भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम: Difference between revisions
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Revision as of 10:36, 9 November 2020
thumb|250px|भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (अंग्रेज़ी: National Payments Corporation of India) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा स्थापित एक निगम है। इसे भारत में विभिन्न खुदरा भुगतान प्रणालियों के लिए एक मातृसंस्था के रूप में कल्पित किया गया है। इसकी स्थापना 2008 में हुई थी। यह कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी संगठन है। प्रमुख बैंकों का एक संघ इसका स्वामी है।
संगठन
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम की उपयोगिता और इसके उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए कम्पनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के अन्दर इसे 'लाभ के लिए नहीं' संस्था के रूप में पंजीकृत किया गया है। एनपीसीआई को अप्रैल 2009 में व्यवसाय का प्रमाण पत्र जारी किया गया था। वर्तमान में, दस कोर प्रमोटर बैंक (भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, कैनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया, बैंक ऑफ़ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, सिटी बैंक और एचएसबीसी) हैं। बोर्ड में बिस्वमोहन महापात्रा गैर कार्यकारी अध्यक्ष, भारतीय रिज़र्व बैंक से नामांकित और दस कोर प्रवर्तक बैंकों से नामांकित होते हैं।
उत्पाद
- नैशनल फाईनैंशियल स्विच (एनएफएस)
- इंटरबैंक मोबाईल भुगतान सेवा (आईएमपीएस)
- रु-पे
- चैक ट्रंकेशन सिस्टम (सीटीएस)
- आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (एईपीएस)
- वज्र प्लेटफॉर्म - ब्लॉकचेन-तकनीक पर आधारित; पेमेंट क्लीयरिंग और सेटलमेंट प्रोसेस, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस और रुपे कार्ड जैसी सुविधाओं को एकीकृत करने के लिए तैयार किया गया है।
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