ओरलोव हीरा: Difference between revisions
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*नादिरशाह की हत्या के बाद यह हीरा चोरी हो गया और इसे शाफ़रास नामक आर्मिनियाई लखपति को बेच दिया गया। | *नादिरशाह की हत्या के बाद यह हीरा चोरी हो गया और इसे शाफ़रास नामक आर्मिनियाई लखपति को बेच दिया गया। | ||
*1774 ई. में ओरलोव को काउंट ग्रिगरी ग्रिगोएविच ने | *1774 ई. में ओरलोव को काउंट ग्रिगरी ग्रिगोएविच ने ख़रीदा, जिसने इसे सम्राज्ञी कैथरीन द्वितीय महान का वरदहस्त प्राप्त करने के असफल प्रयास में उसे भेंट कर दिया। | ||
*कैथरीन ने इसे रोमोनोव शाही राजदंड में जड़वा दिया और अब यह मास्को में [[रूस]] के हीरा-कोष<ref>जिसमें ज़ार की वैभव सामग्री है।</ref> का हिस्सा है। | *कैथरीन ने इसे रोमोनोव शाही राजदंड में जड़वा दिया और अब यह मास्को में [[रूस]] के हीरा-कोष<ref>जिसमें ज़ार की वैभव सामग्री है।</ref> का हिस्सा है। | ||
Revision as of 13:20, 15 November 2016
ओरलोव हीरा भारत का गुलाबनुमा रत्न था। रोमोनोव ताज में लगे रत्नों में से यह एक था। यह आधे अंडे के आकार का था, जिसकी गुंबदकारी सतह फलकित थी और निचला भाग लगभग समतल था।
- इस हीरे का वज़न लगभग 200 कैरॅट था।
- एक दंतकथा के अनुसार, यह किसी समय मैसूर (वर्तमान कर्नाटक) के एक ब्राह्मण मंदिर में एक मूर्ति की आंख था, जिसे एक फ़्राँसीसी सैनिक भगोड़ा चुराकर मद्रास ले भागा।[1]
- अन्य लोगों का दावा है कि ओरलोव का प्रामाणिक इतिहास 18वीं शताब्दी के मध्य का है, जब यह रत्न[2] फ़ारस के बादशाह नादिरशाह का था।
- नादिरशाह की हत्या के बाद यह हीरा चोरी हो गया और इसे शाफ़रास नामक आर्मिनियाई लखपति को बेच दिया गया।
- 1774 ई. में ओरलोव को काउंट ग्रिगरी ग्रिगोएविच ने ख़रीदा, जिसने इसे सम्राज्ञी कैथरीन द्वितीय महान का वरदहस्त प्राप्त करने के असफल प्रयास में उसे भेंट कर दिया।
- कैथरीन ने इसे रोमोनोव शाही राजदंड में जड़वा दिया और अब यह मास्को में रूस के हीरा-कोष[3] का हिस्सा है।
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