प्रयोग:कविता सा.-1: Difference between revisions
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-[[नाटक]] | -[[नाटक]] | ||
-[[संगीत]] | -[[संगीत]] | ||
||[[ज्ञानपीठ पुरस्कार]], भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए प्रदान किया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। इसकी स्थापना वर्ष 1961 में साहू जैन परिवार ने की थी। पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिभा प्रदान की जाती है। {{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[ज्ञानपीठ पुरस्कार|ज्ञानपीठ]] | ||[[ज्ञानपीठ पुरस्कार]], भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा [[भारतीय साहित्य]] के लिए प्रदान किया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। इसकी स्थापना वर्ष 1961 में साहू जैन परिवार ने की थी। पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिभा प्रदान की जाती है। {{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[ज्ञानपीठ पुरस्कार|ज्ञानपीठ]] | ||
{हेनरी मूर कहां के निवासी थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-189,प्रश्न-46 | {हेनरी मूर कहां के निवासी थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-189,प्रश्न-46 | ||
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+श्री कुमार | +श्री कुमार | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||'शिल्प रत्न' शिल्पशास्त्र का एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है। इस वृहद् ग्रंथ के रचयिता केरल प्रांत के आचार्य श्री कुमार थे। | ||'शिल्प रत्न' शिल्पशास्त्र का एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है। इस वृहद् ग्रंथ के रचयिता [[केरल]] प्रांत के आचार्य श्री कुमार थे। | ||
{[[मूर्तिकला]] की उस शैली को क्या कहते हैं जो ग्रीक-रोमन कला से प्रभावित रही? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-217,प्रश्न-236 | {[[मूर्तिकला]] की उस शैली को क्या कहते हैं जो ग्रीक-रोमन कला से प्रभावित रही? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-217,प्रश्न-236 | ||
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+[[कुषाण]] | +[[कुषाण]] | ||
-[[शुंग]] | -[[शुंग]] | ||
||भारतीय और यूनानी आकृति की सम्मिश्रण शैली [[गांधार मूर्तिकला शैली|गांधार शैली]] है। इस मूर्तिकला शैली के प्रमुख संरक्षक शक एवं कुषाण थे। गांधार कला शैली कुषाणों के समय पनपी थी। गांधार कला पाकिस्तान एवं पूर्वी अफगानिस्तान के बीच विकसित हुई। भारत में यह कला कुषाण वंश के दौरान फली-फूली तथा कुषाण [[कला]] का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन गई। इन कला का विषय मात्र बौद्ध होने के कारण इसे 'यूनानी बौद्ध', 'इंडो-ग्रीक', या 'ग्रीको-रोमन' भी कहा जाता है। | ||भारतीय और यूनानी आकृति की सम्मिश्रण शैली [[गांधार मूर्तिकला शैली|गांधार शैली]] है। इस मूर्तिकला शैली के प्रमुख संरक्षक शक एवं कुषाण थे। गांधार कला शैली कुषाणों के समय पनपी थी। गांधार कला पाकिस्तान एवं पूर्वी [[अफगानिस्तान]] के बीच विकसित हुई। भारत में यह कला कुषाण वंश के दौरान फली-फूली तथा कुषाण [[कला]] का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन गई। इन कला का विषय मात्र बौद्ध होने के कारण इसे 'यूनानी बौद्ध', 'इंडो-ग्रीक', या 'ग्रीको-रोमन' भी कहा जाता है। | ||
{'[[पृथ्वीराज कपूर]] क्या थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-194,प्रश्न-73 | {'[[पृथ्वीराज कपूर]] क्या थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-194,प्रश्न-73 |
Revision as of 11:04, 6 December 2017
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