प्रयोग:कविता सा.-1: Difference between revisions
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-कैनवास पर | -कैनवास पर | ||
+ | +ज़मीन पर | ||
-[[काग़ज़]] पर | -[[काग़ज़]] पर | ||
-दीवार पर | -दीवार पर | ||
||रंगोली [[भारत]] की प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा और लोक कला है। रंगोली को मुख्य रूप से द्वार की देहरी, आंगन के केंद्र और उत्सव के लिए निश्चित स्थान के बीच में या चारों ओर बनाया जाता है। | ||रंगोली [[भारत]] की प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा और लोक कला है। रंगोली को मुख्य रूप से द्वार की देहरी, आंगन के केंद्र और उत्सव के लिए निश्चित स्थान के बीच में या चारों ओर बनाया जाता है। | ||
{ | {[[अंजलि इला मेनन]] इनमें से किससे संबंधित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-191,प्रश्न-53 | ||
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-छापा कला | -छापा कला | ||
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+[[चित्र कला]] | +[[चित्र कला]] | ||
-[[नृत्य कला]] | -[[नृत्य कला]] | ||
||अंजली इला मेनन चित्रकला से संबंधित हैं। अंजली इला मेनन का जन्म [[पश्चिम बंगाल]] में हुआ था। यह समकालीन [[चित्रकला]] की चित्रकार हैं। इन्होंने वर्ष [[1958]] में अपनी पहली एकल प्रदर्शनी लगाई थी। वर्ष [[2000]] में इन्हें [[पद्म श्री]] तथा [[4 जून]], [[2013]] को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उन्हें यह पुरस्कार अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लगाई गई' द वाल्ड सिटी' शीर्षक चित्रकृति के अनावरण के अवसर पर प्रदान किया गया। | ||[[अंजली इला मेनन]] चित्रकला से संबंधित हैं। अंजली इला मेनन का जन्म [[पश्चिम बंगाल]] में हुआ था। यह समकालीन [[चित्रकला]] की चित्रकार हैं। इन्होंने वर्ष [[1958]] में अपनी पहली एकल प्रदर्शनी लगाई थी। वर्ष [[2000]] में इन्हें [[पद्म श्री]] तथा [[4 जून]], [[2013]] को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उन्हें यह पुरस्कार अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लगाई गई' द वाल्ड सिटी' शीर्षक चित्रकृति के अनावरण के अवसर पर प्रदान किया गया। | ||
{किस भारतीय चित्रशैली में मनुष्य के चेहरे का तीन चौथाई भाग चित्रित किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-44,प्रश्न-26 | {किस भारतीय चित्रशैली में मनुष्य के चेहरे का तीन चौथाई भाग चित्रित किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-44,प्रश्न-26 | ||
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{ढूंढाड़ शैली के नाम से कौन-सी चित्रकला जानी जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-50,प्रश्न-23 | {ढूंढाड़ शैली के नाम से कौन-सी चित्रकला जानी जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-50,प्रश्न-23 | ||
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- | -[[बूंदी चित्रकला|बूंदी शैली]] | ||
- | -[[मेवाड़ की चित्रकला|मेवाड़ शैली]] | ||
+जयपुर शैली | +जयपुर शैली | ||
-बीकानेर शैली | -[[बीकानेर की चित्रकला|बीकानेर शैली]] | ||
||'ढूंढाड़ शैली' के नाम से 'जयपुर शैली' जानी जाती है। ढूंढाड़ शैली में जयपुर शैली, अलवर शैली, शैखावती एवं अनियारी आदि का अध्ययन किया जा सकता है। प्राचीन काल में [[जयपुर]] तथा [[अलवर]] का अधिकांश भाग 'ढूंढाड़' के नाम से जाना जाता था। | ||'ढूंढाड़ शैली' के नाम से 'जयपुर शैली' जानी जाती है। ढूंढाड़ शैली में जयपुर शैली, अलवर शैली, शैखावती एवं अनियारी आदि का अध्ययन किया जा सकता है। प्राचीन काल में [[जयपुर]] तथा [[अलवर]] का अधिकांश भाग 'ढूंढाड़' के नाम से जाना जाता था। | ||
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-दसवंत | -दसवंत | ||
-मधु | -मधु | ||
+ | +अबुल हसन | ||
||अबुल हसन और मंसूर जहाँगीर कालीन श्रेष्ठ चित्रकार थे। | ||अबुल हसन और मंसूर [[जहाँगीर]] कालीन श्रेष्ठ [[चित्रकार]] थे। | ||
{[[अकबर]] काल की सर्वोत्तम कृति '[[अकबरनामा]]' में सर्वश्रेष्ठ चित्र है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-79 | {[[अकबर]] काल की सर्वोत्तम कृति '[[अकबरनामा]]' में सर्वश्रेष्ठ चित्र है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-79 | ||
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+[[देवी प्रसाद रायचौधरी]] | +[[देवी प्रसाद रायचौधरी]] | ||
-सुब्रमणियम | -सुब्रमणियम | ||
||[[देवी प्रसाद रायचौधरी]] [[चित्रकार]] से अधिक मूर्तिकार के रूप में प्रसिद्ध हुए। वर्ष [[1953]] में देवी प्रसाद रायचौधरी [[ललित कला अकादमी]] के प्रथम अध्यक्ष बने। श्रम की विजय, [[शहीद स्मारक]], ध्वंस देवता, स्वतंत्रता स्मारक, अंतिम प्रहार भूटिया और तिब्बती बालिका, नेपाली लड़की आदि इनके प्रमुख मूर्तिशिल्प हैं। | ||[[देवी प्रसाद रायचौधरी]] [[चित्रकार]] से अधिक मूर्तिकार के रूप में प्रसिद्ध हुए। वर्ष [[1953]] में देवी प्रसाद रायचौधरी [[ललित कला अकादमी]] के प्रथम अध्यक्ष बने। श्रम की विजय, [[शहीद स्मारक]], ध्वंस देवता, स्वतंत्रता स्मारक, अंतिम प्रहार भूटिया और तिब्बती बालिका, नेपाली लड़की आदि इनके प्रमुख मूर्तिशिल्प हैं। {{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[देवी प्रसाद रायचौधरी]] | ||
{प्रसिद्ध कवि [[रबीन्द्रनाथ टैगोर]] ने अपनी उम्र के सत्तरवें पड़ाव पर आकर किसे अपनाया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-85,प्रश्न-59 | {प्रसिद्ध कवि [[रबीन्द्रनाथ टैगोर]] ने अपनी उम्र के सत्तरवें पड़ाव पर आकर किसे अपनाया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-85,प्रश्न-59 | ||
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-[[तबला]] | -[[तबला]] | ||
+चित्रकारी | +चित्रकारी | ||
||[[रबीन्द्रनाथ टैगोर]] ने आयु के 67वें साल तक चित्रकला के क्षेत्र में कोई विशेष प्रयत्न नहीं किए। वे विश्व विख्यात [[कवि]] बन चुके थे। कविता को लिखते समय शब्दों या पंक्तियों को रेखाओं से मिटाने पर जो कल्पित आकार बनता, उनकी ओर उनका ध्यान आकृष्ट हुआ। इन स्वयंसिद्ध आकारों के प्रति वे इतना मोहित हुए कि उन्होंने आकारों के विकास पर ध्यान दिया। वर्ष [[1926]] के करीब उन्होंने कपड़े के टुकड़े या अंगुलियों को स्याही में डुबोकर चित्रण शुरू किया। | ||[[रबीन्द्रनाथ टैगोर]] ने आयु के 67वें साल तक [[चित्रकला]] के क्षेत्र में कोई विशेष प्रयत्न नहीं किए। वे विश्व विख्यात [[कवि]] बन चुके थे। कविता को लिखते समय शब्दों या पंक्तियों को रेखाओं से मिटाने पर जो कल्पित आकार बनता, उनकी ओर उनका ध्यान आकृष्ट हुआ। इन स्वयंसिद्ध आकारों के प्रति वे इतना मोहित हुए कि उन्होंने आकारों के विकास पर ध्यान दिया। वर्ष [[1926]] के करीब उन्होंने कपड़े के टुकड़े या अंगुलियों को स्याही में डुबोकर चित्रण शुरू किया। | ||
{इंग्लिश भू-दृश्य चित्रकार हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-117,प्रश्न-12 | {इंग्लिश भू-दृश्य (लैंडस्केप) चित्रकार हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-117,प्रश्न-12 | ||
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-रोनाल्ड्स | -रोनाल्ड्स | ||
Line 75: | Line 75: | ||
+टर्नर | +टर्नर | ||
-रेम्ब्रां | -रेम्ब्रां | ||
||इंग्लैंड के भू-दृश्य (लैंडस्केप) चित्रकारों में जोसेफ मैलॉर्ड विलियम टर्नर (1775-1851 ई.) को अद्भुत प्रतिभाशाली एवं संयमी कलाकार माना जाता है। उनका कार्य प्रभाववादियों के लिए एक रोमांटिक प्रस्तावना के रूप में जाना जाता है। वह अपने तैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध थे। वर्ष 1839 में उनके द्वारा चित्रित चित्र 'द फाइटिंग टेंपरेरी' तैलीय माध्यम में बनी हुई है। वह ब्रिटिश वाटरकलर लैंडस्केप चित्रकारी के महानतम पुरोधा भी थे। टर्नर ने अपनी कला के द्वारा प्रकाश का प्रयोग विकसित किया। | ||[[इंग्लैंड]] के भू-दृश्य (लैंडस्केप) चित्रकारों में जोसेफ मैलॉर्ड विलियम टर्नर (1775-1851 ई.) को अद्भुत प्रतिभाशाली एवं संयमी कलाकार माना जाता है। उनका कार्य प्रभाववादियों के लिए एक रोमांटिक प्रस्तावना के रूप में जाना जाता है। वह अपने तैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध थे। वर्ष 1839 में उनके द्वारा चित्रित चित्र 'द फाइटिंग टेंपरेरी' तैलीय माध्यम में बनी हुई है। वह ब्रिटिश वाटरकलर लैंडस्केप चित्रकारी के महानतम पुरोधा भी थे। टर्नर ने अपनी कला के द्वारा प्रकाश का प्रयोग विकसित किया। | ||
{उस समकालीन भारतीय चित्रकार का नाम बताइए जिसने '[[ययाति]]' शृंखला का सृजन किया- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-146,प्रश्न-61 | {उस समकालीन भारतीय चित्रकार का नाम बताइए जिसने '[[ययाति]]' शृंखला का सृजन किया- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-146,प्रश्न-61 | ||
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-मंजीत | -[[मंजीत बावा]] | ||
-गणेश हलोर्ड | -गणेश हलोर्ड | ||
+[[ए. रामचंद्रन]] | +[[ए. रामचंद्रन]] | ||
-लक्ष्मी गौंड | -लक्ष्मी गौंड | ||
||[[अच्युतन रामचंद्रन नायर]] भारत के प्रसिद्ध [[चित्रकार]] हैं। इन्हें [[भारत सरकार]] द्वारा सन [[2005]] में कला के क्षेत्र में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया था। ये [[दिल्ली]] राज्य से हैं। | |||
{सोवियत संघ के उस [[चित्रकार]] का नाम बताएं जो भारत के कला- सौन्दर्य से प्रभावित होकर [[भारत]] में ही बस गया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-226,प्रश्न-302 | {सोवियत संघ के उस [[चित्रकार]] का नाम बताएं जो भारत के [[कला]]- सौन्दर्य से प्रभावित होकर [[भारत]] में ही बस गया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-226,प्रश्न-302 | ||
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-बोरोस्की | -बोरोस्की |
Revision as of 11:59, 14 November 2017
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