखा पर हुआ था।
  • यूनेस्को की विश्वदाय स्मारकों की सूची में शामिल 'हुमायूँ का मक़बरा' भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।
  • मक़बरे की पूर्ण शोभा इसको घेरे हुए 30 एकड़ में फैले चारबाग़ शैली के मुग़ल उद्यानों से निखरती है। 18वीं शताब्दी तक यहाँ स्थानीय लोगों ने चारबाग़ों में सब्ज़ी आदि उगाना आरंभ कर दिया था ... और पढ़ें
सारनाथ

right|130px|सारनाथ स्तूप|link=सारनाथ|border

  • सारनाथ पहले घना वन था और यहाँ मृग-विहार किया करते थे। उस समय इसका नाम 'ऋषिपत्तन मृगदाय' था। ज्ञान प्राप्त करने के बाद गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश यहीं पर दिया था।
  • सन 1905 में पुरातत्त्व विभाग ने यहाँ खुदाई का काम किया, उस समय बौद्ध धर्म के अनुयायियों और इतिहासवेत्ताओं का ध्यान इस पर गया।
  • सारनाथ के इतिहास में सबसे गौरवपूर्ण समय गुप्तकाल था। उस समय यह मथुरा के अतिरिक्त उत्तर भारत में कला का सबसे बड़ा केंद्र था।
  • सम्राट अशोक के समय में यहाँ बहुत से निर्माण-कार्य हुए। सिंहों की मूर्ति वाला भारत का राजचिह्न सारनाथ के अशोक के स्तंभ के शीर्ष से ही लिया गया है ... और पढ़ें
हम्पी

right|100px|लक्ष्मी नरसिम्हा, हम्पी|link=हम्पी|border

  • हम्पी का नाम पम्पपति के कारण ही हुआ है। स्थानीय लोग 'प' का उच्चारण 'ह' करते हैं और पम्पापति को हम्पापति (हंपपथी) कहते हैं। हम्पी हम्पपति का ही लघुरूप है।
  • कृष्णदेव राय के शासनकाल में बनाया गया प्रसिद्ध हज़ाराराम मन्दिर विद्यमान हिन्दू मन्दिरों की वास्तुकला के पूर्णतम नमूनों में से एक है।
  • फ़र्ग्यूसन के विचार में यह फूलों से अलंकृत वैभव की पराकाष्ठा का द्योतक है, जहाँ तक यह शैली (वल्लरी शैली) विकसित हो चुकी थी।
  • भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित यह नगर यूनेस्को द्वारा विश्व के विरासत स्थलों की संख्या में शामिल है।... और पढ़ें
खजुराहो

right|100px|खजुराहो मंदिर|link=खजुराहो|border

  • खजुराहो की मूर्तियों की सबसे अहम और महत्त्वपूर्ण ख़ूबी यह है कि इनमें गति है, देखते रहिए तो लगता है कि शायद चल रही है या बस हिलने ही वाली है, या फिर लगता है कि शायद अभी कुछ बोलेगी, मस्कुराएगी, शर्माएगी या रूठ जाएगी।
  • कमाल की बात तो यह है कि ये चेहरे के भाव और शरीर की भंगिमाऐं केवल स्त्री पुरुषों में ही नहीं बल्कि जानवरों में भी दिखाई देती हैं। ... और पढ़ें
गोवा

right|150px|डोना पॉला तट, गोवा|link=गोवा

  • भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिमी किनारे पर स्थित गोवा एक छोटा-सा किन्तु बहुत सुन्दर राज्य है। यह उत्तर में महाराष्ट्र और दक्षिणी छोर से कर्नाटक द्वारा घिरा हुआ है।
  • स्वर्णिम इतिहास तथा विविधताओं का प्रतीक गोवा, पहले गोमानचला, गोपाकापट्टम, गोपाकापुरी, गोवापुरी, गोवाराष्ट्र इत्यादि महत्त्वपूर्ण नामों से मशहूर था।
  • गोवा के सुनहरे लम्बे समुद्र तट, आकर्षक चर्च, मन्दिर, पुराने क़िले और कलात्मक भग्नावशेषों ने पर्यटन को गोवा का प्रमुख उद्योग बना दिया है।
  • आज देश-विदेश में औसतन दस लाख पर्यटक गोवा के प्राकृतिक सौंदर्य एवं विशिष्ट सभ्यता से आकर्षित होकर यहाँ आते हैं। .... और पढ़ें


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः