तरनतारन: Difference between revisions
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*कहा जाता है कि [[मुग़ल]] बादशाह [[जहाँगीर]] के शासन काल में [[सिक्ख|सिक्खों]] के [[गुरु अर्जुन देव]] ने इस स्थान को [[तीर्थ स्थान]] के रूप में प्रतिष्ठापित किया था। | *कहा जाता है कि [[मुग़ल]] बादशाह [[जहाँगीर]] के शासन काल में [[सिक्ख|सिक्खों]] के [[गुरु अर्जुन देव]] ने इस स्थान को [[तीर्थ स्थान]] के रूप में प्रतिष्ठापित किया था। | ||
*उच्चतर क्षेत्र का यह प्रमुख नगर है, जिसका धार्मिक महत्व अधिक है। यहाँ 1768 ई० में बना एक मंदिर और एक प्रसिद्ध तालाब है जिसमें दूर दूर से कोढ़ी लोग अपने रोग से मुक्ति पाने कि लिये आते हैं। | *उच्चतर क्षेत्र का यह प्रमुख नगर है, जिसका धार्मिक महत्व अधिक है। यहाँ 1768 ई० में बना एक मंदिर और एक प्रसिद्ध तालाब है जिसमें दूर दूर से कोढ़ी लोग अपने रोग से मुक्ति पाने कि लिये आते हैं। | ||
*तरनतारन नगर से थोड़ी ही दूरी पर बारी दोआब नहर बहती है। | |||
*नगर से थोड़ी ही दूरी पर बारी दोआब नहर बहती है। | |||
*तरनतारन में [[चैत्र]] एवं [[भाद्रपद]] माह में यहाँ विशेष मेले लगते हैं। | *तरनतारन में [[चैत्र]] एवं [[भाद्रपद]] माह में यहाँ विशेष मेले लगते हैं। | ||
*यहाँ के उद्योगों में [[लोहा|लोहे]] के बर्तन बनाना तथा [[कपास]] से बिनौला निकालना प्रमुख है। | *यहाँ के उद्योगों में [[लोहा|लोहे]] के बर्तन बनाना तथा [[कपास]] से बिनौला निकालना प्रमुख है। | ||
* | *यहाँ पर स्कूल, सरकारी अस्पताल आदि है। | ||
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Revision as of 10:09, 21 July 2015
तरनतारन पंजाब राज्य के अमृतसर जिले में तरनतारन नामक तहसील का नगर है, जो उत्तरी-पश्चिमी रेलवे की अमृतसर शाखा पर स्थित है। यह पंजाब के ऐतिहासिक स्थानों में गिना जाता है। यह अमृतसर से 12 मील (लगभग 19.2 कि.मी.) की दूरी पर स्थित है।[1]
- इस स्थान पर व्यास और सतलुज नदी का संगम है।
- कहा जाता है कि मुग़ल बादशाह जहाँगीर के शासन काल में सिक्खों के गुरु अर्जुन देव ने इस स्थान को तीर्थ स्थान के रूप में प्रतिष्ठापित किया था।
- उच्चतर क्षेत्र का यह प्रमुख नगर है, जिसका धार्मिक महत्व अधिक है। यहाँ 1768 ई० में बना एक मंदिर और एक प्रसिद्ध तालाब है जिसमें दूर दूर से कोढ़ी लोग अपने रोग से मुक्ति पाने कि लिये आते हैं।
- तरनतारन नगर से थोड़ी ही दूरी पर बारी दोआब नहर बहती है।
- तरनतारन में चैत्र एवं भाद्रपद माह में यहाँ विशेष मेले लगते हैं।
- यहाँ के उद्योगों में लोहे के बर्तन बनाना तथा कपास से बिनौला निकालना प्रमुख है।
- यहाँ पर स्कूल, सरकारी अस्पताल आदि है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 392 |