द्यूतविशेष कला: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[चौंसठ कलाएँ जयमंगल के मतानुसार|जयमंगल के मतानुसार]] चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। द्यूत (जूआ) आदि अनेक क्रीड़ाओं से लोगों का मनोरंजन करना 'कला' है। प्राचीन काल में द्यूत के अनेक प्रकारों के प्रचलित होने का पता लगता है। उन सबमें अक्षक्रीड़ा (चौपड़ा) विशेष प्रसिद्ध थी। [[नल]], [[युधिष्ठिर]], [[शकुनि]] आदि इस कला में निपुण थे। | [[चौंसठ कलाएँ जयमंगल के मतानुसार|जयमंगल के मतानुसार]] चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। द्यूत (जूआ) आदि अनेक क्रीड़ाओं से लोगों का मनोरंजन करना 'कला' है। प्राचीन काल में द्यूत के अनेक प्रकारों के प्रचलित होने का पता लगता है। उन सबमें अक्षक्रीड़ा (चौपड़ा) विशेष प्रसिद्ध थी। [[नल]], [[युधिष्ठिर]], [[शकुनि]] आदि इस कला में निपुण थे। | ||
{{प्रचार}} | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{चौंसठ कलाएँ जयमंगल}} | {{चौंसठ कलाएँ जयमंगल}} |
Revision as of 06:21, 14 June 2011
जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। द्यूत (जूआ) आदि अनेक क्रीड़ाओं से लोगों का मनोरंजन करना 'कला' है। प्राचीन काल में द्यूत के अनेक प्रकारों के प्रचलित होने का पता लगता है। उन सबमें अक्षक्रीड़ा (चौपड़ा) विशेष प्रसिद्ध थी। नल, युधिष्ठिर, शकुनि आदि इस कला में निपुण थे।